गंगोत्री मंदिर के कपाट 2026 में कब खुलेंगे?
image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

गंगोत्री मंदिर के कपाट 2026 में कब खुलेंगे?

गंगोत्री धाम चार धामों में से एक है, जहाँ से भागीरथी नदी की उत्पत्ति मानी जाती है। जानिए 2026 में गंगोत्री मंदिर के कपाट खुलने की तिथि और दर्शन की संपूर्ण जानकारी।

गंगोत्री धाम के बारे में

हिमालय के अंदर बसे गंगोत्री धाम को सबसे पवित्र तीर्थ माना जाता है, क्योंकि यहीं पर गंगा नदी पहली बार धरती पर उतरती है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, देवी गंगा ने राजा भगीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर, उनके पूर्वजों के पाप धोने के लिए नदी का रूप लिया और धरती पर आई थीं।

गंगोत्री मंदिर

हिमालय के अंदर स्थित गंगोत्री धाम एक बहुत ही पवित्र तीर्थ स्थल है, जहाँ गंगा नदी पहली बार धरती को छूती है। हिंदू कथाओं के अनुसार, देवी गंगा ने राजा भगीरथ की कठोर तपस्या के बाद उनके पूर्वजों के पाप धोने के लिए नदी का रूप लिया। जब गंगा धरती पर उतरने लगी, तो उसके वेग को कम करने के लिए भगवान शिव ने उसे अपनी जटाओं में समा लिया। इसके बाद वह गंगा “भागीरथी” नाम से जानी जाने लगी।

गंगोत्री मंदिर का महत्व एवं इतिहास

गंगोत्री मंदिर हिंदू धर्म का एक बहुत ही पवित्र तीर्थ स्थल है। यह मंदिर गंगा नदी की उत्पत्ति से जुड़ा हुआ है, जिसे जीवन देने वाली नदी माना जाता है। यहां मां गंगा की पूजा की जाती है। ऐसा विश्वास है कि इस जगह दर्शन और पूजा करने से पाप मिटते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह मंदिर चार धामों में से एक है और हर साल हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं।

गंगोत्री का पवित्र मंदिर 18वीं शताब्दी में गढ़वाल के राजा अमर सिंह थापा द्वारा निर्मित कराया गया था। हिंदुओं का यह मंदिर हिमालय की ऊँचाई पर बना हुआ है और समुद्र तल से लगभग 3,100 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसा माना जाता है कि यहीं पर देवी गंगा ने पृथ्वी पर अपना पहला पग रखा था। ऐसा माना जाता है कि राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए वर्षों तक कठोर तपस्या की थी, जिसके फलस्वरूप मां गंगा ने धरती पर आने का वचन दिया। जब गंगा धरती पर उतरीं, तो उन्होंने इसी स्थान को छूकर भागीरथ की तपस्या को सफल किया। इसलिए इस स्थान पर बहने वाली गंगा को भागीरथी नदी कहा जाता है।

हर साल अक्षय तृतीया के शुभ दिन मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं। सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण दीपावली के समय मंदिर बंद कर दिया जाता है। उस समय मां गंगा की मूर्ति को नजदीकी गाँव मुखबा ले जाया जाता है, जहाँ सर्दियों भर उसकी पूजा होती है।

गंगोत्री मंदिर न केवल एक धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यहां की प्राकृतिक सुंदरता, ठंडी जलवायु और हिमालय की शांत वादियाँ भी मन को अद्भुत शांति देती हैं। यह स्थान श्रद्धा और प्रकृति दोनों का संगम माना जाता है।

गंगोत्री मंदिर के कपाट कब खुलेंगे?

गंगोत्री धाम के कपाट इस वर्ष 30 अप्रैल 2025 को श्रद्धालुओं के लिए खोले जा चुके हैं। परंपरा के अनुसार हर वर्ष अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट विधिवत पूजा-अर्चना के साथ खोले जाते हैं।

गंगोत्री मंदिर के कपाट हर साल अक्षय तृतीया के शुभ मौके पर खोले जाते हैं और दीपावली के बाद बंद कर दिए जाते हैं। कपाट खुलने का समय आमतौर पर सुबह 10:30 बजे होता है।

2026 में कब खुलेंगे कपाट?

2026 में गंगोत्री मंदिर के कपाट कब खुलेंगे, इसकी तारीख अभी तय नहीं हुई है। आमतौर पर कपाट अक्षय तृतीया के शुभ दिन खोले जाते हैं, जो 2026 में 21 अप्रैल को पड़ेगा। हालांकि हम मंदिर कब खुलेगा इसकी अभी पुष्टी नहीं कर रहे मगर  मंदिर समिति इस तारीख की आधिकारिक घोषणा अक्षय तृतीया से कुछ दिन पहले कर सकती है। 

कपाट खुलने की विधि और परंपरा

गंगोत्री मंदिर के कपाट हर साल अक्षय तृतीया के शुभ दिन खोले जाते हैं। यह दिन बहुत ही पवित्र और शुभ माना जाता है। मंदिर के कपाट धार्मिक परंपराओं और पूजा विधियों के अनुसार खोले जाते हैं।

कपाट खुलने की विधि और परंपरा

1. गंगा जी की डोली यात्रा

कपाट खुलने से एक दिन पहले, मुखबा गाँव से मां गंगा की डोली (मूर्ति) को पूजा के साथ गंगोत्री मंदिर लाया जाता है। इस यात्रा में पुजारी, गांववाले, भक्त और देव डोली शामिल होते हैं। पूरे रास्ते में ढोल-नगाड़ों और मंत्रों के साथ मां गंगा का स्वागत होता है।

2. पूजा और धार्मिक अनुष्ठान

मंदिर के कपाट खोलने से पहले हवन, मंत्रोच्चार और पूजा की जाती है। इसमें भगवान शिव और मां गंगा का आह्वान किया जाता है ताकि पूरा कार्यक्रम शुभ और मंगलमय हो।

3. शुभ मुहूर्त में कपाट खुलना

हिन्दू पंचांग के अनुसार जब मुहूर्त का अच्छा समय होता है, तब मुख्य पुजारी ही  मंदिर के कपाट को खोलते हैं। मुख्यतः मंदिर खुलने का जो वक्त है वह सुबह के पहर में 10:30 बजे के पास होता है।

4. पहली आरती और दर्शन

कपाट खुलने के बाद मां गंगा की पहली आरती होती है। इसके बाद भक्त मंदिर में प्रवेश कर दर्शन करते हैं। यह क्षण श्रद्धा और भावनाओं से भरा होता है।

5. भक्तों की भारी भीड़

इस खास मौके पर देश के कोने-कोने से हजारों श्रद्धालु गंगोत्री आते हैं। लोग मां गंगा की पूजा करते हैं और पवित्र जल में स्नान कर पुण्य कमाते हैं।

गंगोत्री मंदिर यात्रा की तैयारी कैसे करें

गंगोत्री यात्रा पर जाने से पहले कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले, अपनी यात्रा की योजना और ठहरने की व्यवस्था पहले से कर लें, खासकर अगर आप किसी टूर पैकेज के साथ नहीं जा रहे हैं। इससे आपको रास्ते में परेशानी नहीं होगी।

अपने साथ जरूरी दस्तावेज, जैसे पहचान पत्र (ID प्रूफ) और अगर हो तो स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी या बीमा कार्ड भी साथ रखें।

गंगोत्री एक पवित्र तीर्थ स्थल है, इसलिए वहां जाते समय सादे और सम्मानजनक कपड़े पहनें, और मंदिर के नियमों का पालन करें। इन बातों का ध्यान रखने से आपकी यात्रा सहज, सुरक्षित और शुभ रहेगी।

1. यात्रा और ठहरने की व्यवस्था

गंगोत्री जाने के लिए आप ऋषिकेश से बस या टैक्सी ले सकते हैं। गंगोत्री पहुँचने के बाद मंदिर के पास होटल और गेस्ट हाउस में आसानी से रुक सकते हैं।

2. कपड़े

गंगोत्री में मौसम ठंडा रहता है, इसलिए अपने साथ गर्म कपड़े, जैकेट, दस्ताने और रेनकोट जरूर रखें।

3. जरूरी दस्तावेज

यात्रा में पहचान पत्र, स्वास्थ्य बीमा, और आपातकालीन संपर्क नंबर साथ रखें। ये अचानक जरूरत पड़ने पर काम आते हैं।

4. पंजीकरण

गंगोत्री यात्रा के लिए आपको उत्तराखंड पर्यटन विभाग की वेबसाइट या मोबाइल ऐप से ऑनलाइन पंजीकरण कराना जरूरी होता है।

5. स्वास्थ्य का ध्यान

गंगोत्री ऊंचाई पर स्थित है, इसलिए वहां की जलवायु के अनुसार खुद को धीरे-धीरे ढालें। पर्याप्त पानी पिएं और हल्का खाना खाएं ताकि तबियत न बिगड़े।

6. गाइड की मदद

अगर आप पहली बार पहाड़ों में जा रहे हैं, तो किसी अनुभवी व्यक्ति के साथ यात्रा करें या फिर स्थानीय गाइड की मदद लें। इससे आपकी यात्रा आसान और सुरक्षित रहेगी।गंगोत्री धाम एक ऐसा पवित्र स्थान है जहाँ भक्ति, प्रकृति और पुरानी परंपराएं एक साथ मिलती हैं। यह जगह धार्मिक रूप से बहुत खास मानी जाती है और यहां आने से लोगों को मन की शांति और आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव होता है।

divider
Published by Sri Mandir·June 18, 2025

Did you like this article?

srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

हमारा पता

फर्स्टप्रिंसिपल ऐप्सफॉरभारत प्रा. लि. 435, 1st फ्लोर 17वीं क्रॉस, 19वीं मेन रोड, एक्सिस बैंक के ऊपर, सेक्टर 4, एचएसआर लेआउट, बेंगलुरु, कर्नाटका 560102
YoutubeInstagramLinkedinWhatsappTwitterFacebook