वृषभ संक्रान्ति की पूजा विधि

वृषभ संक्रान्ति की पूजा विधि

मिट जाते हैं मनुष्य के सभी पाप और कष्ट


वृषभ संक्रांति 2024 (Vrishabha Sankranti 2024)

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य का किसी राशि में प्रवेश करना संक्रांति कहलाता है। इस प्रकार सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश करने को वृषभ संक्रांति कहते हैं। इस दिन जहां सूर्य देव की पूजा अर्चना करने से अनेकों फल प्राप्त होते हैं, वहीं कुछ ऐसे कार्य हैं, जिन्हें वृषभ संक्रांति में करना वर्जित माना जाता है।

हिन्दू कैलेंडर की दूसरी संक्रांति वृषभ संक्रांति होती है। इस संक्रांति पर पूरी सृष्टि में ऊर्जा के स्रोत माने जाने वाले भगवान सूर्य की विधि-विधान से पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन पूजा के बाद दान-पुण्य करने से व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है। वृषभ संक्रांति हिन्दू वर्ष की पहली संक्रांति होती है। पूरे वर्ष में 12 मास की तरह ही 12 संक्रांति होती हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्यदेव के एक राशि से दूसरी राशि में गोचर अर्थात प्रवेश की तिथि को संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है।

वृषभ संक्रांति 2024 तिथि (Vrishabha Sankranti 2024 Dates)

साल 2024 की वृषभ संक्रांति मंगलवार14 मई को है। वृषभ संक्रांति पर पुण्य काल सुबह 10 बजकर 57 मिनट से शाम 06 बजकर 04 मिनट तक रहेगा। वहीं वृषभ संक्रान्ति पर महा पुण्य काल दोपहर 03 बजकर 51 मिनट से शाम 06 बजकर 04 मिनट तक रहेगा।

वृष संक्रांति की पूजा विधि

  • इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं, और पास के किसी जलाशय या नदी में स्नान करें।
  • अगर ऐसा संभव न हों तो आप घर पर ही पानी में ही लाल चन्दन, गुलाब की पंखुड़ी और गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
  • स्नान करते समय मन ही मन भगवान सूर्य का स्मरण करें, स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनें।
  • यदि आप इस दिन व्रत रखना चाहते हैं, तो सूर्यदेव को नमन करके व्रत का संकल्प लें, और तांबे के कलश में जल, लाल चन्दन और लाल फूल मिलाकर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें।
  • अर्घ्य देते समय ‘ॐ सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करते रहें।
  • इसके बाद पूजा स्थल को साफ करके, यहां नियमित रूप से की जाने वाली पूजा करें और सभी देवों को रोली, हल्दी, कुमकुम, धूप-दीप, पुष्प, अक्षत, भोग समेत संपूर्ण पूजा सामग्री अर्पित करें।
  • अब सर्वदेवों को नमन करके अपने घर परिवार के लिए सुख- समृद्धि और शांति की कामना करें।
  • इस दिन आप उत्तम फल के लिए भगवान विष्णु और भगवान शिव जी की भी पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
  • इसके बाद आप अपनी क्षमता के अनुसार किसी ब्राम्हण एवं निर्धन जनों को अन्न (धान और गेहूं) और वस्त्र आदि का दान करके अपने व्रत को पूर्ण करें।

वृषभ संक्रांति पर क्या करें? (What to do on Vrishabha Sankranti?)

  • वृषभ संक्रान्ति के दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए। इस दिन यदि आप गंगाजी या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं, तो आपको असंख्य शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
  • यदि आप इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने में असमर्थ है, तो अपने नहाने के पानी में गंगा जल और लाल चन्दन मिलाकर स्नान करे। इससे आपको गंगा स्नान के समान फल प्राप्त होगा।
  • स्नानादि से निवृत्त होने के पश्चात् सूर्य देवता को अर्घ्य देकर उनका पूजन करें।
  • सूर्य पूजन के उपरांत जूते-चप्पल, वस्त्र एवं अन्न दान करें। इस दिन स्नान और दान करने से ग्रह दोष एवं असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है।
  • वृषभ संक्रांति के दिनों में सूर्य भगवान की उपासना अत्यंत फलदाई मानी जाती है, इसलिए जिन लोगों की कुंडली में सूर्य शुभ नहीं हैं, उन्हें इस सक्रांति काल के दौरान सूर्य पूजा अवश्य करनी चाहिए।

वृषभ संक्रांति पर क्या न करें? (What not to do on Vrishabha Sankranti?)

  • वैसे तो वृषभ संक्रांति से सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है। फिर भी शुभ-अशुभ मुहूर्त और पंचांग देखे बिना किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत न करें।
  • हिन्दू धर्म में अपने पिता का सम्मान करना श्रेष्ठकर माना जाता है, खासकर वृषभ संक्रांति के दिन इस बात का ध्यान जरूर रखें। पिता का अपमान करने वालों का सूर्य ग्रह कमजोर होता है।
  • इस दिन भूल से भी किसी जरूरतमंद को ठेस न पहुंचाएं और अपनी क्षमता के अनुसार दान करना न भूलें।
  • वृषभ संक्रांति के दिन सूर्योदय के बाद देर तक सोना अशुभ फलों की प्राप्ति और बाधा का कारक बनता है। इस शुभ दिन पर देर तक न सोने से बचें।

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