क्या आप जानते हैं ब्रह्माण्ड मोहन दुर्गा कवच के पाठ से शत्रु शांत होते हैं और सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं? जानिए इसकी चमत्कारी शक्तियाँ और सही पाठ विधि।
ब्रह्माण्ड मोहन दुर्गा कवच एक अत्यंत दुर्लभ और प्रभावशाली स्तोत्र है, जो देवी दुर्गा के परम रूप की आराधना का अद्भुत साधन है। इस कवच का पाठ साधक को अलौकिक आकर्षण, विजय, मनोवांछित फल और दिव्य ऊर्जा से भर देता है। चलिए जानते हैं इस कवच के बारे में।
ब्रह्माण्ड मोहन दुर्गा कवच देवी दुर्गा के अत्यंत प्रभावशाली और रहस्यमयी कवचों में से एक है। यह कवच संपूर्ण ब्रह्माण्ड को मोहने, आकर्षित करने और सिद्धि प्राप्त करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसका पाठ करने से व्यक्ति को अद्भुत आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है और सभी प्रकार की बाधाओं से रक्षा होती है।
॥ नारद उवाच ॥
भगवन्सर्वधर्मज्ञ सर्वज्ञानविशारद ।
ब्रह्माण्डमोहनं नाम प्रकृते कवचं वद ॥ १ ॥
॥ नारायण उवाच ॥
श्रृणु वक्ष्यामि हे वत्स कवचं च सुदुर्लभम् ।
श्रीकृष्णेनैव कथितं कृपया ब्रह्मणे पुरा ॥ २ ॥
ब्रह्मणा कथितं पूर्वं धर्माय जान्हवीतटे ।
धर्मेण दत्तं मह्यं च कृपया पुष्करे पुरा ॥ ३ ॥
त्रिपुरारिश्च यद्धृत्वा जघान त्रिपुरं पुरा ।
ममोच ब्रह्मा यद्धृत्वा मधुकैटभयोर्भयात् ॥ ४ ॥
सञ्जहार रक्तबीजं यद्धृत्वा भद्रकालिका ।
यद्धृत्वा हि महेन्द्रश्च सम्प्राप कमलालयाम् ॥ ५ ॥
यद्धृत्वा च महायोद्धा बाणः शत्रुभयङ्करः ।
यद्धृत्वा शिवतुल्यश्च दुर्वासा ज्ञानिनां वरः ॥ ६ ॥
ॐ दुर्गेति चतुर्थ्यंतः स्वाहान्तो मे शिरोऽवतु ।
मन्त्रः षडक्षरोऽयं च भक्तानां कल्पपादपः ॥ ७ ॥
विचारो नास्ति वेदे च ग्रहणेऽस्य मनोर्मुने ।
मन्त्रग्रहणमात्रेण विष्णुतुल्यो भवेन्नरः ॥ ८ ॥
मम वक्त्रं सदा पातु ॐ दुर्गायै नमोऽन्तकः ।
ॐ दुर्गे इति कण्ठं तु मन्त्रः पातु सदा मम ॥ ९ ॥
ॐ ह्रीं श्रीमिति मन्त्रोऽयं स्कन्धं पातु निरन्तरम् ।
ह्रीं श्रीं क्लीमिति पृष्ठं च पातु मे सर्वतः सदा ॥ १० ॥
ह्रीं मे वक्षस्थले पातु हं सं श्रीमिति सन्ततम् ।
ऐं श्रीं ह्रीं पातु सर्वाङ्गं स्वप्ने जागरणे सदा ॥ ११ ॥
प्राच्यां मां पातु प्रकृतिः पातु वह्नौ च चण्डिका ।
दक्षिणे भद्रकाली च नैऋत्यां च महेश्वरी ॥ १२ ॥
वारुण्यां पातु वाराही वायव्यां सर्वमङ्गला ।
उत्तरे वैष्णवी पातु तथैशान्यां शिवप्रिया ॥ १३ ॥
जले स्थले चान्तरिक्षे पातु मां जगदम्बिका ।
इति ते कथितं वत्स कवचं च सुदुर्लभम् ॥ १४ ॥
यस्मै कस्मै न दातव्यं प्रवक्तव्यं न कस्यचित् ।
गुरुमभ्यर्च्य विधिवद्वस्त्रालङ्कारचन्दनैः ॥ १५ ॥
कवचं धारयेद्यस्तु सोऽपि विष्णुर्न संशयः ।
स्नाने च सर्वतीर्थानां पृथिव्याश्च प्रदक्षिणे ॥ १६ ॥
यत्फलं लभते लोकस्तदेतद्धारणे मुने ।
पञ्चलक्षजपेनैव सिद्धमेतद्भवेद्ध्रुवम् ॥ १७ ॥
लोके च सिद्धकवचो नावसीदति सङ्कटे ।
न तस्य मृत्युर्भवति जले वह्नौ विषे ज्वरे ॥ १८ ॥
जीवन्मुक्तो भवेत्सोऽपि सर्वसिद्धीश्वरीश्वरि ।
यदि स्यात्सिद्धकवचो विष्णुतुल्यो भवेद्ध्रुवम् ॥ १९ ॥
॥ इति श्रीब्रह्मवैवर्ते प्रकृतिखण्डान्तर्गतदुर्गाकवचम् सम्पूर्णम् ॥
नकारात्मक ऊर्जा, बुरी शक्तियों, टोने-टोटके और बुरी नजर से बचाव करता है।
जीवन में आ रही हर तरह की समस्याओं और विघ्न-बाधाओं को दूर करता है।
शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है और कोर्ट-कचहरी के मामलों में विजय दिलाता है।
यह कवच व्यक्ति के व्यक्तित्व को प्रभावशाली और आकर्षक बनाता है।
लोग सहज ही आपकी ओर आकर्षित होते हैं और आपके प्रभाव में आते हैं।
सामाजिक, राजनीतिक और व्यावसायिक सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।
साधकों के लिए यह कवच अत्यंत उपयोगी है, जिससे उन्हें सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
मन की एकाग्रता बढ़ाता है और ध्यान-योग में सफलता मिलती है।
आत्मबल और आत्मविश्वास को बढ़ाता है, जिससे किसी भी कठिनाई से उबरने की शक्ति प्राप्त होती है।
व्यापार और करियर में सफलता दिलाता है।
आर्थिक परेशानियों को दूर करता है और घर में सुख-शांति बनाए रखता है।
धन-धान्य में वृद्धि होती है और जीवन में ऐश्वर्य प्राप्त होता है।
यह कवच मानसिक और शारीरिक रोगों को दूर करने में सहायक होता है।
भय, चिंता और अवसाद से मुक्ति दिलाता है।
शरीर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखता है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
6. वैवाहिक जीवन और प्रेम संबंधों में सफलता
अविवाहितों के लिए मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति में सहायक होता है।
प्रेम संबंधों में आ रही रुकावटों को दूर करता है और रिश्तों को मजबूत बनाता है।
7. सभी कार्यों में सफलता और शुभता
प्रतियोगी परीक्षाओं, इंटरव्यू, नौकरी, बिजनेस और अन्य कार्यों में सफलता दिलाता है।
घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनाए रखता है।
कार्यों में आने वाली बाधाओं को दूर करता है और सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।
प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और माँ दुर्गा का ध्यान करें।
देवी दुर्गा के चित्र या मूर्ति के समक्ष दीपक प्रज्वलित करें।
एकांत और पवित्र स्थान में बैठकर पाठ करें।
पाठ से पहले देवी के किसी बीज मंत्र का जाप करें, जैसे: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”
विधिपूर्वक ब्रह्माण्ड मोहन दुर्गा कवच का पाठ करें।
यह पाठ मंगलवार, शुक्रवार और नवरात्रि के दिनों में विशेष फलदायी होता है।
अर्पण और समर्पण
पाठ समाप्त होने के बाद माँ दुर्गा को पुष्प और नैवेद्य अर्पित करें।
माँ से अपने कष्टों के निवारण और सफलता की प्रार्थना करें।
ब्रह्माण्ड मोहन दुर्गा कवच का महत्व
जीवन में आने वाली सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा, शत्रु बाधा और दुष्ट शक्तियों से रक्षा करता है।
जो भी इस कवच का नियमित पाठ करता है, उसमें दिव्य आभा और आकर्षण उत्पन्न होता है।
इस कवच का पाठ साधकों और तांत्रिकों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होता है, जिससे उन्हें सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
व्यक्ति के जीवन में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ कम होती हैं और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
जो भी व्यक्ति इस कवच का पाठ करता है, उसे धन, ऐश्वर्य और व्यापार में सफलता प्राप्त होती है।
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