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गणेश जयन्ती 2025

क्या आप गणेश जयन्ती 2025 के सही मुहूर्त और पूजा विधि को लेकर कंफ्यूज हैं? इस लेख में जानें भगवान गणेश के व्रत से जुड़ी हर बात।

गणेश जयन्ती के बारे में

गणेश जयंती भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। गणेश जी को बुद्धि, समृद्धि और शुभता का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इस दिन की गई पूजा विशेष रूप से फलदायी होती है। इस दिन भक्त भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, व्रत रखते हैं और मोदक का भोग अर्पित करते हैं। यह पर्व मुख्य रूप से महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में धूमधाम से मनाया जाता है।

गणेश जयन्ती 2025

हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले सभी उत्तम त्योहारों में से एक है गणेश जयंती। यह त्यौहार उत्तर भारत में हर वर्ष माघ के महीने में मनाया जाता है। इस साल 2025 में यह त्यौहार 01 फ़रवरी 2025 को मनाया जाएगा।

गणेश जयंती कब मनाया जाता है और क्या है शुभ मुहूर्त?

हिंदू मान्यता के अनुसार, गणेश जयंती ज्ञान के देवता बुद्धिनाथ यानी गणेश जी से जुड़ा हुआ है। यह हर वर्ष माघ के महीने की शुक्ल चतुर्थी के दिन मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह तिथि जनवरी और फरवरी महीने के मध्य में आती है। यह त्योहार पूरे भारत में, खासकर महाराष्ट्र और गोवा में भरपूर उल्लास के साथ मनाया जाता है। कई जगहों पर इसे तिलकुट चतुर्थी, वाद चतुर्थी और माघ शुक्ल चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।

  • साल 2025 में गणेश जयंती की तिथि 01 फ़रवरी की सुबह 11 बजकर 38 मिनट से शुरू होगी और दूसरे दिन 02 फ़रवरी को सुबह 09 बजकर 14 मिनट पर खत्म होगा।
  • पूजा के वक्त वर्जित चंद्रमा दर्शन का समय भी निर्धारित किया गया है।
  • इस बार गणेश जयंती पर यानी कि 01 फ़रवरी को सुबह 08 बजकर 36 मिनट से रात 8 बजकर 43 मिनट तक चंद्रमा दर्शन वर्जित है। (इसका अर्थ है कि इस समय में चाँद को नहीं देखना चाहिए)

गणेश जयंती पूजा मुहूर्त एवं तिथि

  • गणेश जयन्ती शनिवार, 01 फ़रवरी 2025 को है।
  • मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त - 11:38 ए एम से 01:18 पी एम
  • अवधि - 01 घण्टा 40 मिनट्स
  • वर्जित चन्द्रदर्शन का समय - 08:36 ए एम से 08:43 पी एम
  • अवधि - 12 घण्टे 07 मिनट्स
  • चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - फरवरी 01, 2025 को 11:38 ए एम बजे
  • चतुर्थी तिथि समाप्त - फरवरी 02, 2025 को 09:14 ए एम बजे

गणेश जयंती क्यों मनाई जाती है?

ऐसी मान्यता है, कि इस दिन भगवान गणेश की सच्चे मन से पूजा करने और व्रत रखने से विघ्नहर्ता आपके सभी विघ्नों का नाश कर देंगे। इतना ही नहीं, गणेश की पूजा इस पावन दिन पर करने से सभी समस्याओं का समाधान भी मिलता है।

ऐसी मान्यता है, कि गणेश जयंती के दिन अगर कोई भी नवविवाहित जोड़ा भगवान गणेश की पूजा करता है, तो उन्हें पुत्र लाभ अवश्य होता है। अग्नि पुराण के अनुसार, इस दिन अगर कोई मनुष्य पूरे विधि विधान के साथ व्रत रखता है, तो उसे मोक्ष की प्राप्ति अवश्य होती है।

गणेश जयंती गणेश चतुर्थी से अलग कैसे हैं?

भारत में गणेश जयंती और गणेश चतुर्थी को काफी धूमधाम से मनाया जाता है। मगर बहुत कम लोगों को गणेश जयंती और गणेश चतुर्थी के बीच अंतर पता होगा। गणेश जयंती और गणेश चतुर्थी में सबसे बड़ा अंतर यह है, कि गणेश जयंती माघ महीने की शुक्ल चतुर्थी यानी जनवरी से फरवरी के बीच में मनाई जाती है, जबकि गणेश चतुर्थी भाद्रपद महीने यानी अगस्त से सितंबर के बीच में मनाई जाती है।

अगर इन दोनों के महत्व को समझें, तो गणेश जयंती के दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था और गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश ने पहली बार धरती पर अपने चरण रखे थे।

कैसे करते हैं गणेश जयंती की पूजा

गणेश जयंती के दिन की विशेष पूजा के उपलक्ष्य में हर साल भगवान गणेश की एक पृथक मूर्ति बनाई जाती है, जो हल्दी या सिंदूर के पाउडर से बनती है। इसके बाद, माघ शुक्ल पक्ष के चौथे दिन इस मूर्ति को विसर्जित कर दिया जाता है। गणेश जयंती के दिन भगवान गणेश की पूजा करने के लिए सिर्फ लाल वस्त्र, लाल फूल और लाल चंदन का ही प्रयोग किया जाता है।

इस दिन भक्तों को भी कुछ नियमों का विशेष रूप से पालन करना ज़रूरी है। इस दिन सभी तरह के खाने में तिल का उपयोग होना ज़रूरी है। पूजा की सुबह नहाने से पहले भक्तों को अपने शरीर पर तिल से बने लेप को लगाना ज़रूरी होता है। पूजा के दिन सभी भक्त सुबह व्रत रखते हैं और संध्या के वक्त एक छोटे अनुष्ठान के रूप में क्षमता के अनुसार भोग रखा जाता है। हर साल देशभर में गणेश जयंती के दिन गणेश जी के मंदिरों में विशेष रुप से पूजा-अर्चना की तैयारियां होती हैं, ताकि सबके जीवन में सुख और समृद्धि आए।

गणेश जयंती से जुड़ी पौराणिक कथा

हिंदू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान गणेश के जन्म से जुड़ी कई कहानियां प्रचलित हैं। इन्हीं में से एक कहानी यह भी है, कि एक बार माता पार्वती को एक आज्ञाकारी पुत्र की आवश्यकता महसूस हुई, जो उनकी हर बात माने। इसी के चलते, माता ने अपने शरीर पर लगे चंदन के लेप से बाल गणेश को बनाया। गणेश जी के जन्म के बाद माता पार्वती ने उन्हें आदेश दिया, कि जब तक वह स्नान कक्ष में हैं तब तक वह बाहर पहरा दें और किसी को भी अंदर प्रवेश न करने दें।

जब बाल गणेश स्नान कक्ष के बाहर पहरा दे रहे थे, तो वहां महादेव माता पार्वती से भेंट करने आए। अपनी माता की आज्ञा का पालन कर रहे बाल गणेश ने महादेव को स्नान कक्ष में प्रवेश करने से रोक दिया। बहुत समझाने के बावजूद भी जब बाल गणेश ने महादेव को स्नान कक्ष में प्रवेश नहीं करने दिया, तब महादेव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने त्रिशूल से बाल गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। माता पार्वती को जब इस बात का पता चला, तो उन्होंने क्रोध में माता काली का रूप धारण कर लिया और समस्त सृष्टि के विनाश की चेतावनी दी।

इसे रोकने और माता के क्रोध को शांत करने के लिए महादेव ने एक हाथी के सिर को बाल गणेश के धड़ के साथ जोड़कर, उन्हें जीवित कर दिया। इस घटना के बाद, सभी भगवानों ने गणेश जी को वरदान दिया और उन्हें सभी देवों में सबसे ज्ञानी बनाया।

तो यह थी गणेश जयंती की सम्पूर्ण जानकारी। हमें उम्मीद है, कि आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी।

साथ ही इस दिन भगवान गणेश को प्रसन्न करने से आपके जीवन में रिद्धि-सिद्धि और समृद्धि का आगमन होगा। अगर आप आगे भी ऐसे ही अन्य त्योहारों से अवगत होना चाहते हैं तो बने रहिए श्री मंदिर के साथ।

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Published by Sri Mandir·January 29, 2025

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