हिंदू धर्म में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है। नौ दिनों तक चलने वाला यह पर्व मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना के लिए समर्पित है। मान्यता है कि इस समय की गई पूजाओं से सभी देवी-देवता जल्दी प्रसन्न होते हैं और अपना दिव्य आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इस बार नवरात्रि का पहले दिन हस्त नक्षत्र भी लग रहा है, जो इस दिन को सभी प्रकार के अनुष्ठानों के लिए और भी शुभ बना देता है। हस्त नक्षत्र चंद्र देव द्वारा शासित है। वहीं नवरात्रि का प्रथम दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है, क्योंकि मां शैलपुत्री चंद्र देव की देवी हैं। इसलिए नवरात्रि का पहला दिन चंद्र देव की पूजा और चंद्र दोष से मुक्ति पाने के लिए सबसे शुभ दिनों में से एक है। धार्मिक ग्रंथों में चंद्र देव को मन, मानसिक शांति और शीतलता का देवता माना जाता है। वहीं ज्योतिषशास्त्र में भी चंद्रमा को मन और भाव का कारक ग्रह बताया गया है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, कुंडली में अशुभ भावों में चंद्रमा की उपस्थिति के कारण चंद्र दोष उत्पन्न होता है, जो भावनात्मक अस्थिरता और मानसिक असंतुलन का कारण बनता है।
पुराणों के अनुसार, चंद्र दोष के अशुभ प्रभावों से राहत पाने के लि चंद्र ग्रह शांति पूजा और हवन करना चाहिए। यदि यह पूजा किसी ज्योतिर्लिंग में की जाए तो यह कई गुना अधिक फलदायी हो सकती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा दक्ष की 27 बेटियों का विवाह चंद्रमा देव से हुआ था। जिसमें से चंद्र देव को अपनी एक पत्नी रोहिणी के प्रति विशेष लगाव था, जिससे उनकी अन्य पत्नियां नाराज हो गई और राजा दक्ष के शिकायत की। दक्ष के समझाने पर भी जब चंद्र देव का व्यवहार नहीं बदला तो राजा दक्ष ने उन्हें 15 दिन में नष्ट हो जाने का श्राप दे दिया, जिसके कारण वह आकार में छोटे और कमजोर होने लगे। स्थिति को समझते हुए नारद मुनी ने चंद्र देव को भगवान शिव की आराधना करने को कहा। चंद्र देव ने अपनी घोर तपस्या से भगवान शिव को जल्दी ही प्रसन्न कर लिया। भगवान शिव ने चंद्र देव को आशीर्वाद दिया की 15 दिन तुम्हारी शक्ति बढ़ेगी और 15 दिन तक तुम्हारी शक्ति घटेगी। यही कारण है कि चंद्र दोष से मुक्ति के लिए ज्योतिर्लिंग में पूजा करना अत्यधिक प्रभावी हो सकता है। इसलिए नवरात्रि के प्रथम दिन और हस्त नक्षत्र के शुभ संयोग पर मध्यप्रदेश के खंडवा स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में चंद्र ग्रह शांति: 10,000 चंद्र मूल मंत्र जाप और हवन का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और देवी शैलपुत्री व चंद्र देव का आशीर्वाद प्राप्त करें।