क्या आप जानते हैं माँ चंद्रघंटा को कौन सा फल सबसे प्रिय है और पूजा में इसका अर्पण करने से भक्तों को क्या फल प्राप्त होते हैं? यहाँ पढ़ें पूरी जानकारी सरल शब्दों में।
माँ चंद्रघंटा को सेब प्रिय फल माना जाता है। सेब को भोग स्वरूप अर्पित करने से साधक के जीवन में स्वास्थ्य, दीर्घायु और ऊर्जा की वृद्धि होती है। साथ ही माँ की कृपा से घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
नवरात्रि, नौ दिनों का एक ऐसा महापर्व है जो देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना का अवसर प्रदान करता है। इस पावन पर्व के तीसरे दिन, माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। ‘चंद्रघंटा‘ नाम दो शब्दों से मिलकर बना है: ‘चंद्र‘ यानी चंद्रमा और ‘घंटा’ यानी घंटा। उनके मस्तक पर अर्धचंद्र घंटे के आकार में सुशोभित है, इसीलिए उन्हें यह नाम मिला है। माँ चंद्रघंटा का स्वरूप जितना शांत और सौम्य है, उतना ही उनका युद्धक रूप भी है, जो बुराई का नाश करने वाला है।
माँ चंद्रघंटा देवी दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं। उनकी महिमा और महत्व को कई पौराणिक कथाओं में बताया गया है।
स्वरूप: उनका शरीर स्वर्ण के समान चमकदार है। उनके दस हाथ हैं, जिनमें से प्रत्येक में अलग-अलग अस्त्र-शस्त्र सुशोभित हैं। उनके हाथों में कमल, कमंडल, बाण, धनुष, गदा, तलवार, त्रिशूल और जपमाला है, जबकि एक हाथ वरमुद्रा में है। वह बाघ पर सवार हैं, जो उनकी अदम्य शक्ति और साहस का प्रतीक है। उनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, जिसकी ध्वनि राक्षसों को भयभीत करती है।
महत्व: माँ चंद्रघंटा भक्तों को शांति, साहस और निर्भयता प्रदान करती हैं। उनकी पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से सभी भय, कष्ट और नकारात्मकता दूर होती है। वह भक्तों के मन को शांत और एकाग्र करती हैं, जिससे वे आध्यात्मिक पथ पर आसानी से आगे बढ़ सकते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा को सेब का भोग लगाना सबसे शुभ माना जाता है। सेब को स्वास्थ्य, जीवन शक्ति और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। देवी को यह फल अर्पित करने से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से शक्ति प्राप्त होती है।
इसके अलावा, कुछ परंपराओं में देवी को लाल रंग के फल, जैसे अनार और जामुन, भी अर्पित किए जाते हैं।
माँ चंद्रघंटा को सेब और लाल रंग के फल अर्पित करने के पीछे कुछ विशेष धार्मिक और प्रतीकात्मक महत्व हैं:
माँ चंद्रघंटा को उनके प्रिय फल, विशेषकर सेब, अर्पित करने से भक्तों को कई लाभ मिलते हैं:
रोगों से मुक्ति: यह माना जाता है कि सेब का भोग लगाने से भक्त और उसके परिवार को रोगों से मुक्ति मिलती है और वे स्वस्थ रहते हैं। मानसिक शांति: देवी को फल अर्पित करने से मन शांत और एकाग्र होता है, जिससे तनाव और चिंता दूर होती है। आत्मविश्वास में वृद्धि: माँ चंद्रघंटा की पूजा से भक्तों में साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है। पापों का नाश: सच्चे मन से किया गया भोग और पूजा भक्तों के पापों का नाश करती है और उन्हें पुण्य प्रदान करती है। मनोकामना पूर्ति: देवी को प्रिय फल अर्पित करने से वे शीघ्र प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
नवरात्रि के तीसरे दिन, जो देवी दुर्गा को समर्पित नौ रातों और दिनों का तीसरा दिन है, माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है।
सुबह स्नान और संकल्प: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। फिर पूजा का संकल्प लें। देवी का आह्वान: पूजा स्थान पर माँ चंद्रघंटा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। उन्हें रोली, अक्षत, फूल और जल अर्पित करके उनका आह्वान करें। भोग अर्पित करें: पूजा के बाद उन्हें उनके प्रिय फल (सेब) और अन्य भोग, जैसे दूध और खीर, अर्पित करें। मंत्र जाप और आरती: घी का दीपक जलाकर उनके मंत्रों का जाप करें और अंत में श्रद्धापूर्वक उनकी आरती करें। मुख्य मंत्र: “ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः।”
माँ चंद्रघंटा की पूजा भक्तों को शक्ति, साहस और आंतरिक शांति प्रदान करती है। उनकी पूजा का तीसरा दिन हमें यह सिखाता है कि जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए साहस के साथ-साथ मन की शांति भी आवश्यक है। उनके प्रिय फल, सेब का भोग लगाकर हम न केवल देवी को प्रसन्न करते हैं, बल्कि अपने जीवन में स्वास्थ्य, ऊर्जा और निर्भयता का भी आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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