शनि त्रयोदशी पर भगवान शनि की पूजा करें और अपनों को भेजें शुभकामनाएं। यहां पाएं शनि त्रयोदशी की शुभकामनाएं हिंदी में।
जब कर्मों का लेखा-जोखा ईश्वर स्वयं अपने हाथों में ले लें, तब हर आत्मा को अपने कर्मों का उत्तरदायित्व समझ में आता है। शनि देव, जो नवग्रहों में न्यायाधीश की भूमिका निभाते हैं, उनका एक विशेष दिन होता है शनि त्रयोदशी। यह पर्व तब मनाया जाता है जब त्रयोदशी तिथि और शनिवार का दुर्लभ संयोग बनता है।
वर्ष 2025 में शनि त्रयोदशी 4 अक्टूबर को पड़ेगी, और यह दिन उन सभी के लिए विशेष है जो जीवन के संघर्षों में शांति, स्थिरता और न्याय की तलाश करते हैं। इस दिन की ऊर्जा अत्यंत शक्तिशाली होती है, क्योंकि यह दिन एक ओर शनि ग्रह की गूढ़ शक्तियों को जाग्रत करता है, वहीं दूसरी ओर आत्मशुद्धि, तप और संयम की साधना का द्वार भी खोलता है।
यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यंत प्रभावशाली होता है जो साढ़े साती, शनि की ढैय्या या शनि महादशा से पीड़ित होते हैं। इस दिन व्रत और शनि पूजन करके व्यक्ति अपने कर्मों को शुद्ध कर सकता है, शनि के नकारात्मक प्रभावों से राहत प्राप्त कर सकता है और धन-स्वास्थ्य-संतान संबंधी बाधाओं से मुक्ति पा सकता है।
1. प्रातःकाल स्नान करके नीले या काले वस्त्र धारण करें।
2. शनि देव की प्रतिमा या चित्र को सरसों के तेल से अभिषेक करें।
3. काले तिल, काले कपड़े, लोहे के बर्तन और नीले फूल अर्पित करें।
4. मंत्र जाप करें – "ॐ शं शनैश्चराय नमः" – कम से कम 108 बार।
5. दिनभर व्रत रखें – फलाहार या जल उपवास करें।
6. प्रदोष काल (शाम) में विशेष पूजन करें और दीप जलाएं।
न्याय का प्रतीक – शनि देव हमें कर्म का महत्व समझाते हैं। अच्छा कर्म, अच्छा फल।
धैर्य और आत्मनिरीक्षण का पर्व – यह दिन हमें अपने भीतर झांकने का अवसर देता है।
भूत, भविष्य और वर्तमान का संतुलन – शनि देव तीनों कालों में हमारे कर्मों का लेखा रखते हैं।
कष्टों का निवारण – अगर सच्चे मन से शनि देव की आराधना की जाए, तो रोग, ऋण, शत्रु सभी शांत हो जाते हैं।
1. शनि देव की कृपा से जीवन में उजाला हो,
हर कष्ट मिट जाए, हर मन निराला हो।
2. शनि त्रयोदशी लाए सुख-शांति का संग,
कर्म पथ पर बढ़े हर जन के अंग।
3. दुख मिटे, सुख मिले, शनि देव का आशीष,
हर दिन हो मंगलमय, हर रात हो विशेष।
4. काले तिलों से पूजन करें,
शनि देव से कृपा वरन करें।
5. शनि त्रयोदशी का ये पावन पर्व,
लाए जीवन में शुभता और गर्व।
6. जहां शनि देव की दृष्टि हो शुभ,
वहीं जीवन बन जाए आनंदमय रुचिकर।
7. शनि देव की पूजा करें श्रद्धा से,
मिले सबको कृपा उनकी सदा से।
8. नीले वस्त्र, काला तिल,
शनि की भक्ति करे मन को निश्चल।
9. विनय से करें शनि देव का वंदन,
मिले जीवन में शुभ संकल्पों का बंधन।
10. शनि त्रयोदशी पर करें उपवास,
पाएं संकटों से मुक्ति का आभास।
11. शनि देव की छाया में जीवन हो रोशन,
हर कर्म बन जाए कल्याणमय दर्शन।
12. न्याय के देवता का ये खास दिन,
बने आपके जीवन में शुभ आरंभ की छिन।
13. शनि त्रयोदशी पर जागे भक्ति की अलख,
मिले आत्मा को शांति की सरगम।
14. दोष मिटाएं, कृपा पाएं,
शनि देव को सच्चे मन से भाएं।
15. नीला दीपक जले द्वार पर,
शनि देव करें कृपा अपार।
16. जो अपने कर्मों से डरे नहीं,
शनि उसकी रक्षा करें वहीं।
17. शनि त्रयोदशी का पर्व पावन,
लाए जीवन में शांति और साधन।
18. हनुमान जी संग करें आराधना,
शनि देव से मिले सच्ची साधना।
19. कष्टों से मुक्ति का दिन आया,
शनि त्रयोदशी ने वरदान सुनाया।
20. धैर्य, तप और संयम का पर्व,
शनि त्रयोदशी जीवन का गर्व।
21. मौन में शक्ति, भक्ति में प्रार्थना,
शनि त्रयोदशी से मिले आंतरिक साधना।
22. शनि देव की दृष्टि जब शुभ हो जाए,
जीवन का हर पत्थर फूल बन जाए।
शनि त्रयोदशी एक अवसर है। अपने कर्मों को पहचानने, सुधारने और नये सिरे से जीवन को दिशा देने का। यह पर्व केवल शनि देव को प्रसन्न करने का साधन नहीं, बल्कि आत्मचिंतन, अनुशासन और न्याय की प्रतीक प्रक्रिया है।
जब हम शनि देव के सामने नतमस्तक होते हैं, तो हम उनके भय से नहीं, बल्कि उनके न्याय से प्रेरित होकर भक्ति करते हैं। क्योंकि शनि का न्याय – कठोर ज़रूर है, परंतु अंततः कल्याणकारी है।
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