क्या आप जानना चाहते हैं मैंगलोर इस्कॉन मंदिर कब जाएं? कहाँ है? क्या देखें? फोटो और पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें और करें अपनी यात्रा को भक्तिमय।
इस्कॉन मंदिर मैंगलोर, राधा-कृष्ण को समर्पित एक शांत और सुंदर जगह है, जहाँ रोज़ भजन-कीर्तन और आरती से मन को सुकून मिलता है। इस आर्टिकल में आप जानेंगे इसके दर्शन समय, यहाँ के खास त्योहारों और वो बातें जो इसे मैंगलोर आने वालों के लिए खास बना देती हैं।
कर्नाटक का तटीय शहर मैंगलोर अपनी प्राकृतिक सुंदरता, शांत समुद्र तटों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। इसी जीवंत शहर में, एक शांत और आध्यात्मिक केंद्र मौजूद है जो भगवान कृष्ण के भक्तों और शांति की तलाश करने वालों को अपनी ओर आकर्षित करता है – इस्कॉन मंदिर, मैंगलोर। यह मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भक्ति, शिक्षा और समुदाय का एक जीवंत केंद्र है, जहाँ प्रवेश करते ही मन को दिव्यता और सद्भाव का अनुभव होता है। यहाँ का वातावरण इतना सकारात्मक और ऊर्जावान है कि शहरी जीवन की भागदौड़ से दूर, हर आगंतुक आध्यात्मिक शांति में डूब जाता है।
इस्कॉन मैंगलोर मंदिर, जिसे श्री श्री कृष्णा बलराम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, मैंगलोर के पीवीएस कलाकुंजा, कोडियालबेल, आर्य समाज रोड, मंगलुरु, कर्नाटक - 575003 पर स्थित है। यह शहर के भीतर एक आसानी से सुलभ स्थान पर है, जो इसे भक्तों और पर्यटकों दोनों के लिए सुविधाजनक बनाता है। मंदिर का शांत वातावरण शहरी कोलाहल से दूर एक सुकून भरा अनुभव प्रदान करता है।
इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISKCON) की शुरुआत 1966 में न्यूयॉर्क में श्रील प्रभुपाद (अभय चरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी) ने की थी। उनका मकसद था भगवद गीता और श्रीमद्भागवतम् जैसे ग्रंथों के अमूल्य संदेश को दुनियाभर में पहुंचाना और लोगों के दिलों में कृष्ण भक्ति जगाना।
मैंगलोर में इस्कॉन की गतिविधियाँ दिसंबर 2002 में शुरू हुईं, जब श्री श्री कृष्णा बलराम इस्कॉन मंदिर की स्थापना हुई। यह मंदिर श्रील प्रभुपाद की शिक्षाओं और ‘हरे कृष्ण’ आंदोलन के सिद्धांतों पर आधारित है, जिसका लक्ष्य सभी लोगों को आत्म-साक्षात्कार और ईश्वर चेतना के सार्वभौमिक सिद्धांतों से अवगत कराना है। वर्षों से, इस्कॉन मैंगलोर शहर में एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र बन गया है, जो भक्ति, शिक्षा और सामाजिक कल्याण के कार्यों में सक्रिय रूप से संलग्न है। यह समुदाय को एक साथ लाता है और आध्यात्मिक विकास के लिए एक मंच प्रदान करता है।
इस्कॉन मैंगलोर मंदिर की विशेषताएँ इसे एक अनूठा और आकर्षक आध्यात्मिक स्थल बनाती हैं।
इस्कॉन मैंगलोर मंदिर में दैनिक आरतियाँ और दर्शन की एक निर्धारित समय-सारणी है।
मंदिर खुलने का समय
मुख्य आरती और दर्शन का समय
इस्कॉन मैंगलोर पूरे वर्ष कई प्रमुख हिंदू त्योहारों को बड़े उत्साह और भव्यता के साथ मनाता है, जो भक्तों को भगवान के करीब आने का अवसर प्रदान करते हैं।
इसके अलावा नरसिंह जयंती, राधाष्टमी, दीपावली और अन्नकूट जैसे पर्व भी धूमधाम से मनाए जाते हैं।
इस्कॉन मंदिर की एक महत्वपूर्ण विशेषता भगवान को अर्पित किए गए शुद्ध और सात्विक भोजन का वितरण है, जिसे महाप्रसादम कहा जाता है। मंदिर में अक्सर भक्तों को निःशुल्क महाप्रसादम प्रदान किया जाता है। यह सभी आगंतुकों के लिए उपलब्ध होता है, जिससे वे भगवान का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।
इसके अलावा, “ गोविंदा’स रेस्टोरेंट” नामक एक सात्विक शाकाहारी भोजनालय भी मंदिर परिसर में संचालित होता है, जहाँ शुद्ध, सात्विक और स्वादिष्ट भोजन परोसा जाता है। भोजन की गुणवत्ता और सेवा इतनी उम्दा होती है कि यहाँ केवल भक्त ही नहीं, पर्यटक भी विशेष रूप से भोजन का आनंद लेने आते हैं।
इस्कॉन मैंगलोर शहर के भीतर एक प्रमुख स्थान पर स्थित होने के कारण, यहाँ तक पहुँचना काफी सुविधाजनक है।
मैंगलोर का इस्कॉन मंदिर सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि आत्मिक शांति, भक्ति और सेवा का एक सुंदर अनुभव है। यहां का वातावरण, पूजा पद्धति और सत्संग कार्यक्रम हर आयु वर्ग के लोगों को आकर्षित करते हैं। यदि आप कभी मंगलुरु आएं, तो इस्कॉन मंदिर की एक बार यात्रा अवश्य करें – यह अनुभव आपको भीतर तक छू जाएगा।
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