
"भगवान शिव के आशीर्वाद से भक्ति में समाएं, 'मैली चादर ओढ़ के कैसे' भजन पढ़ें!"
ये भजन आत्मशुद्धि और ईश्वर की भक्ति का संदेश देता है। ये भजन हमें अपने दोषों, पापों और अहंकार को त्यागकर ईश्वर की शरण में जाने की प्रेरणा देता है। इसे सुनने और गाने से मन को शांति मिलती है, आत्मचिंतन की भावना बढ़ती है, और भक्त को आध्यात्मिक शुद्धता प्राप्त करने में मदद मिलती है।
मैली चादर ओढ़ के कैसे,
द्वार तुम्हारे आऊँ,
हे पावन परमेश्वर मेरे,
मन ही मन शरमाऊँ ।
॥ मैली चादर ओढ़ के..॥
तूने मुझको जग में भेजा,
निर्मल देकर काया,
आकर के संसार में मैंने,
इसको दाग लगाया ।
जनम जनम की मैली चादर,
कैसे दाग छुड़ाऊं,
॥ मैली चादर ओढ़ के..॥
निर्मल वाणी पाकर तुझसे,
नाम ना तेरा गाया,
नैन मूँदकर हे परमेश्वर,
कभी ना तुझको ध्याया ।
मन-वीणा की तारे टूटी,
अब क्या राग सुनाऊँ,
॥ मैली चादर ओढ़ के..॥
इन पैरों से चलकर तेरे,
मंदिर कभी ना आया,
जहाँ जहाँ हो पूजा तेरी,
कभी ना शीश झुकाया ।
हे हरिहर मई हार के आया,
अब क्या हार चढाउँ,
॥ मैली चादर ओढ़ के..॥
तू है अपरम्पार दयालु,
सारा जगत संभाले,
जैसा भी हूँ मैं हूँ तेरा,
अपनी शरण लगाले ।
छोड़ के तेरा द्वारा दाता,
और कहीं नहीं जाऊं
मैली चादर ओढ़ के कैसे,
द्वार तुम्हारे आऊँ,
हे पावन परमेश्वर मेरे,
मन ही मन शरमाऊँ ।
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