बटुक भैरव कवच
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बटुक भैरव कवच

संकट और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव के लिए पढ़ें बटुक भैरव कवच। जानें कवच का संपूर्ण पाठ और इसके लाभ सरल भाषा में।

बटुक भैरव कवच के बारे में

बटुक भैरव कवच एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान बटुक भैरव की कृपा प्राप्त करने हेतु पाठ किया जाता है। यह कवच नकारात्मक शक्तियों, भय और बाधाओं से सुरक्षा प्रदान करता है तथा आत्मबल, साहस और आत्मविश्वास बढ़ाता है।

बटुक भैरव कवच

बटुक भैरव की उपासना को कलयुग में सबसे सरल और शीघ्र फल देने वाली साधनाओं में से एक माना गया है। बटुक भैरव भगवान शिव का बाल रूप हैं, जो काल भैरव की तुलना में कम उग्र माने जाते हैं। कहा जाता है कि बटुक भैरव को प्रसन्न करना आसान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इनकी पूजा से जातक को सुरक्षा, जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति, और समृद्ध जीवन का वरदान मिलता है।

बटुक भैरव कवच

ओम सहस्त्रारे महाचक्रे कर्पूरधवले गुरुः।

पातु मां बटुको देवो भैरवः सर्वकर्मसु ॥

पूर्वस्यामसितांगो मां दिशि रक्षतु सर्वदा।

आग्नेयां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्ड भैरवः॥

नैॠत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे।

वायव्यां मां कपाली च नित्यं पायात् सुरेश्वरः॥

भीषणो भैरवः पातु उत्तरास्यां तु सर्वदा।

संहार भैरवः पायादीशान्यां च महेश्वरः॥

ऊर्ध्वं पातु विधाता च पाताले नन्दको विभुः।

सद्योजातस्तु मां पायात् सर्वतो देवसेवितः॥

रामदेवो वनान्ते च वने घोरस्तथावतु।

जले तत्पुरुषः पातु स्थले ईशान एव च॥

डाकिनी पुत्रकः पातु पुत्रान् में सर्वतः प्रभुः।

हाकिनी पुत्रकः पातु दारास्तु लाकिनी सुतः॥

पातु शाकिनिका पुत्रः सैन्यं वै कालभैरवः।

मालिनी पुत्रकः पातु पशूनश्वान् गंजास्तथा॥

महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा।वाद्यम् वाद्यप्रियः पातु भैरवो नित्यसम्पदा॥

बटुक भैरव कवच पाठ विधि

  • बटुक भैरव कवच का पाठ करने के लिए सबसे पहले शुभ मुहूर्त का चयन करें। मंगलवार, शनिवार, चतुर्दशी, अमावस्या, भैरव अष्टमी, कालाष्टमी और रात्रि के समय विशेष रूप से उपयुक्त माने गए हैं। सुबह ब्रह्ममुहूर्त (4 से 6 बजे) या रात का पहला प्रहर इस साधना के लिए उत्तम होता है।
  • पाठ के लिए एकांत, शांत और स्वच्छ स्थान का चयन करें। घर के उत्तर-पूर्व कोने या किसी सिद्ध स्थान पर साधना करना श्रेष्ठ होता है। साधक को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए। बैठने के लिए काले या लाल रंग के ऊनी या कुश के आसन का उपयोग करें।
  • स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। लाल या पीले वस्त्र इस पाठ में शुभ फलदायक माने गए हैं। शुद्ध होने के बाद आसन पर बैठकर तीन बार आचमन करें।
  • पाठ से पूर्व बटुक भैरव जी की मूर्ति या चित्र को आसन के सामने रखें। उन्हें लाल फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, काले तिल, गुड़ आदि अर्पित करें। बटुक और को भस्म और काले वस्त्र भी चढ़ावा के रूप में चढ़ाए जा सकते हैं।
  • अब भगवान बटुक भैरव के स्वरूप का ध्यान करें। ‘वे चतुर्भुज, त्रिनेत्रधारी, खड्ग, खट्वांग, डमरू और कपाल धारण किए हुए हैं, मुंडमाला से विभूषित हैं।
  • अब संकल्प लें। दाहिने हाथ में जल लेकर पाठ का उद्देश्य बोलें, जैसे “मम सर्वविघ्न नाशनार्थं, शत्रु भय निवारणार्थं, मनोवांछित फल प्राप्त्यर्थं, श्री बटुक भैरव कवच पाठं करिष्ये।” इसके बाद जल को पवित्र स्थान में प्रवाहित कर दें।
  • अब विधिपूर्वक बटुक भैरव कवच का पाठ करें। पाठ की न्यूनतम संख्या 3 बार होनी चाहिए। यदि आप विशेष लाभ चाहते हैं तो 11, 21 या 108 बार पाठ करें। पाठ करते समय उच्चारण शुद्ध रखें और मन में पूरी श्रद्धा व समर्पण बनाए रखें।
  • कवच पाठ के बाद “ॐ बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय नमः” इस मंत्र का 108 बार जप करें। इससे पाठ की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है।
  • पाठ पूर्ण होने के पश्चात पूजा सामग्री को पीपल वृक्ष के नीचे या नदी के बहते जल में विसर्जित करें।
  • पाठ के दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन करें, सात्विक भोजन करें, मांस-मदिरा और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।

बटुक भैरव कवच के फायदे

1. कर्ज से मुक्ति पाने में सहायक

अगर आप आर्थिक तंगी या ऋण से परेशान हैं और चाहते हैं कि आय के स्थायी स्रोत बनें और अनावश्यक खर्चों पर नियंत्रण हो, तो बटुक भैरव कवच अत्यंत लाभकारी है। इसे मंगलवार के दिन शुभ समय में धारण करने से कर्ज़ से मुक्ति मिलती हैं और आर्थिक स्थिति में सुधार आता है।

2. प्रेम संबंधों में मजबूती और आकर्षण में वृद्धि

यदि आप अपने रिश्ते को मज़बूत रखना चाहते हैं या किसी विशेष व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करना चाहते हैं, तो बटुक भैरव कवच का प्रयोग अत्यंत फलदायी होता है। शुक्रवार के दिन उचित समय में इस कवच को धारण करने से आपके प्रेम संबंधों में मधुरता आती है और आपमें प्राकृतिक आकर्षण उत्पन्न होता है।

3. व्यापार व व्यवसाय में प्रगति

जिन लोगों के व्यापार में लगातार हानि, रुकावट या मंदी चल रही है, उनके लिए बटुक भैरव कवच एक वरदान साबित हो सकता है। इसे गुरुवार के दिन भगवान की आराधना के साथ शुभ मुहूर्त में धारण करें। यह कवच व्यापार में सकारात्मक बदलाव लाता है, नई संभावनाएं खोलता है, और तरक्की मिलती है।

4. नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा

अगर किसी व्यक्ति को बुरी नजर, ऊपरी बाधा, टोने-टोटके या वशीकरण जैसी नकारात्मक शक्तियों का भय है, तो बटुक भैरव कवच एक शक्तिशाली रक्षा कवच की तरह कार्य करता है। इसे शनिवार या मंगलवार के दिन धारण करने से कोई भी नकारात्मक शक्ति आपके समीप नहीं आ सकती।

बटुक भैरव कवच का पाठ विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। ये कवच भय, बाधाओं और नकारात्मक ऊर्जा से जातक की रक्षा करता है। विशेष रूप से यदि आप रात में यात्रा करते समय किसी अनजान भय से ग्रस्त होते हैं, तो बटुक भैरव कवच का पाठ व उसे धारण करना आपके भय के निवारण में सहायक सिद्ध हो सकता है।

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Published by Sri Mandir·June 3, 2025

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