क्या आप जानते हैं माता शैलपुत्री का बीज मंत्र कौन सा है और इसके जाप से भक्तों को क्या लाभ प्राप्त होते हैं? यहाँ पढ़ें पूरी जानकारी सरल शब्दों में।
माँ शैलपुत्री का बीज मंत्र है "ॐ शैलपुत्र्यै नमः"। यह मंत्र साधक को स्थिरता, शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है। नियमित जप से जीवन में संतुलन आता है और मनोबल बढ़ता है। माता की कृपा से संकट दूर होते हैं।
ढोल-नगाड़ों की थाप, भजनों की गूंज, दीपों की रोशनी और भक्तों की आस्था से सजे गलियारों में जब शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ होता है, तो वातावरण दिव्यता और उत्साह से भर उठता है। जी हां, शारदीय नवरात्रि का पावन महापर्व आने को है। नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ दिव्य स्वरूपों की उपासना और दसवें दिन विजयादशमी का उत्सव—यह पर्व केवल अनुष्ठानों का नहीं, बल्कि आस्था, शक्ति और भारतीय सांस्कृतिक परंपरा के अद्भुत संगम का प्रतीक है।
साल 2025 में शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर, सोमवार से आरंभ होकर 2 अक्टूबर, गुरुवार तक श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई जाएगी।
मां शैलपुत्री नवदुर्गा का पहला स्वरूप हैं। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें "शैलपुत्री" कहा गया। पूर्व जन्म में ये प्रजापति दक्ष की कन्या सती थीं, जिन्होंने भगवान शिव से विवाह किया था। सती के पुनर्जन्म के बाद इन्हें शैलपुत्री नाम से जाना गया। इनका वाहन वृषभ (बैल) है, इसलिए इन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है। मां शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल सुशोभित है। इन्हें सती, पार्वती और हैमवती के नामों से भी जाना जाता है।
नवरात्रि की आराधना की शुरुआत माँ शैलपुत्री से ही होती है। देवी के इस स्वरूप को शक्ति, भक्ति और तपस्या का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि नवरात्रि के प्रथम दिन शैलपुत्री की पूजा से साधक का मन शुद्ध होता है और उसे आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है। यही कारण है कि नवरात्रि की पूजा की नींव माँ शैलपुत्री के चरणों में अर्पित की जाती है।
नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के साथ माँ शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व होता है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। मान्यता है कि नवरात्रि में व्रत करने वाले ही नहीं, बल्कि वे लोग भी जो व्रत नहीं कर पाते, यदि श्रद्धापूर्वक मंत्र जप करें तो उन्हें माँ का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
माँ शैलपुत्री की आराधना में सबसे प्रमुख बीज मंत्र माना गया है: "ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः।"
माता शैलपुत्री के बीज मंत्र का जप करते समय यह ध्यान रखें कि उच्चारण शुद्ध और स्पष्ट हो
बीज मंत्र जप साधना का अत्यंत शक्तिशाली माध्यम माना जाता है। इसके नियमित जप से साधक को देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।माता शैलपुत्री के बीज मंत्र जप के विशेष लाभ हैं -
नवरात्रि में माता शैलपुत्री की आराधना और उनके बीज मंत्र का जाप साधक को शक्ति, धैर्य और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है। बीज मंत्र जहां दिव्य ऊर्जा को जागृत कर साधक को मानसिक शांति और ग्रह दोषों से मुक्ति दिलाते हैं, वहीं श्रद्धा से की गई पूजा जीवन में सुख, समृद्धि और मनोकामना सिद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है। माँ शैलपुत्री की कृपा से भक्तों को अटूट आशीर्वाद, परिवार में सौहार्द, स्वास्थ्य, समृद्धि और जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है।
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