शनि की महादशा में सभी ग्रहों की अंतर्दशा का प्रभाव और उपाय
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शनि की महादशा में सभी ग्रहों की अंतर्दशा

क्या आप जानना चाहते हैं शनि की महादशा में ग्रहों की अंतर्दशा आपके जीवन को कैसे प्रभावित करती है? जानें शुभ-अशुभ फल और उपाय अभी।

शनि महादशा के बारे में

शनि की महादशा ज्योतिष में एक गहन और प्रभावशाली अवधि मानी जाती है, जो व्यक्ति के जीवन में धैर्य, अनुशासन और कर्म के फल का अनुभव कराती है। इस समय अन्य ग्रहों की अंतर्दशाएं (अंतरदशाएं) जीवन के उतार-चढ़ाव और परिणामों को और अधिक प्रभावित करती हैं। इस लेख में जानिए शनि की महादशा में सभी ग्रहों की अंतर्दशा का महत्व, इनके शुभ-अशुभ प्रभाव और इससे जुड़ी खास बातें।

शनि की महादशा में शनि की अन्तर्दशा

शनि की महादशा में शनि की अन्तर्दशा, महादशा की शुरुआत में ही आती है और यह 3 साल तक चलती है। इस अवधि में शनि के प्रभाव तीव्र होते हैं, जिसके कारण व्यक्ति को अनुशासन, मेहनत और जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित करना होता है, और उसे अपने कर्मों का फल मिलता है। इस दौरान करियर, व्यापार और सेहत में बाधाएं आ सकती हैं, लेकिन जमीन से जुड़े मामलों और सामाजिक सम्मान में लाभ भी मिल सकता है।

शनि महादशा में शनि अन्तर्दशा का समय

शनि की महादशा कुल 19 साल की होती है। इस महादशा के दौरान सबसे पहले शनि की अन्तर्दशा आती है, जो 3 साल तक चलती है।

शुभ प्रभाव

  • जमीन-जायदाद से जुड़े मामलों में लाभ होता है।
  • जीवनसाथी और संतान के संबंध में स्थितियाँ अनुकूल रहती हैं।
  • सामाजिक मान-सम्मान और घर-परिवार में सुख-शांति मिलती है।

अशुभ प्रभाव

  • करियर और पेशेवर जीवन में बाधाएं और परेशानियाँ आ सकती हैं।
  • शारीरिक सुस्ती और सेहत में गिरावट आ सकती है, जैसे गैस्ट्रिक समस्याएं।
  • कार्यक्षेत्र में धन की कमी, कर्ज और ईर्ष्या जैसी भावनाएं आ सकती हैं।

शनि की महादशा में बुध की अन्तर्दशा

शनि की महादशा में बुध की अन्तर्दशा लगभग 2 वर्ष, 8 महीने और 9 दिन तक रहती है। यह एक शुभ अवधि मानी जाती है क्योंकि बुध की ऊर्जा शनि के नकारात्मक प्रभावों को कम करती है, जिससे व्यक्ति को व्यापार, करियर, और आर्थिक मामलों में लाभ मिलता है और समाज में सम्मान बढ़ता है। हालांकि, अंतिम परिणाम व्यक्ति की जन्म कुंडली में शनि और बुध की स्थिति पर निर्भर करता है, इसलिए विस्तृत विश्लेषण के लिए एक ज्योतिषी से परामर्श करना उचित है।

  • शनि का अनुशासन और बुध की तीक्ष्ण बुद्धि का मिलन संचार कौशल, रणनीतिक सोच और मानसिक स्पष्टता को बढ़ाता है।
  • इस दौरान पेशेवर जीवन में महत्वपूर्ण विकास और सफलता के अवसर मिल सकते हैं।
  • धन लाभ के योग बनते हैं, और व्यक्ति वित्तीय निर्णय लेने में अधिक कुशल हो जाता है।
  • समाज में प्रतिष्ठा और पहचान बढ़ती है, और सरकार से सहयोग भी मिल सकता है।
  • व्यापारियों को विशेष लाभ मिलता है और व्यापार में वृद्धि होती है।

शनि की महादशा में केतु की अंतर्दशा

शनि महादशा में केतु की अंतर्दशा व्यक्ति में आध्यात्मिकता और वैराग्य की भावना बढ़ाती है, साथ ही उसे निर्णय लेने में मदद करती है। इस दौरान कार्यक्षेत्र में अचानक बदलाव आ सकते हैं, जिससे जातक की विदेश यात्राएं या विदेश में बसने के योग बन सकते हैं। यह समय आत्म-निरीक्षण और अंतर्ज्ञान को बढ़ाता है, जिससे वित्तीय मामलों में गहरी समझ आती है।

सकारात्मक प्रभाव

  • केतु का प्रभाव व्यक्ति की अंतर्दृष्टि और अंतर्ज्ञान को बढ़ाता है, जो बड़े निर्णय लेने में सहायक होता है।
  • इस अवधि में व्यक्ति का झुकाव आध्यात्मिक कार्यों की ओर बढ़ता है।
  • यह समय वित्तीय मामलों में गहरी समझ और लंबे समय तक चलने वाली वित्तीय स्थिरता में मदद करता है।
  • यदि केतु कुंडली में अच्छी स्थिति में हो, तो लंबी दूरी की यात्राएं, विदेश में बसना या धार्मिक यात्राएं संभव हैं।
  • जातक सामाजिक कार्यों और दान-पुण्य में संलग्न होने की इच्छा रख सकता है।

नकारात्मक प्रभाव

  • शनि में केतु की अंतर्दशा अज्ञात भय, अनिद्रा और बुरे विचार पैदा कर सकती है।
  • आय बढ़ने के बावजूद, खर्चों में भी वृद्धि हो सकती है, जिससे कुछ आर्थिक चुनौतियां आ सकती हैं।
  • यह अवधि मानसिक और भावनात्मक अस्थिरता या संकट का कारण बन सकती है।
  • कुछ मामलों में पत्नी और पुत्र से वियोग या दुखद परिस्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं।

शनि की महादशा में शुक्र की अन्तर्दशा

शनि की महादशा में शुक्र की अन्तर्दशा में, आपको करियर में सफलता, पदोन्नति, और धन संचय के अवसर मिल सकते हैं, साथ ही विलासिता और सुख-सुविधाओं का भी अनुभव हो सकता है, लेकिन यह सब शनि और शुक्र की कुंडली में स्थिति पर निर्भर करता है। यदि शनि मजबूत और शुक्र कमजोर है, तो जातक को गंभीर वित्तीय नुकसान और अपमान का सामना करना पड़ सकता है। इसके विपरीत, यदि शुक्र मजबूत है, तो सुखी वैवाहिक जीवन, उत्सव और सम्मान मिल सकता है।

सकारात्मक प्रभाव

  • करियर में सफलता, पदोन्नति, धन संचय और संपत्ति संबंधी मामलों को सुलझाने में लाभ हो सकता है।
  • विलासिता, आराम और सुख-सुविधाओं पर खर्च करने की प्रवृत्ति बढ़ सकती है।
  • यदि शनि सकारात्मक रूप से स्थित हो, तो सुखी वैवाहिक जीवन का आनंद मिलता है।

नकारात्मक प्रभाव

  • आंखों से संबंधित समस्याएं, बुखार, और मूत्र संबंधी विकार हो सकते हैं।
  • यदि शनि अधिक बलवान और शुक्र कमजोर हो, तो जातक दिवालिया हो सकता है और उसे बहुत नुकसान उठाना पड़ सकता है।
  • विवाहित जीवन में विवाद और जीवनसाथी से अलगाव की स्थिति बन सकती है।
  • जातक को अनैतिक कार्यों में रुझान बढ़ सकता है, आलस्य आ सकता है और अत्यधिक खर्च करने की आदत बन सकती है।

शनि की महादशा में सूर्य की अन्तर्दशा

शनि की महादशा में सूर्य की अन्तर्दशा एक चुनौतीपूर्ण अवधि होती है जो अहंकार, अधिकार संघर्ष और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जुड़ी होती है, लेकिन यह लंबी अवधि में स्थायी विकास और स्थिरता की ओर ले जाती है, जिसके लिए निरंतर प्रयास, अनुशासित दृष्टिकोण और बुजुर्गों के साथ व्यवहारिक टकराव को समझने की आवश्यकता होती है। इस अवधि में अचानक अनिश्चित घटनाएं, सार्वजनिक बदनामी और मानसिक कष्ट भी हो सकते हैं।

सकारात्मक प्रभाव

  • यह अवधि, हालांकि कठिन है, दीर्घकालिक विकास और स्थिरता की नींव रखती है।
  • निरंतर प्रयास और अनुशासित दृष्टिकोण अपनाना सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।
  • आपको बुजुर्गों और वरिष्ठ अधिकारियों के दृष्टिकोण को समझने का अवसर मिलता है, जिससे व्यावहारिक समझ बढ़ती है।

नकारात्मक प्रभाव

  • आप अपने वरिष्ठों और परिवार के बुजुर्गों से ज़िम्मेदारियाँ स्वीकार करते हुए अधिकार संघर्ष का सामना कर सकते हैं।
  • परिवार से झूठे आरोप, पिता से संघर्ष और परिवार के सदस्यों को कष्ट हो सकता है।
  • बुखार, सिर दर्द, हृदय और आँखों से संबंधित रोग हो सकते हैं।
  • यह अवधि मानसिक कष्टों और चिंताओं से भरी हो सकती है।
  • अनिश्चित और अचानक होने वाली घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है।

शनि की महादशा में चंद्र की अंतर्दशा

शनि की महादशा में चंद्र की अंतर्दशा को ज्योतिष में एक मुश्किल दौर माना जाता है, जिसमें व्यक्ति को मानसिक बेचैनी, तनाव, अवसाद और रिश्तों में दूरी का अनुभव हो सकता है। इस दौरान शारीरिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है, और आर्थिक उतार-चढ़ाव आ सकते हैं। शत्रुओं की वृद्धि, पारिवारिक संघर्ष और कार्यक्षेत्र में बाधाएं आ सकती हैं। इस समय धैर्य रखना, सोच-समझकर निर्णय लेना और आध्यात्मिक गतिविधियों में मन लगाना महत्वपूर्ण है।

  • जातक को अवसाद, चिंता, तनाव और बेचैनी का अनुभव हो सकता है. मन अशांत रह सकता है।
  • दोस्तों और परिवार से मतभेद हो सकते हैं, जिससे रिश्तों में खटास आ सकती है।
  • पेट से जुड़ी समस्याएं (गैस्ट्रिक) या अन्य शारीरिक रोग हो सकते हैं।
  • धन का खर्च बढ़ सकता है, और वित्तीय स्थिरता प्रभावित हो सकती है।
  • नौकरी या व्यवसाय में रुकावटें और संघर्ष आ सकते हैं।

शनि की महादशा में मंगल की अंतर्दशा

शनि की महादशा में मंगल की अंतर्दशा को ज्योतिष में एक कठिन और चुनौतीपूर्ण अवधि माना जाता है, जो जीवन में संघर्ष, समस्याओं और नकारात्मक अनुभवों का अनुभव करा सकती है। यह स्वास्थ्य, रिश्ते, करियर और सामाजिक जीवन पर बुरा प्रभाव डाल सकती है, जिससे जातक को गुस्से, चिड़चिड़ेपन और अलगाव का सामना करना पड़ सकता है। इन दुष्प्रभावों से बचने के लिए हनुमान जी की पूजा करना, खासकर मंगलवार को, एक प्रभावी उपाय हो सकता है।

  • यह अवधि गंभीर बीमारियों और शरीर दर्द का कारण बन सकती है।
  • जीवनसाथी और परिवार के साथ मतभेद और अलगाव हो सकता है।
  • नौकरी या व्यवसाय में नुकसान, पदोन्नति रुक सकती है, और व्यापार में साधारण लाभ हो सकता है।
  • धन की हानि और वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  • जातक को भय, चिंता और मानसिक कष्ट हो सकता है, जिससे मन भी परेशान रह सकता है।

शनि की महादशा में राहु की अन्तर्दशा

शनि की महादशा में राहु की अन्तर्दशा (शनि-राहु युति) एक चुनौतीपूर्ण अवधि होती है, जो लगभग 2 साल 10 महीने तक रहती है। यह समय व्यक्ति को करियर, आर्थिक स्थिति, और व्यक्तिगत जीवन में उतार-चढ़ाव और बाधाओं का सामना करा सकता है, जिससे भ्रम, मानसिक बेचैनी और कुछ मामलों में स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं। इस दशा से राहत पाने के लिए शनि देव, गणेश जी और शिव जी की पूजा करना, शनि चालीसा का पाठ करना और काले तिल, उड़द, सरसों का तेल, व काले कपड़े दान करना जैसे उपाय किए जा सकते हैं।

  • यह दशा क्या संकेत देती है?
  • शनि कर्म का ग्रह है और राहु भ्रम और इच्छाओं का, इसलिए इस दौरान जीवन में कई अप्रत्याशित चुनौतियां और कठिनाइयां आ सकती हैं।
  • करियर में बाधाएं और व्यक्तिगत जीवन में उतार-चढ़ाव का अनुभव हो सकता है।
  • राहु मानसिक बेचैनी ला सकता है, और शनि के प्रभाव से शारीरिक समस्याएं भी बढ़ सकती हैं।
  • धन लाभ हो सकता है, लेकिन साथ ही धन जल्दी खर्च भी हो सकता है।

शनि की महादशा में गुरु की अन्तर्दशा

शनि की महादशा में गुरु की अन्तर्दशा एक जटिल अवधि हो सकती है, जो जातक को मिश्रित फल देती है। यह समय कर्मों, परिपक्वता और धैर्य की मांग करता है और सांसारिक व आध्यात्मिक दोनों लक्ष्यों को बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है। शुभ योगों की स्थिति में जातक को सुख, धर्म-कर्म में रुचि, ऐश्वर्यपूर्ण जीवन और स्थायी कार्यों से सफलता मिल सकती है। वहीं, अशुभ योगों में स्त्री-संतान संबंधी चिंता, पीड़ा, पदभ्रष्टता, विदेशवास और शारीरिक रोगों का सामना करना पड़ सकता है।

शुभ प्रभाव

  • जातकों को नए काम शुरू करने, प्रसिद्धि में वृद्धि, कला में कुशलता और प्रतिभा में वृद्धि का अनुभव हो सकता है।
  • धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ती है और जातक गूढ़ विषयों का ज्ञान प्राप्त कर सकता है।
  • धर्म, यश और धन में वृद्धि होती है, जिससे जातक ऐश्वर्यपूर्ण जीवन व्यतीत करता है।
  • समाज में समर्थन मिलता है और भौतिक सुखों का आनंद भी मिल सकता है।

अशुभ प्रभाव

  • जातक अनेक व्याधियों से त्रस्त हो सकता है, त्वचा और चमड़ी के रोग हो सकते हैं।
  • जातक भ्रमित होता है और स्त्री-संतान संबंधी चिंताओं से ग्रसित होता है।
  • कार्य-व्यवसाय में हानि, पदभ्रष्टता, पत्नी से वियोग और प्रियजनों की मृत्यु के समाचार से संताप हो सकता है।
  • धन अधिक खर्च हो सकता है।
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Published by Sri Mandir·September 4, 2025

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