20 सितम्बर 2023, बुधवार, भाद्रपद शुक्ल पंचमी तिथि पर ऋषि पंचमी का महत्वपूर्ण पर्व है। जीवन में सुख, समृद्धि, सुख और सौभाग्य पाने, धार्मिक गलतियां एवं दोषों से मुक्ति पाने, सभी प्रकार के अक्षम्य पापों से मुक्ति पाने के लिए इस दिन ऋषि पंचमी महापूजा में भाग लेना चाहिए। इस खास दिन पर, उज्जैन के श्री सप्त ऋषि मंदिर में सप्त ऋषियों की महापूजा और भगवान शिव की महाभिषेक पूजा में भाग लें। इस महापूजा में शामिल होकर सप्त ऋषियों के आशीर्वाद से आप पापों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।
ऋषि पंचमी हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है, जो भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस पावन दिन पर, सप्त ऋषियों की पूजा और भगवान शिव की अभिषेक पूजा की जाती है। ऋषि पंचमी की कथा के अनुसार, इस व्रत का पालन करने से महिलाओं की माहवारी के दौरान होने वाली धार्मिक गलतियों से मुक्ति मिलती है और उन्हें घर में सुख, शांति, समृद्धि, और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
ऑनलाइन पूजा का लाभ निश्चित तौर पर मिलता है। किसी भी पूजा में सबसे अधिक महत्व नाम और गोत्र का होता है। आप पूरे विश्व में कहीं भी रहने पर आपकी पहचान आपके नाम और गोत्र से होती है, तो पूजा किसके नाम से आयोजित हो रही है यह निर्धारित करता है कि पूजा का फल किसे मिलेगा।कोई भी समस्या, बीमारी या दोष हो सभी पूजाओं को नाम और गोत्र से ही संपन्न किया जा सकता है। ऐसे में किसी भी तीर्थ स्थान या मंदिर में आपके नाम और गोत्र के उच्चारण से पूजा का फल आपको प्राप्त होता है।
यदि आपको अपना गोत्र पता नहीं है तो इस स्थिति मैं आप अपना गोत्र कश्यप मान सकते हैं क्योंकि कश्यप ऋषि एक ऐसे ऋषि थे जिनकी संतान हर जाति में पाई जाती हैं और इसी कारण वे श्रेष्ट ऋषि माने जाते हैं। इन विवरणों का पंडित जी द्वारा पूजा के दौरान जाप किया जाएगा।