क्या आप ढूंढ रहे हैं गंगा दशहरा पर भेजने लायक शुभकामनाएं? यहां पढ़ें भक्ति भाव से ओतप्रोत गंगा दशहरा 2025 की शुभकामनाएं और मैसेज हिंदी में, जो आपके और अपनों के जीवन में लाएंगे पुण्य और सकारात्मकता।
गंगा दशहरा एक पावन पर्व है जो गंगा माता के पृथ्वी पर अवतरण की स्मृति में मनाया जाता है। यह दिन श्रद्धा, भक्ति और आत्मशुद्धि का प्रतीक है, जब भक्तजन गंगा स्नान, दान और जप-तप के जरिए जीवन को पवित्र और पुण्यवान बनाने का संकल्प लेते हैं। इस लेख में हम गंगा दशहरा से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां देंगे जो हर किसी के लिए अहम है।
कहा जाता है, जब पृथ्वी पापों के भार से कराह उठी थी, जब अधर्म अपने चरम पर था, तब स्वर्ग में देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। "हे नारायण! पृथ्वी को पावन करने के कोई उपाय कीजिए।" उस क्षण, ब्रह्मा जी ने तपस्या में लीन महाराज भागीरथ को आशीर्वाद दिया कि मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरेंगी। लेकिन सवाल था। इस दिव्य प्रवाह को धारण कौन करेगा? तब भगवान शंकर ने अपनी जटाओं में गंगा को समाहित कर उन्हें धरा पर अवतरित किया।
गंगा दशहरा, केवल एक पर्व नहीं, बल्कि वह क्षण है जब देवी गंगा स्वयं पृथ्वी पर पधारीं। पापों को हरने, मोक्ष का द्वार खोलने और पृथ्वी को दिव्यता से सिंचित करने के लिए। यह दिन महज एक तारीख नहीं, एक आध्यात्मिक पुल है। स्वर्ग और धरती के बीच का।
गंगा दशहरा ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। इस साल 5 जून को गंगा दशहरा मनाया जाएगा। इस दिन मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं। यह दिन दस पापों के नाश का प्रतीक है। शरीर, वाणी और मन के दस दोषों का शुद्धिकरण।
1. पावन धारा गंगा आई, पुण्य सभी के संग लाई।
दशहरा पर करें स्नान, पाएं जीवन का कल्याण।
2. मां गंगे का आज है दिन, करें स्मरण हर पल-छिन।
दशहरे पर शुभ आशीष मिले, हर मन पावन हो चले।
3. पुण्य की यह घटा छाई है,
मां गंगा की कृपा लाई है।
4. दशहरा पर बहा है पुण्य जल,
मां गंगा करें जीवन मंगल।
5. गंगा के दर्शन से मिटे संताप,
हर दिल में जागे दिव्यता का भाव।
6. हर हर गंगे की गूंज हो,
जीवन में उजियारा पूरन हो।
7. पाप नाशिनी आई धरा पर,
लहरों में लहराया सवेरा सुंदर।
8. गंगाजल से करें अभिषेक,
सुख-संपत्ति मिले अनेक।
9. पुण्य की बहती है धारा,
मन में उठे भक्ति की ज्वाला।
10. मां गंगे की कृपा अपार,
कर दे जीवन को उजियार।
11. दशहरा पर मिले वरदान,
मां गंगा दे जीवन दान।
12. गंगा की आरती की लौ में,
मन पवित्र हो जाए क्षण में।
13. धारा बहे कल्याण की,
हर दिशा से आए गूंज भक्ति की।
14. गंगा में बहे जीवन की आस,
मिट जाए हर दुख की प्यास।
15. दशहरा पर मां का आशीष पाएं,
पुण्य पथ पर हम बढ़ते जाएं।
16. जय गंगे! जय भागीरथी!
सदा रहो हृदय में समाहित सी।
17. गंगा की लहरों में मिले संतोष,
हर पल हो जैसे परम प्रकाश।
18. गंगोत्री से लेकर गंगासागर तक,
हर घाट गाए गंगे के राग।
19. मां गंगा का स्मरण करें,
हर कष्ट से मुक्ति पाएं।
20. स्वर्ग की ये धारा,
धरती पर लाए सवेरा प्यारा।
21. दशहरा की सौगात हो गंगा स्नान,
जीवन में आए सुख-संमान।
22. पुण्य-पर्व का ये उजियारा,
गंगा दशहरा करे हर मन सारा।
23. मां गंगे के चरणों में शीश नवाएं,
अपने सारे पाप जल में बहाएं।
24. हरिद्वार की आरती हो या बनारस की घंटियां,
गंगा दशहरा सबको दे पावन वंदनियां।
गंगा दशहरा केवल पर्व नहीं, एक आत्मिक पुकार है अपने अंदर की अशुद्धियों को धो डालने की, पुनः पवित्र होने की। यह वह दिन है जब भगवानों ने धरती को नवजीवन देने के लिए मां गंगा को भेजा। आज भी वो हमें उसी तरह पुकारती हैं, अपनी शीतल धाराओं से।
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