क्या आप जानते हैं माँ महागौरी को कौन सा फल सबसे प्रिय है और इसे अर्पित करने से भक्तों को क्या फल प्राप्त होते हैं? यहाँ पढ़ें पूरी जानकारी सरल और स्पष्ट शब्दों में।
मां महागौरी नवदुर्गा का आठवां स्वरूप हैं, जो शुद्धता, शांति और सौम्यता की प्रतीक हैं। उनका प्रिय रंग निर्मलता और दिव्यता का संदेश देता है। भक्त इस रंग को धारण करके जीवन में मानसिक शांति, सकारात्मकता और सुख-समृद्धि की अनुभूति करते हैं। इस लेख में जानिए मां महागौरी के इस रंग का महत्व, उससे जुड़ी धार्मिक मान्यताएँ और भक्तों के लिए विशेष संदेश।
नवरात्रि का आठवाँ दिन माँ दुर्गा के आठवें स्वरूप ‘माँ महागौरी’ को समर्पित है। “महागौरी” शब्द का अर्थ है अत्यंत गौरवर्णी, उज्जवल और श्वेत आभा से युक्त। माँ का स्वरूप श्वेत चाँदनी की तरह निर्मल और शांति प्रदान करने वाला माना गया है। मां चार भुजाओं वाली, श्वेत वस्त्रों से सुसज्जित और वृषभ पर आरूढ़ रहती हैं। एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में डमरू, तीसरे में वरमुद्रा और चौथे में अभयमुद्रा के साथ माँ महागौरी का रूप भक्तों को आश्वस्त करता है कि वे उनकी रक्षा और कल्याण के लिए सदैव उपस्थित हैं।
पुराणों में वर्णन मिलता है कि जब माँ पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए घोर तप किया तो उनका रंग तपस्या से काला हो गया। भगवान शिव ने गंगाजल से स्नान कराकर उन्हें उनके वास्तविक गौरवर्ण रूप में पुनः परिवर्तित किया और तभी से वे महागौरी नाम से जानी गईं।
धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार माँ महागौरी को ‘नारियल’ विशेष रूप से प्रिय है। इसी कारण नवरात्रि के आठवें दिन उन्हें नारियल विशेष रूप से अर्पित करने का विधान है।
नारियल को सनातन धर्म में शुभ और पवित्र फल माना गया है। इसे "श्रीफल" भी कहा जाता है और यह समर्पण, पवित्रता तथा पूर्णता का प्रतीक है। मान्यता है भक्तों द्वारा जब देवी को नारियल अर्पित किया जाता है तो यह उनके संपूर्ण समर्पण और माता की कृपा के प्रति आभार व्यक्त करने का प्रतीक होता है।
नारियल के साथ-साथ माँ महागौरी को कुछ अन्य सामग्री भी चढ़ाई जाती है, जो जातक की श्रद्धा और क्षेत्रीय परंपराओं के अनुसार भिन्न-भिन्न हो सकती है:
नारियल से बने व्यंजन: नारियल से बने व्यंजन जैसे नारियल लड्डू, नारियल की बर्फी या नारियल की खीर का भोग भी माता महागौरी का प्रिय माना गया है।
दूध व खीर: सफेद रंग शुद्धता का प्रतीक है। इसलिए दूध से बने व्यंजन माता महागौरी को विशेष रूप से अर्पित किए जाते हैं।
काला चना व पूड़ी-हलवा: नवरात्रि की अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन के समय काले चने और पूड़ी-हलवा का भोग अर्पित करने का विशेष महत्व है।
श्वेत पुष्प: माता महागौरी की पूजा में सफेद फूल चढ़ाने का भी विशेष महत्व है। भक्त मां को चमेली व अन्य सफेद रंग के फूल अर्पित कर सकते हैं।
पूजा के समय भोग चढ़ाना भक्ति, समर्पण और निष्ठा का प्रतीक है। जब भक्त माँ महागौरी को नारियल अर्पित करते हैं तो इसका अर्थ है कि वह अपने जीवन की कठोरताओं, पापों और नकारात्मकता को त्यागकर, अपनी आत्मा की शुद्धता देवी के चरणों में अर्पित कर रहे हैं।
मान्यता है कि माँ महागौरी को नारियल अर्पित करने से
प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगाजल या स्वच्छ जल से पवित्र करें और सफेद वस्त्र बिछाएं।
माँ महागौरी का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें। उनके समक्ष दीपक जलाएँ और धूप-दीप अर्पित करें।
इसके बाद माता महागौरी को सफेद फूल अर्पित करें और कुमकुम या रोली से उनका तिलक करें।
अब माता के प्रिय फल नारियल को अच्छे से धोकर देवी को भोग स्वरूप अर्पित करें।
माँ महागौरी के मंत्र “ॐ देवी महागौर्यै नमः” का जप करें। इसके बाद देवी की आरती करें।
भोग लगाने के बाद नारियल को या तो किसी ब्राह्मण को दे देना चाहिये या फिर आप इसे अपने कुटुंब में ही प्रसाद के रूप में वितरित कर सकते हैं।
पापों से मुक्ति: नारियल अर्पित करने से जीवन में किए गए पाप क्षीण होते हैं और मन की अशुद्धियाँ दूर होती हैं।
मानसिक शांति: भोग अर्पित करने से व्यक्ति के भीतर की नकारात्मकता कम होती है और मन में शांति व संतुलन आता है।
पारिवारिक सुख-शांति: जिन परिवारों में अक्सर तनाव या कलह होती है, वहाँ माँ महागौरी की पूजा और भोग अर्पण से सामंजस्य व प्रेम बढ़ता है।
सुखमय वैवाहिक जीवन: विवाहित स्त्रियों के लिए माँ महागौरी का पूजन और नारियल का अर्पण विवाह में सुख-समृद्धि व सौभाग्य प्रदान करता है। मान्यता है कि माता की पूजा से अविवाहित कन्याओं को भी योग्य जीवनसाथी की भी प्राप्ति होती है।
संतान सुख की प्राप्ति: ये भी मान्यता है कि माँ महागौरी की पूजा करने से संतान की इच्छा रखने वाले दंपति को संतान सुख प्राप्त होता है।
संकटों से मुक्ति: नारियल का भोग अर्पित करने से जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ और बाधाएँ दूर होती हैं। जातक के रुके हुए काम पूर्ण होते हैं, और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
आर्थिक उन्नति: मान्यता है कि नारियल अर्पित करने से घर-परिवार में लक्ष्मी का वास होता है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
सकारात्मक ऊर्जा का संचार: नारियल को शुभ फल माना जाता है। इसे देवी को अर्पित करने से घर के वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
ये थी माता महागौरी के स्वरूप, महत्व व प्रिय भोग से जुड़ी विशेष जानकारी। इस नवरात्रि आप भी विधि विधान से माता की आराधना करें। हमारी कामना है मां महागौरी आपपर सदा अपना आशीर्वाद बनाए रखें, और सम्पन्नता व सौभाग्य का वरदान दें।
Did you like this article?
नवरात्रि के आठवें दिन पूजित माँ महागौरी की पूजा में विशेष भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है। जानिए माँ महागौरी को कौन-सा भोग प्रिय है और इससे भक्तों को मिलने वाले लाभ।
नवरात्रि के सातवें दिन पूजित माँ कालरात्रि का वाहन साँप है। जानिए माँ कालरात्रि के वाहन का महत्व, उसका प्रतीकात्मक अर्थ और भक्तों को मिलने वाले लाभ।
नवरात्रि के छठे दिन पूजित माँ कात्यायनी का प्रिय रंग बहुत विशेष माना जाता है। जानिए कात्यायनी माता का पसंदीदा रंग कौन सा है और इस रंग का धार्मिक महत्व क्या है।