13 सितंबर 2025 को क्या है? जानिए इस दिन का पंचांग, आश्विन कृष्ण षष्ठी, वैष्णव पूजा और षष्ठी व्रत का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
13 सितंबर 2025 का दिन धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस दिन त्रयोदशी श्राद्ध किया जाएगा, जिसे पितरों की शांति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए खास माना जाता है। शुभ मुहूर्त में किए गए कार्य इस दिन विशेष फलदायी होते हैं।
क्या आप जानना चाहते हैं कि 13 सितंबर 2025 को कौन-सा व्रत और पर्व है तथा यह दिन धार्मिक दृष्टि से क्यों खास है?
13 सितंबर 2025 शनिवार का दिन है और यह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि है। इस दिन सप्तमी श्राद्ध मनाया जाएगा। पितृ पक्ष में किया जाने वाला यह श्राद्ध उन पितरों की आत्मा की शांति के लिए समर्पित होता है जिनकी मृत्यु सप्तमी तिथि को हुई हो। इसे सातवें श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है।
पंचांग विवरण
तिथि प्रारंभ: सप्तमी तिथि – 13 सितंबर, सुबह 7:23 बजे से
तिथि समाप्त: 14 सितंबर, सुबह 4:53 बजे तक
नक्षत्र: अश्विनी – सुबह 10:01 बजे तक, इसके बाद भरणी नक्षत्र
योग: शुक्ल योग – सुबह 10:41 बजे तक, इसके बाद ब्रह्म योग
करण: बव – सुबह 7:23 बजे से 8:53 PM तक, इसके बाद बालव करण
वार: शनिवार (शनि देव का दिन, तप और साधना का दिन)
शुभ-अशुभ समय
कुतुप मुहूर्त: 11:52 AM से 12:42 PM
रौहिण मुहूर्त: 12:42 PM से 1:32 PM
अपराह्न काल: 1:32 PM से 4:01 PM
अभिजीत मुहूर्त: 11:32 AM से 12:22 PM
राहुकाल: 9:40 AM से 11:14 AM
गुलिक काल: 6:36 AM से 8:10 AM
यमघंट काल: 1:25 PM से 3:00 PM
सूर्योदय और सूर्यास्त
सूर्योदय: 5:41 AM
सूर्यास्त: 6:06 PM
चंद्रोदय: 11:04 PM
चंद्रास्त: 12:21 PM (अगले दिन)
ग्रह और राशि
सूर्य राशि: सिंह
चंद्र राशि: मेष (प्रारंभ), फिर वृषभ राशि
दिशाशूल: पूर्व दिशा
ऋतु: वर्षा
आयन: दक्षिणायन
सप्तमी श्राद्ध का महत्व
सप्तमी श्राद्ध का पितृ पक्ष में विशेष महत्व है।
यह श्राद्ध उन पितरों के लिए किया जाता है जिनकी मृत्यु सप्तमी तिथि को हुई हो।
इस दिन श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करने से पितर प्रसन्न होकर वंशजों को सुख-समृद्धि और आयु का आशीर्वाद देते हैं।
शनिवार होने के कारण इस दिन शनि देव की भी कृपा प्राप्त करने का अवसर मिलता है।
निष्कर्ष
13 सितंबर 2025 का दिन धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन सप्तमी श्राद्ध मनाया जाएगा। यह दिन पितृ कृपा प्राप्त करने और पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विशेष माना गया है। इस दिन श्रद्धापूर्वक श्राद्ध और तर्पण करने से परिवार में शांति, संतुलन और सुख-समृद्धि बनी रहती है।
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