भाद्रपद माह 2025: प्रारम्भ तिथि, महत्व और धार्मिक जानकारी
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भाद्रपद माह 2025: प्रारम्भ तिथि, महत्व और धार्मिक जानकारी

भाद्रपद माह हिन्दू पंचांग का एक अत्यंत पुण्य महीना होता है, जिसमें श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, ऋषि पंचमी, हरतालिका तीज, अनंत चतुर्दशी जैसे अनेक पर्व आते हैं। उत्तर भारत में 2025 में यह माह कब से प्रारंभ होगा, इसका धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व क्या है, क्या करें और क्या न करें, इन सबकी जानकारी इस लेख में दी गई है

भाद्रपद माह के बारे में

भाद्रपद माह (जिसे संक्षेप में भादो भी कहते हैं) हिन्दू पंचांग का छठा महीना होता है, जो श्रावण के बाद और आश्विन से पहले आता है। यह माह आमतौर पर अगस्त-सितंबर के बीच आता है। यह महीना धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

भाद्रपद प्रारम्भ *उत्तर की संपूर्ण जानकारी

हिंदू धर्म में साल के बारह मासों की तरह भाद्रपद मास का भी विशेष धार्मिक महत्व है। इसी मास में भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव और गणेश उत्सव जैसे कई बड़े पर्व मनाए जाते हैं। भाद्रपद मास में जप, तप, व्रत, दान और खान-पान से जुड़े कुछ विशेष नियम बताए गए हैं।

2025 में कब से शुरू होगा भाद्रपद माह

  • भाद्रपद मास 10 अगस्त, रविवार से प्रारंभ होगा।
  • भाद्रपद मास का समापन 07 सितंबर, रविवार को होगा।

भाद्रपद माह क्या है?

भाद्रपद माह हिन्दू पंचांग का छठा महीना है, जो सावन के बाद और आश्विन माह से पहले आता है। यह माह सामान्यतः अगस्त-सितम्बर के मध्य पड़ता है। यह महीना वर्षा ऋतु के अंतिम चरण को दर्शाता है और कई प्रमुख व्रत, पर्व व अनुष्ठानों के लिए विशेष रूप से पावन माना जाता है।

इस माह का नाम भाद्रपद कैसे पड़ा?

भाद्रपद मास का नाम "भाद्र" या "भद्र" नक्षत्र से पड़ा है, जो इस महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा के साथ रहता है। संस्कृत में "भद्र" का अर्थ होता है शुभ, मंगलमय और कल्याणकारी। इसलिए इस माह को कल्याणदायक कार्यों और पुण्यदायी अनुष्ठानों के लिए उपयुक्त माना गया है।

भाद्रपद मास का महत्व क्या है?

भाद्रपद मास में धार्मिक कार्यों जैसे स्नान, दान, और व्रत करने आदि का विशेष महत्व है। इस मास में की गयी पूजा-साधना, मंत्र जाप, व्रत, उपवास आदि बहुत फलदाई माने जाते हैं। हालांकि भाद्रपाद मास में कोई भी मांगलिक कार्य करना वर्जित माना जाता है। इस मास में भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान विष्णु, भगवान श्रीकृष्ण के साथ श्री गणेश जी की पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है।

भाद्रपद माह का धार्मिक महत्व क्या है?

भाद्रपद माह में अनेक शास्त्र सम्मत और लोक परंपराओं से जुड़े पर्व आते हैं, जैसे—श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, हरतालिका तीज, गणेश चतुर्थी, ऋषि पंचमी, अनंत चतुर्दशी, प्रदोष व्रत, आदि। विशेषकर गणपति उत्सव इस माह की पहचान बन चुका है, जिसे महाराष्ट्र सहित पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। इस माह में भगवान विष्णु, शिव, गणेश और देवी पार्वती की उपासना करने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

भाद्रपद प्रारम्भ के धार्मिक अनुष्ठान

भाद्रपद मास की शुरुआत होते ही स्नान, दान, व्रत और जप-तप की परंपराएं आरंभ हो जाती हैं। कई श्रद्धालु इस माह में विशेष रूप से व्रत उपवास, भागवत पाठ, विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ तथा जल से शिवलिंग अभिषेक करते हैं। इस मास की अमावस्या और पूर्णिमा तिथि को पितृ तर्पण, श्राद्ध व्रत, और गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। साथ ही, इस समय किया गया जप, तप, दान और ध्यान विशेष फलदायक माना गया है।

भाद्रपद प्रारम्भ में क्या करना चाहिए?

  • पुराणों के अनुसार भाद्रपद मास में पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पाप नष्ट होते हैं।
  • भाद्रपद मास में निर्धन व्यक्तियों को दान देने से भगवान श्रीकृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  • इस महीने में भगवान कृष्ण की पूजा में तुलसी का भोग अवश्य लगाएं।
  • शारीरिक और बौद्धिक विकास के लिए इस महीने में स्वात्विक भोजन करें।
  • ऐसी मान्यता है कि भाद्रपद मास में गाय के दूध का सेवन और भगवान कृष्ण को पंचगव्य अर्पित करने से वंश की वृद्धि होती है।

भाद्रपद माह में क्या नहीं करना चाहिए?

  • शास्त्रों में कहा गया है कि भाद्रपद मास में गुड़,दही और उससे बने खाद्य पदार्थों के सेवन से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
  • भाद्रपद मास को भक्ति और साधना के लिए उपयुक्त माना जाता है। ऐसे में इस महीने लहसुन, प्याज, मांस और मदिरा का सेवन न करें।
  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद मास में दूसरों के दिए चावल खाने या नारियल के तेल का प्रयोग करने से घर में दरिद्रता आती है, इसलिए भूलकर भी ऐसा न करें।
  • भाद्रपद मास में रविवार के दिन नमक खाना और बाल कटवाना अशुभ माना जाता है, इसलिए इस नियम का भी विशेष ध्यान रखें।

भाद्रपद माह में पड़ने वाले संपूर्ण पर्व एवं व्रत

कजरी तीज – 12 अगस्त 2025, मंगलवार

  • ये व्रत भाद्रपद मास का पहला महत्वपूर्ण व्रत है। कजली या कजरी तीज भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (स्मार्त) – 15 अगस्त 2025, शुक्रवार

  • श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। स्मार्त परंपरा में इसे गृहस्थों द्वारा मनाया जाता है।

अजा एकादशी – 19 अगस्त 2025, मंगलवार

  • भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अजा एकादशी कहते हैं। यह व्रत पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति हेतु किया जाता है।

भाद्रपद अमावस्या – 23 अगस्त 2025, शनिवार

  • भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध आदि कर्म किए जाते हैं। यह पितरों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का प्रमुख दिन होता है।

हरतालिका तीज – 26 अगस्त 2025, मंगलवार

  • हरतालिका तीज का व्रत हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन देवी पार्वती की पूजा की जाती है और सुहाग की लंबी आयु की कामना की जाती है।

गणेश चतुर्थी – 27 अगस्त 2025, बुधवार

  • भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। इस दिन श्रीगणेश जी की स्थापना कर 10 दिवसीय उत्सव का प्रारंभ होता है।

ऋषि पंचमी – 28 अगस्त 2025, गुरुवार

  • भाद्रपद शुक्ल पंचमी को ऋषि पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन सप्तऋषियों की पूजा कर उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट की जाती है, विशेषकर स्त्रियों के लिए यह व्रत पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।

परिवर्तिनी एकादशी – 3 सितम्बर 2025, बुधवार

  • इस एकादशी को पद्मा एकादशी या देवझूलनी एकादशी भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हुए करवट बदलते हैं।

अनंत चतुर्दशी – 6 सितम्बर 2025, शनिवार

  • भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है। इसी दिन गणपति विसर्जन भी किया जाता है।

भाद्रपद पूर्णिमा – 7 सितम्बर 2025, रविवार

  • यह भाद्रपद मास की अंतिम तिथि होती है, जिसके बाद अश्विन मास का आरंभ होता है। इस दिन सत्यनारायण व्रत, दान-पुण्य और पितृ तर्पण का विशेष महत्व होता है।

तो यह थी भाद्रपद प्रारंभ से जुड़ी संपूर्ण जानकारी। आप भी इस पूरे मास सच्चे मन से भगवान शिव, श्री विष्णु, श्री कृष्ण व गणेश जी की पूजा अर्चना करें, अवश्य ही आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे। ऐसे ही व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' पर।

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Published by Sri Mandir·July 30, 2025

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