वामन जयंती की पूजा विधि
वामन जयंती की पूजा विधि

वामन जयंती की पूजा विधि

26 सितम्बर, 2023 जानें पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त


हिंदू धर्म में हर एक तिथि खास होती है। वहीं भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को ‘वामन द्वादशी’ कहा जाता हैं। इस दिन भगवान विष्णु ने वामन देव के रूप में अवतार लिया था। इसलिए इस दिन को वामन जयन्ती के नाम से जाना जाता है। वामन देव विष्णु के पाँचवे तथा त्रेता युग के पहले अवतार थे। विष्णु जी का मनुष्य रूप में पहला अवतार वामन ही था। इससे पहले विष्णु जी ने 4 अवतार पशु रूप में लिए थे जिसमें से मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, वराह अवतार और नरसिंह अवतार थे। बात करें भगवान विष्णु के वामन अवतार की तो, इसमें विष्णु जी ने एक बौने ब्राह्मण का रूप लिया था। जिसे दक्षिण भारत में उपेन्द्र के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन वामन जयंती 2023 में कब मनाई जाएगी? इसका शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है? यह सब जानकारी के लिए इस लेख में बने रहें।

वामन जयन्ती का शुभ मुहूर्त

वामन देव ने भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को धरती पर अवतार लिया था। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि का आरंभ 26 सितम्बर, 2023 को मंगलवार 5 बजे से होगा और तिथि का समापन 27 सितम्बर 2023, बुधवार को दोपहर 1 बजकर 45 मिनट पर होगा।

वामन जयंती का महत्व

यह पर्व उत्तर और दक्षिण भारत की संस्कृति को जोड़ता है। कहते हैं कि इस दिन व्रत रखने से और भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जातक को जीवन में सफलता व सर्वोच्च पद की प्राप्ति होती है। इस दिन भक्तगण पूरे भक्ति भाव से विष्णु जी की वामन अवतार में पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं।

वामन जयंती की पूजा विधि

  • वामन जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर शुद्ध स्नान के बाद पूजा का संकल्प लें।
  • इस दिन का उपवास रखें और आप एक समय ही भोजन कर सकते हैं।
  • आज के दिन वामन अवतार की प्रतीमा लें और उसके सामने व्रत का संकल्प लें।
  • अब भगवान विष्णु के वामन अवतार की षोडोपचार पूजा करें।
  • ध्यान रहे कि इस दिन पूजा श्रवण नक्षत्र में ही करें। माना जाता है कि भगवान वामन का जन्म श्रवण नक्षत्र में ही हुआ था।
  • पूजा के बाद भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप और श्रवण करें।
  • इसके बाद भगवान वामन के जन्म की कथा का श्रवण करें।
  • पूजा में भगवान को फल, फूल, नैवेद्य आदि का भोग लगाएं।
  • इसके बाद शाम के समय पूजा के बाद आप व्रत खोल सकते हैं।

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