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Manasa Devi Stuti

क्या आप नागदोष, भय या रोग से परेशान हैं? मनसा देवी स्तुति से पाएं माँ का चमत्कारी आशीर्वाद और सुरक्षा – जानिए इसका पाठ और दिव्य लाभ।

मनसा देवी स्तुति के बारे में

मनसा देवी स्तुति नागों की देवी मनसा माता को समर्पित है। यह स्तुति सर्पदंश, भय और रोगों से रक्षा के लिए की जाती है। श्रद्धा से पाठ करने पर देवी कृपा करती हैं और सुख-शांति प्रदान करती हैं। इस लेख के माध्यम से जानते हैं इसके बारे में...

मनसा देवी स्तुति

मनसा देवी स्तुति हिन्दू धर्म में श्रद्धा और भक्ति से जुड़ी एक महत्वपूर्ण स्तुति है, जो देवी मनसा को समर्पित है। देवी मनसा को नागों की देवी, सर्पदोष निवारक और आरोग्य प्रदान करने वाली माता के रूप में पूजा जाता है।

विशेष रूप से सावन माह और नाग पंचमी के अवसर पर भक्तजन मनसा देवी की स्तुति कर उनसे सुरक्षा, सुख-समृद्धि और रोगों से मुक्ति की कामना करते हैं। यह स्तुति भक्तों के मन को शांत करती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। मनसा देवी की कृपा से विष, भय और दुर्भाग्य दूर होता है।

श्री मनसा देवी स्तोत्रम्

देवि त्वां स्तोतुमिच्छामि साध्वीनां प्रवरां पराम् ।

परात्परां च परमां न हि स्तोतुं क्षमोऽधुना ॥ 1 ॥

स्तोत्राणां लक्षणं वेदे स्वभावाख्यानतः परम् ।

न क्षमः प्रकृतिं वक्तुं गुणानां तव सुव्रते ॥ 2 ॥

शुद्धसत्त्वस्वरूपा त्वं कोपहिंसाविवर्जिता ।

न च शप्तो मुनिस्तेन त्यक्तया च त्वया यतः ॥ 3 ॥

त्वं मया पूजिता साध्वी जननी च यथाऽदितिः ।

दयारूपा च भगिनी क्षमारूपा यथा प्रसूः ॥ 4 ॥

त्वया मे रक्षिताः प्राणा पुत्रदाराः सुरेश्वरि ।

अहं करोमि त्वां पूज्यां मम प्रीतिश्च वर्धते ॥ 5 ॥

नित्यं यद्यपि पूज्या त्वं भवेऽत्र जगदंबिके ।

तथापि तव पूजां वै वर्धयामि पुनः पुनः ॥ 6 ॥

ये त्वामाषाढसंक्रांत्यां पूजयिष्यंति भक्तितः ।

पंचम्यां मनसाख्यायां मासांते वा दिने दिने ॥ 7 ॥

पुत्रपौत्रादयस्तेषां वर्धंते च धनानि च ।

यशस्विनः कीर्तिमंतो विद्यावंतो गुणान्विताः ॥ 8 ॥

ये त्वां न पूजयिष्यंति निंदंत्यज्ञानतो जनाः ।

लक्ष्मीहीना भविष्यंति तेषां नागभयं सदा ॥ 9 ॥

त्वं स्वर्गलक्ष्मीः स्वर्गे च वैकुंठे कमलाकला ।

नारायणांशो भगवान् जरत्कारुर्मुनीश्वरः ॥ 10 ॥

तपसा तेजसा त्वां च मनसा ससृजे पिता ।

अस्माकं रक्षणायैव तेन त्वं मनसाभिधा ॥ 11 ॥

मनसा देवि तु शक्ता चात्मना सिद्धयोगिनी ।

तेन त्वं मनसादेवी पूजिता वंदिता भवे ॥ 12 ॥

यां भक्त्या मनसा देवाः पूजयंत्यनिशं भृशम् ।

तेन त्वां मनसादेवीं प्रवदंति पुराविदः ॥ 13 ॥

सत्त्वरूपा च देवी त्वं शश्वत्सत्त्वनिषेवया ।

यो हि यद्भावयेन्नित्यं शतं प्राप्नोति तत्समम् ॥ 14 ॥

इदं स्तोत्रं पुण्यबीजं तां संपूज्य च यः पठेत् ।

तस्य नागभयं नास्ति तस्य वंशोद्भवस्य च ॥ 15 ॥

विषं भवेत्सुधातुल्यं सिद्धस्तोत्रं यदा पठेत् ।

पंचलक्षजपेनैव सिद्धस्तोत्रो भवेन्नरः ।

सर्पशायी भवेत्सोऽपि निश्चितं सर्पवाहनः ॥ 16 ॥

इति श्रीब्रह्मवैवर्ते महापुराणे प्रकृतिखंडे षट्चत्वारिंशोऽध्याये महेंद्र कृत श्री मनसादेवी स्तोत्रम् ॥

आस्तीकमुनि मंत्रः

सर्पापसर्प भद्रं ते गच्छ सर्प महाविष ।

जनमेजयस्य यज्ञांते आस्तीकवचनं स्मर ॥

मनसा देवी स्तुति पाठ विधि

मनसा देवी स्तुति पाठ के लिए, देवी को समर्पित एक मंदिर या पूजा स्थल पर जाएं। देवी की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें। उसके बाद, मनसा देवी के मंत्रों और स्तोत्रों का जाप करें। कुछ लोग मनसा देवी चालीसा का पाठ भी करते हैं।

  • पाठ करने से पहले प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पाठ स्थान को साफ़ रखें और शांत वातावरण में बैठें।
  • लकड़ी की चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर मनसा देवी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • पूजा में उपयोग होने वाली सभी आवश्यक सामग्री इकट्ठा करें, जैसे कि फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग) आदि।
  • मनसा देवी से प्रार्थना करें और अपने जीवन में सुख और समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगें।
  • मनसा देवी के मन्त्रों और स्तोत्रों का जाप करें।
  • कुछ लोग मनसा देवी चालीसा का पाठ भी करते हैं।
  • जल लेकर संकल्प करें कि आप मनसा देवी की स्तुति विधिपूर्वक पढ़ेंगे और उनसे कृपा की प्रार्थना करेंगे।
  • "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं मनसा देव्यै नमः" मंत्र से देवी का ध्यान करें और उनका आवाहन करें।

मनसा देवी स्तुति भक्तों को सर्पदोष, भय और रोगों से मुक्ति दिलाती है। श्रद्धा से किया गया यह पाठ जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है। जो भी भक्त मन से माता का स्मरण करता है, उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और देवी की कृपा सदैव बनी रहती है।

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Published by Sri Mandir·June 18, 2025

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