क्या आप जानना चाहते हैं बंगाली विश्वकर्मा पूजा की खासियत? यहाँ पढ़ें पूजा की विधि, परंपराएँ और महत्व से जुड़ी संपूर्ण जानकारी।
बंगाली विश्वकर्मा पूजा: बंगाल में विश्वकर्मा पूजा विशेष श्रद्धा से मनाई जाती है। इस दिन औद्योगिक क्षेत्र, उपकरण और मशीनों की पूजा होती है। श्रमिक और कर्मचारी अपने कार्यस्थल पर भगवान विश्वकर्मा की आराधना कर भाग्य और सुरक्षा की कामना करते हैं।
भगवान विश्वकर्मा को इंजीनियरों, कारीगरों और मशीनों का रक्षक माना जाता है। विश्वकर्मा उत्सव बंगाली माह भाद्र के अंतिम दिन मनाया जाता है, जिसे भाद्र संक्रांति या कन्या संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व आमतौर पर सितंबर के मध्य में पड़ता है। विश्वकर्मा पूजा खासतौर पर उन राज्यों में धूमधाम से मनाई जाती है जहां औद्योगिक और शिल्पकलाओं का महत्व है, जैसे असम, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा और त्रिपुरा। इस दिन लोग भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना करते हैं, जिन्हें निर्माण और शिल्प कौशल का देवता माना जाता है। विश्वकर्मा पूजा का यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि कामगारों और शिल्पकारों के लिए भी गर्व का अवसर होता है। इस दिन अनेक कार्यशालाओं और फैक्ट्रियों में बंद रहता है ताकि सभी लोग श्रद्धा से भगवान विश्वकर्मा की पूजा कर सकें।
विश्वकर्मा पूजा का उद्देश्य कार्यस्थलों में समृद्धि, सुरक्षा और सफलता की कामना करना है। इस दिन औजारों, मशीनों और कार्यस्थलों की पूजा से कार्य में बाधाएं कम होती हैं और व्यवसाय में वृद्धि होती है। इसके अलावा इतिहास की बात करें तो भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि के पहले शिल्पकार और वास्तुकार माना जाता है। मान्यता है कि ब्रह्माजी के कहने पर उन्होंने सृष्टि का निर्माण किया और देवताओं के लिए विभिन्न महलों और यंत्रों की रचना की। यह पूजा विशेष रूप से श्रमिकों, कारीगरों, इंजीनियरों और उद्योगपतियों के लिए महत्वपूर्ण है। पूजा से मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और कार्यों में सफलता मिलती है।
विश्वकर्मा पूजा इस वर्ष 17 सितंबर 2025, बुधवार को मनाई जाएगी। यह पूजा आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ती है, जो कन्या संक्रांति के साथ मेल खाती है। कन्या संक्रांति का समय इस साल रात 01:55 बजे होगा। पूजा का यह समय शुभ और पवित्र माना जाता है।
पूजा के लिए आवश्यक सामग्री में भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या फोटो, लाल या पीले रंग का कपड़ा, फूल, तुलसी का पौधा, दीपक, अगरबत्ती, हल्दी, रोली, अक्षत, चंदन, फल, मिठाई और नारियल शामिल होते हैं। साथ ही, सभी औजार, मशीनें और उपकरण पूजा के लिए साफ-सफाई के बाद तैयार किए जाते हैं।
पूजा विधि इस प्रकार है: सबसे पहले पूजा स्थल को साफ-सुथरा करके लाल या पीले कपड़े से सजाएं और भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापित करें। गणेश जी की पूजा के बाद, विश्वकर्मा जी को तिलक लगाकर फूल-माला अर्पित करें। फिर अपने सभी औजारों, मशीनों और उपकरणों को हल्दी, रोली और फूल से सजाएं। दीपक और अगरबत्ती जलाकर “ॐ श्री विश्वकर्माय नमः” मंत्र का जाप करें। अंत में भगवान की आरती करें और प्रसाद अर्पित कर परिवार और सहकर्मियों में बांटें। पूजा के बाद कार्यस्थल और उपकरणों की सफाई आवश्यक होती है ताकि कार्य में निरंतरता और सफलता बनी रहे।
विश्वकर्मा पूजा से न केवल व्यवसाय में वृद्धि होती है, बल्कि यह कार्यस्थल पर सकारात्मक ऊर्जा और सुरक्षा भी प्रदान करती है। इस दिन की पूजा से कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं जो व्यक्तिगत और सामूहिक जीवन दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
व्यावसायिक सफलता: कार्यस्थल और उपकरणों की पूजा से मशीनों की देखभाल होती है, जिससे काम में बाधाएं कम होती हैं और व्यवसाय तेजी से बढ़ता है। सकारात्मक ऊर्जा: पूजा स्थल और कार्यस्थल को सजाने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे परिवार और कर्मचारियों का मन शांत और उत्साहित रहता है। सुरक्षा और दीर्घायु: औजारों और मशीनों की पूजा उनके सुरक्षित संचालन और दीर्घायु को सुनिश्चित करती है, जिससे कार्यस्थल पर दुर्घटनाओं की संभावना कम हो जाती है। आध्यात्मिक विकास: भगवान विश्वकर्मा की आराधना से भक्ति भाव बढ़ता है और व्यक्ति अपने कार्यों में अनुशासन और निष्ठा के साथ जुड़ता है। इसके अलावा पूजा से परिवार और समाज में मान-सम्मान बढ़ता है और सामूहिक सहयोग व सौहार्द्र की भावना मजबूत होती है।
भगवान विश्वकर्मा की पूजा विशेष रूप से कामगारों, कारीगरों और उनके उपकरणों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि यह पूजा विधिपूर्वक और श्रद्धा के साथ की जाए तो पूरे वर्ष कार्य बिना किसी बाधा के सफल होता है। विश्वकर्मा की कृपा से व्यवसाय और काम में मनचाही प्रगति संभव होती है, जिससे जीवन में स्थिरता और समृद्धि आती है।
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जानें विश्वकर्मा पूजा 2025 का शुभ मुहूर्त, पूजा का समय और महत्व। सही मुहूर्त में करें भगवान विश्वकर्मा की पूजा और पाएं सफलता व समृद्धि।
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