माता सिद्धिदात्री का बीज मंत्र क्या है?
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माता सिद्धिदात्री का बीज मंत्र क्या है?

क्या आप जानते हैं माता सिद्धिदात्री का बीज मंत्र कौन सा है और इसके जाप से भक्तों को क्या विशेष फल प्राप्त होते हैं? यहाँ पढ़ें पूरी जानकारी सरल और स्पष्ट शब्दों में।

माता सिद्धिदात्री के बीज मंत्र के बारे में

मां सिद्धिदात्री नवदुर्गा का नवम स्वरूप हैं, जो सिद्धियों और आध्यात्मिक शक्ति की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं। उनका बीज मंत्र साधना और ध्यान का विशेष साधन है, जिसके जप से मन की शांति, आत्मविश्वास और दिव्य ऊर्जा की प्राप्ति होती है। इस लेख में जानिए मां सिद्धिदात्री के बीज मंत्र का महत्व, इसके जप से मिलने वाले लाभ और इससे जुड़ी धार्मिक मान्यताएँ।

माता सिद्धिदात्री कौन हैं?

नवरात्रि के नौवें और अंतिम दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इनका नाम दो शब्दों से मिलकर बना है- सिद्धि अर्थात आध्यात्मिक और अलौकिक शक्तियां तथा दात्री अर्थात दान करने वाली। यानी माँ सिद्धिदात्री वे देवी हैं जो भक्तों को सिद्धियाँ और इच्छित फल प्रदान करती हैं। हिंदू शास्त्रों में बताया गया है कि माँ सिद्धिदात्री ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री शक्ति हैं। वे भगवान शिव को भी सिद्धियाँ प्रदान करती हैं, इसलिए शिव को अर्धनारीश्वर रूप मिला। माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप बहुत ही दिव्य और शांत है। इनके चार हाथ हैं। एक हाथ में चक्र, दूसरे में गदा, तीसरे में शंख और चौथे में पद्म (कमल का फूल) है। ये सिंह या कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं।

माँ सिद्धिदात्री की उपासना से भक्त को सभी प्रकार की सिद्धियाँ, आध्यात्मिक उन्नति, रोग-शोक से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो साधक पूरे श्रद्धा भाव से नवरात्रि का व्रत और पूजा करते हैं, उन्हें अंत में माता सिद्धिदात्री कृपा से अपार शांति और सफलता मिलती है।

माता सिद्धिदात्री का बीज मंत्र क्या है?

माता सिद्धिदात्री का बीज मंत्र - ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नमः॥

मंत्र का अर्थ

  • ॐ – सृष्टि का मूल स्वर, ब्रह्म का प्रतीक।

  • ऐं – विद्या, ज्ञान और बुद्धि का बीज।

  • ह्रीं – शक्ति, भक्ति और दिव्य ऊर्जा का प्रतिनिधि।

  • क्लीं – आकर्षण, समृद्धि और सिद्धि देने वाला बीजाक्षर।

  • सिद्धिदात्र्यै नमः – उन माँ सिद्धिदात्री को नमन, जो सभी प्रकार की सिद्धियाँ और इच्छित फल प्रदान करती हैं।

इस मंत्र का जप करने से साधक को आध्यात्मिक शक्तियाँ, ज्ञान, मानसिक शांति और भौतिक जीवन में सफलता मिलती है। कहा जाता है कि इस मंत्र का नवरात्रि में विशेष रूप से जप करने से माँ सिद्धिदात्री प्रसन्न होकर सभी बाधाओं को दूर करती हैं और जीवन में समृद्धि लाती हैं।

बीज मंत्र का अर्थ और महत्व

बीज मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नमः॥

मंत्र का अर्थ

  • ॐ – परमात्मा और सृष्टि का आद्य ध्वनि रूप, जो सभी ऊर्जा का स्रोत है।

  • ऐं – यह सरस्वती का बीजाक्षर है, जो ज्ञान, विद्या और बुद्धि का दाता है।

  • ह्रीं – शक्ति, भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक।

  • क्लीं – आकर्षण, प्रेम और इच्छापूर्ति का बीजाक्षर।

  • सिद्धिदात्र्यै नमः – उन देवी को नमन, जो सभी सिद्धियाँ और सफलता प्रदान करती हैं।

मंत्र का महत्व

इस बीज मंत्र के जप से भक्त को 8 प्रकार की सिद्धियाँ और 18 प्रकार की दुर्लभ आध्यात्मिक शक्तियाँ प्राप्त होती हैं। साधक के मन से भय, नकारात्मकता और संदेह दूर होते हैं। आध्यात्मिक साधना में प्रगति होती है और ध्यान में स्थिरता मिलती है। सांसारिक जीवन में समृद्धि, सौभाग्य और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस मंत्र का जप नवरात्रि के नवें दिन विशेष फलदायी माना जाता है।

बीज मंत्र जप विधि

  • सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थान को पवित्र करें।

  • माँ सिद्धिदात्री की मूर्ति/चित्र के सामने दीपक जलाएँ, पुष्प, चंदन और नैवेद्य अर्पित करें।

  • उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुशासन, ऊन या लाल आसन पर बैठें।

  • रुद्राक्ष या स्फटिक (क्रिस्टल) की माला से जप करें।

  • प्रतिदिन कम से कम 108 बार (1 माला) जप करें। विशेष साधना के लिए 5 या 11 माला जप लाभकारी है।

  • ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) या रात्रि के शांत समय में जप करना श्रेष्ठ है।

  • जप करते समय मन में श्रद्धा, शांति और ध्यान होना चाहिए। निरंतरता बनाए रखना विशेष फलदायी है।

माता सिद्धिदात्री बीज मंत्र जप के लाभ

  • इस मंत्र के नियमित जप से भक्त को अष्टसिद्धि और नव निधि की प्राप्ति मानी जाती है।

  • जप से मन एकाग्र होता है, साधना में स्थिरता आती है और साधक आध्यात्मिक रूप से प्रगति करता है।

  • जीवन में आने वाले भय, रोग और विघ्न दूर होते हैं तथा साहस और आत्मबल की वृद्धि होती है।

  • ‘ऐं’ बीजाक्षर से विद्या और विवेक की प्राप्ति होती है। विद्यार्थी और साधक दोनों को विशेष लाभ मिलता है।

  • साधक के जीवन में सुख-समृद्धि, धन-धान्य और सौभाग्य की वृद्धि होती है।

  • यह मंत्र ‘क्लीं’ बीजाक्षर से आकर्षण और इच्छापूर्ति की शक्ति प्रदान करता है।

  • अंततः साधक को मोक्ष मार्ग में सहूलियत मिलती है और जीवन में गहरी शांति अनुभव होती है।

माता सिद्धिदात्री का बीज मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नमः॥‘ साधक को ज्ञान, शक्ति और सिद्धियों की प्राप्ति का मार्ग दिखाता है। इसका जप न केवल मानसिक शांति और आत्मबल प्रदान करता है बल्कि जीवन की बाधाओं को दूर कर समृद्धि और सौभाग्य भी लाता है। नवरात्रि के नवें दिन विशेष रूप से इस मंत्र का जाप करने से देवी की कृपा से इच्छापूर्ति और मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है। श्रद्धा और भक्ति भाव से किया गया मंत्र जप साधक को सांसारिक और आध्यात्मिक दोनों ही स्तरों पर संतुलन और सफलता प्रदान करता है।

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Published by Sri Mandir·September 26, 2025

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