हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को राधाष्टमी का व्रत-पर्व मनाया जाता है। भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव यानि जन्माष्टमी के जैसे ही राधाष्टमी का त्यौहार भी काफी धूमधाम से मनाया जाता है। राधाष्टमी के व्रत-पर्व पर राधारानी की महाभिषेक पूजा करने से घर-परिवार में सुख, समृद्धि, खुशहाली एवं एकात्मता की प्राप्ति होती है। पुराणिक कथाओं के अनुसार, राधाजी को प्रसन्न करने से भगवान कृष्ण अपने आप ही प्रसन्न होते है और भक्तों पर अपने शुभाशीष बरसाते हैं।
साक्षात महालक्ष्मी की परम कृपा दृष्टि प्राप्त करने, घर-परिवार में सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य तथा वैभव प्राप्त करने, पारिवारिक जीवन में प्रेम तथा एकात्मता बढ़ाने तथा शादीशुदा महिलाओं द्वारा अखंड सौभाग्य के आशीष पाने के लिए दिनांक 23 सितम्बर 2023, शनिवार, भाद्रपद शुक्ल अष्टमी, श्री राधाजी के जन्मोत्सव के शुभ व्रत-पर्व पर श्री राधारानी मंदिर, बरसाना, वृन्दावन के आचार्यों द्वारा राधाष्टमी विशेष श्री राधारानी महाभिषेक पूजा का आयोजन किया गया है। राधारानी के साथ भगवान श्री कृष्ण के भी शुभाशीष पाने के लिए श्री मंदिर के माध्यम से इस महाभिषेक पूजा में भाग लें।
ऑनलाइन पूजा का लाभ निश्चित तौर पर मिलता है। किसी भी पूजा में सबसे अधिक महत्व नाम और गोत्र का होता है। आप पूरे विश्व में कहीं भी रहने पर आपकी पहचान आपके नाम और गोत्र से होती है, तो पूजा किसके नाम से आयोजित हो रही है यह निर्धारित करता है कि पूजा का फल किसे मिलेगा।कोई भी समस्या, बीमारी या दोष हो सभी पूजाओं को नाम और गोत्र से ही संपन्न किया जा सकता है। ऐसे में किसी भी तीर्थ स्थान या मंदिर में आपके नाम और गोत्र के उच्चारण से पूजा का फल आपको प्राप्त होता है।
यदि आपको अपना गोत्र पता नहीं है तो इस स्थिति मैं आप अपना गोत्र कश्यप मान सकते हैं क्योंकि कश्यप ऋषि एक ऐसे ऋषि थे जिनकी संतान हर जाति में पाई जाती हैं और इसी कारण वे श्रेष्ट ऋषि माने जाते हैं। इन विवरणों का पंडित जी द्वारा पूजा के दौरान जाप किया जाएगा।