क्या आप जानना चाहते हैं मायापुर इस्कॉन मंदिर कब जाएं? कहाँ है? क्या देखें? फोटो और पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें और करें अपनी यात्रा को आध्यात्मिक।
क्या आप जानते हैं कि राधा-कृष्ण को समर्पित मायापुर का इस्कॉन मंदिर विश्व का सबसे ऊँचा हिंदू मंदिर है। जिसे वैदिक तारामंडल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। वहीं, इस मंदिर की विशेषता बाकी के इस्कॉन मंदिर से बहुत अलग है। अगर आप भी जानना चाहते हैं इस मंदिर के बारे में औऱ अधिक जानकारी तो पढ़िए हमारे इस आर्टिकल को और जानिए सब कुछ।
इस्कॉन मायापुर पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में स्थित एक पवित्र तीर्थ स्थल है। यह स्थान कोलकाता से लगभग 130 किलोमीटर दूर गंगा और जलंगी नदियों के संगम पर स्थित है। जानकारी के अनुसार, मायापुर को गौड़ीय वैष्णव परंपरा में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि यही श्री चैतन्य महाप्रभु की जन्मभूमि है, जिन्हें भगवान श्रीकृष्ण का अवतार माना जाता है। यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं।
इस्कॉन मायापुर की शुरुआत 1970 के दशक में हुई। जानकारी के अनुसार, इस्कॉन के संस्थापक श्री ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने इस मंदिर की नींव रखी थी। वहीं, श्री चैतन्य महाप्रभु की मायापुर जन्मस्थली भी है। इस्कॉन मायापुर आज एक विशाल तीर्थ क्षेत्र बन चुका है, जहां देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु प्रतिवर्ष आते हैं। मायापुर इस्कॉन में चैतन्य महाप्रभु की शिक्षाओं, कीर्तन और हरिनाम संकीर्तन के प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न आध्यात्मिक, सामाजिक और शैक्षणिक कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं।
इस्कॉन मायापुर का प्रमुख आकर्षण श्रीमंदिर चंद्रोदय मंदिर है, जो राधा-कृष्ण और श्री चैतन्य महाप्रभु को समर्पित है। वहीं, इस मंदिर की वास्तुकला भी काफी प्रभावशाली है। साथ ही मंदिर में श्री श्री राधा माधव और अष्ट सखियों के दिव्य विग्रह भी स्थापित हैं। इसके अवलावा पंचतत्त्व श्री चैतन्य महाप्रभु, श्री नित्यानंद, श्री अद्वैत आचार्य, श्री गदाधर पंडित और श्रीवास पंडित की भव्य मूर्तियाँ भी मंदिर में हैं। यहां एक गौशाला है जहाँ सैकड़ों गायों की सेवा की जाती है और यहां एक डिजिटल तारामंडल भी है। इस मंदिर को खास बनाते हैं यहाँ बने श्री चैतन्य मठ, वैदिक शिक्षा केंद्र, कीर्तन हॉल, सात्विक भोजनालय और भक्तों के लिए रहने की अच्छी व्यवस्था।
इस्कॉन मायापुर में प्रतिदिन आरती और दर्शन के लिए निश्चित समय निर्धारित किया गया है। भक्तों के लिए मंदिर में दर्शन सुबह 4:30 बजे से लेकर रात 9 बजे तक उपलब्ध रहते हैं। मंदिर में सबसे पहले मंगला आरती होती है और आखिरी में शयन आरती होती है। विशेष पर्व औऱ त्योहार पर दर्शन औऱ आरती का समय बदल सकता है।
मंदिर में दिन की शुरुआत मंगला आरती से होती है, जिसमें गहन भक्ति और हरिनाम संकीर्तन के साथ भगवान श्रीकृष्ण की आराधना की जाती है।
मंगला आरती के बाद भगवान का सुंदर श्रृंगार किया जाता है, तत्पश्चात गुरु पूजन और श्रीमद्भागवत का पाठ एवं प्रवचन होते हैं।
इस समय भगवान को विविध प्रकार के स्वादिष्ट भोग अर्पित किए जाते हैं और भव्य आरती की जाती है।
दिन के उत्तरार्ध में संध्या काल में आरती होती है, जिसमें कीर्तन, दीपों की रोशनी और भक्ति संगीत का वातावरण होता है।
अंतिम आरती में भगवान को विश्राम के लिए तैयार किया जाता है और शांतिपूर्ण वातावरण में आरती की जाती है और समयअनुसार दर्सऩ के बाद मंदिर के कपाट को बंद कर दिया जाता है।
मायापुर का इस्कॉन मंदिर पूरे साल अलग-अलग त्योहारों की रौनक से भरा रहता है। यहां जन्माष्टमी, गौर पूर्णिमा और राधाष्टमी पर खास पूजा और कीर्तन होते हैं, जो हर भक्त के दिल को छू लेते हैं। इसके अलावा दिवाली, होली, रथ यात्रा, एकादशी, राम नवमी और गीता जयंती जैसे पर्व भी बड़ी श्रद्धा और उमंग से मनाए जाते हैं, जिससे माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो जाता है। हर त्योहार में यहां कीर्तन, भजन, प्रवचन, और प्रसाद वितरण होता है।
इस्कॉन मायापुर में भक्तों के लिए प्रसाद और भोजन की सुव्यवस्थित व्यवस्था की गई है, जो स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पूरी तरह सात्विक भी होते हैं। मंदिर में प्रतिदिन दोपहर के समय सभी श्रद्धालुओं को निशुल्क महाप्रसाद प्रदान किया जाता है। इस प्रसाद में चावल, दाल, दो तरह की सब्जियाँ और मिठाई शामिल होती है। मंदिर परिसर में एक बड़ा भोजनालय भी है, जहाँ एक साथ लगभग 500 से अधिक भक्त आराम से भोजन कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, परिसर में विभिन्न फूड स्टॉल्स भी मौजूद हैं, जो विभिन्न प्रकार के शुद्ध और स्वादिष्ट व्यंजन उपलब्ध कराते हैं।
इस्कॉन मायापुर मंदिर पहुँचने के लिए आप कई साधनों का उपयोग कर सकते हैं, जो सड़क मार्ग हवाई मार्ग से जुड़ा हुआ है जहां सुविधाजनक और सरल तरीके से पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग: कोलकाता से मायापुर तक टैक्सी, निजी वाहन या बस के माध्यम से भी पहुँचा जा सकता है। सड़क मार्ग से मंदिर तक पहुंचने का रास्ता लगभग 4 से 5 घंटे का है।
रेल मार्ग: कोलकाता के सियालदाह स्टेशन से कृष्णानगर स्टेशन तक लोकल ट्रेन उपलब्ध हैं। कृष्णानगर पहुँचने के बाद टोटो (ऑटो रिक्शा) से कृष्णानगर घाट पहुँचना होता है। वहां से हुलोर घाट तक 5 मिनट की नाव सेवा लेकर गंगा पार की जाती है। उसके बाद मायापुर मंदिर तक पहुँचा जा सकता है।
हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (कोलकाता) है, जो मायापुर से लगभग 130 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से टैक्सी या कैब के माध्यम से मायापुर पहुँचा जा सकता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए इन सभी साधन का उपयोग करके आसनी से पहुंच सकते हैं।
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