नवरात्रि के छठवें दिन माँ दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की आराधना की जाती है। जिन लड़कियों की शादी न हो रही हो या उसमें बाधा आ रही हो, वे कात्यायनी माता की उपासना करें।
आइए आज इस लेख में पढ़ें नवरात्रे के छठे दिन के बारे में जो माता के छठे स्वरूप देवी कात्यायनी को समर्पित है। आइए, जानते हैं नवरात्र के छठे दिन का महत्व, पूजा विधि और इससे जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी
शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि के इस पावन अनुष्ठान में उपवास करने से व्यक्ति का चित्त बेहद पवित्र होता है, साथ ही उसे मानसिक एवं आत्मिक शक्ति भी मिलती हैं। नवरात्री के नौं दिनों तक माता के नौं रूपों की आराधना करने से मनुष्य को जीवन के सभी सुखों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए आज इस लेख में पढ़ें नवरात्रे के छठे दिन के बारे में जो माता के छठे स्वरूप देवी कात्यायनी को समर्पित है। आइए, जानते हैं नवरात्र के छठे दिन का महत्व, पूजा विधि और इससे जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी।
नवरात्रि के छठवें दिन माँ दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की आराधना की जाती है। जिन लड़कियों की शादी न हो रही हो या उसमें बाधा आ रही हो, वे कात्यायनी माता की उपासना करें।
नवरात्र के छठे दिन माँ दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा का बहुत महत्व है। चैत्र नवरात्रि 2025 का छठा दिन 4 अप्रैल, शुक्रवार को होगा, इस दिन देवी कात्यायनी की पूजा होती है, जो महिषासुर का वध करने के लिए मां पार्वती के रूप में प्रकट हुईं। भक्त इस दिन देवी कात्यायनी की आराधना करते हैं और उनकी कथा सुनते हैं।
देवी कात्यायनी को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के छठे दिन शहद का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में मधुरता आती है। शहद का भोग मातारानी को भी अतिप्रिय है। ऐसे में आप शहद का प्रयोग कर के कद्दू का हलवा भी बना सकते हैं।
मां कात्यायनी का बीज मंत्र : क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।
पौराराणिक कथा के अनुसार वनमीकथ का नाम के महर्षि थे, उनका एक पुत्र था जिसका नाम कात्य रखा गया। इसके बाद कात्य गोत्र में महर्षि कात्यायन ने जन्म लिया, उनकी कोई संतान नहीं थी। उन्होंने मां भगवती को पुत्री के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की, महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर मां भगवती ने उन्हें साक्षात दर्शन दिया। कात्यायन ऋषि ने माता को अपनी मंशा बताई, देवी भगवती ने वचन दिया कि वह उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लेंगी।
जब तीनों लोक पर महिषासुर नामक दैत्य का अत्याचार बढ़ गया और देवी देवता उसके कृत्य से परेशान हो गए, तब ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव के तेज से माता ने महर्षि कात्यायन के घर जन्म लिया। इसलिए माता के इस स्वरूप को कात्यायनी के नाम से जाना जाता है। माता के जन्म के बाद कात्यायन ऋषि ने सप्तमी, अष्टमी और नवमी तीन दिनों तक मां कात्यायनी की विधिवत पूजा अर्चना की। इसके बाद मां कात्यायनी ने दशमी के दिन महिषासुर नामक दैत्य का वध कर तीनों लोक को उसके अत्याचार से बचाया।
ॐ जय कात्यायनी माँ…
मैया ॐ जय कात्यायनी माँ
पूजन माँ तेरे करते
पूजन माँ तेरे करते
दया माँ नित करना
ॐ जय कात्यायनी माँ
उमा, पार्वती, गौरी
दुर्गा तुम ही हो माँ
दुर्गा तुम ही हो माँ
चार भुजाधारी माँ
चार भुजाधारी माँ
गावें जन महिमा
ॐ जय कात्यायनी माँ
महिषासुर को मारा
देवों का अभय दिया
मैया देवों का अभय दिया
आया जो तुम्हरी शरण माँ
आया जो तुम्हरी शरण माँ
कष्टों से मुक्त हुआ
ॐ जय कात्यायनी माँ
शेर सवारी तुम्हारी
कमल खड्ग सोहे
मैया कमल खड्ग सोहे
अभयदान माँ देती
अभयदान माँ देती
छवि अति मन मोहे
ॐ जय कात्यायनी माँ
ब्रह्म स्वरूप माता
दोषों से मुक्त करो
मैया दोषों से मुक्त करो
दुर्गुण हर लो माता
दुर्गुण हर दो माता
भक्तों पे कृपा करो
ॐ जय कात्यायनी माँ
छठवें नवराते में
पूजे जन माता
मैया पूजे जन माता
गोधूलि बेला जे पावन
गोधूलि बेला जे पावन
ध्यावे जे सुख पाता
ॐ जय कात्यायनी माँ
हम अज्ञानी मैया
ज्ञान प्रदान करो
मैया ज्ञान प्रदान करो
कब से तुम्हें पुकारें
कब से तुम्हें पुकारें
माता दर्शन दो
ॐ जय कात्यायनी माँ
सर्व देव तुम्हें ध्याते
नमन करे सृष्टि
मैया नमन करे सृष्टि
हम भी करें गुणगान
हम भी करें गुणगान
कर दो माँ सुख वृष्टि
ॐ जय कात्यायनी माँ
कात्यायनी मैया की
आरती नित गाओ
आरती नित गाओ
भरेगी माँ भंडारे
भरेगी माँ भंडारे
चरणों में नित आओ
ॐ जय कात्यायनी माँ
ॐ जय कात्यायनी माँ
मैया जय कात्यायनी माँ
पूजन माँ तेरे करते
पूजन माँ तेरे करते
दया माँ नित करना
ॐ जय कात्यायनी माँ
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