जगन्नाथ पुरी मंदिर का ध्वज
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जगन्नाथ पुरी मंदिर का ध्वज

क्या आपने सुना है उस ध्वज के बारे में जो हवा के विपरीत दिशा में लहराता है? जानिए जगन्नाथ मंदिर के ध्वज से जुड़ा रहस्य और आस्था की शक्ति।

जगन्नाथ पुरी मंदिर के ध्वज के बारे में

पुरी का जगन्नाथ मंदिर न केवल अपनी भव्यता बल्कि उससे जुड़ी कई चमत्कारिक घटनाओं के लिए भी प्रसिद्ध है। इन्हीं में से एक रहस्य ऐसा है जो हर किसी को हैरान कर देता है और वो है मंदिर के ध्वज का हवा के विपरीत दिशा में लहराना, जिसका वैज्ञानिक भी सटीक कारण नहीं बता पाए हैं। अगर आप जानना चाहते हैं इस चमत्कार के पीछे की कहानी तो पढ़ें हमारे इस आर्टिकल को जहां मिलेंगे सभी जवाब तो आइये और जानिए।

पुरी के जगन्नाथ मंदिर का झंडा हवा के उल्टी दिशा में क्यों लहराता है? जानिए रहस्य

आप लोगों ने आमतौर पर मंदिर या किसी भी झंडे को हवा की दिशा में लहराता देखा होगा, लेकिन जगन्नाथ मंदिर में मौसम चाहे जैसा भी हो, आंधी चले या हल्की सी हवा, मंदिर का झंडा हमेशा हवा के ठीक विपरीत दिशा में ही लहराता है। अब सवाल उठता है आखिर ऐसा क्यों, कोई चमत्कार या गहरा रहस्य। तो आइये जानते हैं।

वास्तुकला और हवा का खेल

जानकारी के अनुसार, वैज्ञानिकों का मानना है कि जगन्नाथ मंदिर की बनावट इतनी अनोखी है कि इसके आसपास की हवा एक खास तरह का घुमाव बना लेती है। इसी कारण यहां एयर टनल इफेक्ट उत्पन्न होता है। इसकी वजह से हवा की दिशा बार-बार बदलती है और झंडा सामान्य दिशा के विपरीत लहराने लगता है।

आस्था और चमत्कार

भक्तों के अनुसार, यह कोई सामान्य घटना नहीं, बल्कि भगवान जगन्नाथ की उपस्थिति और चमत्कार का संकेत है। उनका मानना है कि जब भगवान स्वयं मंदिर में विराजमान हैं, तो प्रकृति भी उनके नियमों को मानती है।

पवनपुत्र की महिमा

मान्यताओं के अनुसार, हनुमानजी इस क्षेत्र की दिशाओं की रक्षा करते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, उन्होंने मंदिर में समुद्र की गर्जना को रोकने के लिए एक विशेष शक्ति का उपयोग किया था, जिससे हवा की दिशा बदल गई थी तभी से माना जाता है कि मंदिर के झंडे की दिशा बदल गई और यह हवा की उल्टी दिशा में लहराने लगा।

पुरी के ध्वज का आध्यात्मिक महत्व और धार्मिक मान्यताएँ

पुरी का जगन्नाथ मंदिर न केवल अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां हर दिन फहराया जाने वाला ध्वज जिसे पतितपावन बाना भी कहा जाता है वो गहरा आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व रखता है।

ध्वज का आध्यात्मिक महत्व

यह ध्वज भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा का प्रतिनिधित्व करता है। इसे भगवान के प्रति श्रद्धा, भक्ति और सम्मान का प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि ध्वज दिनभर मंदिर के आसपास की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।

ध्वज से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं

कई मान्यताओं के अनुसार, ध्वज की यह विशेषता हनुमान जी से जुड़ी हुई है। वे पवनपुत्र हैं और ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने हवा की दिशा को बदल दिया था ताकि समुद्र की आवाज भगवान को परेशान न करे। वहीं, एक अन्य कथा के अनुसार, गरुड़ देव, जो भगवान विष्णु के वाहन हैं, मंदिर के ध्वज की रक्षा करते हैं। इसी कारण पक्षी मंदिर के शिखर के ऊपर से उड़ने से बचते हैं।

जगन्नाथ मंदिर में हर दिन झंडा क्यों बदला जाता है और कौन चढ़ाता है?

पुरी के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर में हर दिन झंडा बदलने की परंपरा बहुत पुरानी है। यह परंपरा लगभग 800 सालों से चली आ रही है और इसका गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। मंदिर के शिखर पर लगभग 214 फीट ऊंचाई पर एक 20 फीट लंबा त्रिकोणीय ध्वज फहराया जाता है, जिसे हर दिन बदला जाता है। मान्यता अनुसार, एक बार भगवान जगन्नाथ ने एक भक्त को सपने में बताया कि उनका झंडा फट गया है। जब अगले दिन मंदिर के पुजारियों ने देखा, तो झंडा सच में फटा हुआ था। तभी से यह नियम बना कि हर दिन नया झंडा फहराया जाएगा। वहीं, इस झंडे को बदलने का काम एक खास परिवार करता है जिसे चोला परिवार कहा जाता है। यह परिवार पीढ़ियों से इस सेवा को निभा रहा है।

जगन्नाथ मंदिर झंडे से जुड़े 3 चमत्कारी तथ्य

  • हवा के विपरीत दिशा में लहराता है झंडा: यह सबसे आश्चर्यजनक बात है कि जगन्नाथ मंदिर का झंडा हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है। चाहे हवा किसी भी दिशा से चले, झंडा उसका उल्टा करता है। यह घटना आज भी वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य और अबूझ पहेली बनी हुई है।

  • बिना सुरक्षा के उल्टा चढ़कर झंडा बदलना: हर दिन सायंकाल मंदिर के शीर्ष पर स्थित झंडा बदला जाता है। यह कार्य बिना किसी आधुनिक उपकरण या सुरक्षा साधनों के किया जाता है। विशेष रूप से प्रशिक्षित सेवादार मंदिर की ऊंची गुम्बद पर उल्टा चढ़ते हैं और ध्वज को बदलते हैं।

  • बंद न हो जाए मंदिर: कहा जाता है कि यदि किसी एक भी दिन मंदिर के शिखर पर ध्वज न फहराया जाए, तो मंदिर अगले 18 वर्षों के लिए बंद हो जाएगा। हालांकि, यह बात सुनने में भले ही असामान्य लगे, लेकिन श्रद्धालुओं के लिए यह आस्था और परंपरा का अटूट नियम बन चुका है। यही कारण है कि हर हालात में चाहे बारिश हो, तूफान हो या कोई आपात स्थिति मंदिर का ध्वज हर दिन निश्चित रूप से बदला जाता है।

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Published by Sri Mandir·June 23, 2025

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