माँ सिद्धिदात्री की कथा
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मां सिद्धिदात्री की कथा

नवरात्रि के नौवें दिन पूजी जाने वाली माँ सिद्धिदात्री की पावन कथा, स्वरूप और पूजन विधि जानें। उनकी कृपा से भक्तों को प्राप्त होती हैं सभी सिद्धियाँ, आत्मबल और जीवन में सफलता।

मां सिद्धिदात्री के बारे में

नवरात्रि के नौ दिनों में प्रत्येक दिन माँ दुर्गा के एक विशेष स्वरूप की पूजा की जाती है। अंतिम दिन अर्थात् महानवमी को माँ के नौवें स्वरूप ‘माँ सिद्धिदात्री’ की आराधना होती है। माँ सिद्धिदात्री को सभी सिद्धियां प्रदान करने वाली माना गया है। मान्यता है कि जो साधक श्रद्धापूर्वक माँ का स्मरण करते है, उनके समस्त दुख दूर हो जाते हैं और जीवन सुखमय होता है। महानवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री की कथा का श्रवण करना भी विशेष फलदायी माना गया है।

मां सिद्धिदात्री से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार जब सृष्टि की उत्पत्ति हुई, तब देवता, दैत्य और ऋषि-मुनि सभी तपस्या करके शक्तियाँ प्राप्त करना चाहते थे। दैत्यों की शक्ति बढ़ने लगी और तीनों लोकों में अत्याचार होने लगे। तब सभी देवता भगवान विष्णु और भगवान शिव के पास पहुँचे और समाधान की याचना की। तभी देवताओं के तेज से एक देवी प्रकट हुईं, जिनका नाम पड़ा माँ सिद्धिदात्री। वे सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करने वाली थीं और उनके आशीर्वाद से देवताओं को शक्ति मिली, जिससे वे दैत्यों का संहार कर सके।

मार्कण्डेय पुराण में वर्णन आता है कि भगवान शिव ने भी माँ सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर माँ ने शिव को आठों सिद्धियाँ प्रदान कीं- अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, ईशित्व और वशित्व। इन सिद्धियों को पाकर भगवान शिव त्रिलोक में सर्वशक्तिमान हो गए। माँ की कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हो गया और वे अर्धनारीश्वर कहलाए। यह रूप इस सत्य का प्रतीक बना कि शक्ति के बिना शिव अधूरे हैं और शिव के बिना शक्ति अधूरी है। दोनों के संयोग से ही सृष्टि का संचालन संभव है।

माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप अत्यंत दिव्य और शुभ माना जाता है। वे कमल के फूल पर आसीन रहती हैं। उनकी चार भुजाएँ हैं- एक हाथ में चक्र, दूसरे में गदा, तीसरे में शंख और चौथे हाथ में कमल पुष्प है। वे गौरवर्णी हैं और उन्हें लाल व बैंगनी वस्त्र प्रिय हैं। माँ का तेज समस्त ब्रह्मांड को आलोकित करता है और उनके दर्शन मात्र से भक्तों के संकट दूर होते हैं और उनका कल्याण होता है।

मान्यता है कि भक्त यदि सच्चे मन और श्रद्धा से माँ सिद्धिदात्री की आराधना करें तो जीवन में उन्हें कभी असफलता का सामना नहीं करना पड़ता। साधक चाहे सांसारिक सुख की चाह रखते हों या आध्यात्मिक मार्ग पर बढ़ना चाहते हों, माँ सिद्धिदात्री की कृपा से उन्हें सफलता अवश्य मिलती है। हमारी कामना है कि आपकी उपासना से मां प्रसन्न हों और आपको सुख, समृद्धि प्रदान करें। शुभ नवरात्रि!

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Published by Sri Mandir·September 23, 2025

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