हरियाली तीज में क्या पहनना चाहिए?
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हरियाली तीज में क्या पहनना चाहिए?

हरियाली तीज पर हरे रंग के कपड़े पहनना और पारंपरिक श्रृंगार करना शुभ होता है। जानें इस दिन कौन-से वस्त्र, गहने और रंगों को प्राथमिकता देनी चाहिए।

हरियाली तीज में क्या पहनना चाहिए, इसके बारे में

हरियाली तीज पर महिलाएं पारंपरिक परिधान जैसे हरे रंग की साड़ी या सूट पहनती हैं। हरे चूड़ियाँ, मेहंदी, बिंदी और गहनों से सजकर वे त्योहार की शोभा बढ़ाती हैं। हरा रंग सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। आइये जानते हैं इसके बारे में...

हरियाली तीज

श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाने वाली हरियाली तीज सुहागिनों का महापर्व है। इस दिन विवाहित स्त्रियां निर्जला व्रत रखती हैं, और भगवान शिव व माता पार्वती जी की आराधना करके पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस व्रत के प्रभाव से उत्तम पुत्र की प्राप्ति भी होती है। हरियाली तीज प्रकृति की हरियाली, प्रेम, सौंदर्य, और पति-पत्नी के रिश्ते की मधुरता का प्रतीक है। यह पर्व जहां एक ओर प्रकृति से जुड़ाव को दर्शाता है, वहीं दूसरी ओर इस दिन की गई शिव पार्वती की उपासना से वैवाहिक जीवन में प्रेम, सौभाग्य और समृद्धि का आगमन होता है।

हरियाली तीज का पारंपरिक महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हरियाली तीज का पर्व शिव-पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। कहा जाता है कि माता पार्वती ने शिव जी को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इस कड़ी तपस्या के फल स्वरूप 108वें जन्म के बाद श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को भगवान भोलेनाथ ने पार्वती जी को पत्नी के रूप में स्वीकार किया। ऐसी मान्यता है कि तभी भगवान शिव और माता पार्वती ने इस दिन को सुहागिन स्त्रियों के लिए सौभाग्य का दिन होने का वरदान दिया।

इस पर्व पर स्त्रियां विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और अपने वैवाहिक जीवन में सुख-शांति व अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। हरियाली तीज का व्रत सुहागिनों के लिए ‘सौभाग्य व्रत’ माना गया है, वहीं अविवाहित कन्याएं भी अच्छे वर की कामना से इस व्रत का अनुष्ठान करती हैं।

सुहागिनों के लिए हरियाली तीज का विशेष दिन

  • हरियाली तीज का दिन सुहागिन स्त्रियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस दिन वे पति की लंबी उम्र, प्रेम और सौहार्द के लिए शिव-पार्वती की उपासना करती हैं।

  • यह व्रत कठिन होता है क्योंकि इसमें जल ग्रहण करना भी वर्जित होता है। स्त्रियां इस दिन निर्जला व्रत करती हैं, और श्रद्धा व विश्वास के साथ इस कठिन व्रत को भी पूरे मनोयोग से करती हैं।

  • हरियाली तीज के दिन स्त्रियां प्रातः स्नान करके नए वस्त्र पहनती हैं, श्रृंगार करती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा कर व्रत का संकल्प लेती हैं। पूजा के समय कथा सुनना या पढ़ना भी अनिवार्य माना जाता है।

  • तीज पर्व पर झूला झूलने का भी विशेष महत्व है। इस दिन स्त्रियां समूह बनाकर झूला झूलती हैं, लोकगीत गाती हैं और पारंपरिक नृत्य करती हैं। इस परंपरा के माध्यम से समाज में मेल-जोल और उत्साह बढ़ता है।

  • सुहाग का प्रतीक मानी जाने वाली ‘मेंहदी’ हरियाली तीज के दिन विशेष महत्व रखती है। तीज व्रत का अनुष्ठान करने वाले स्त्रियां इस दिन हाथों में मेंहदी ज़रूर लगवाती हैं।

हरियाली तीज पर पहनावे का सांस्कृतिक महत्व

हरियाली तीज के दिन स्त्रियों के पहनावे और श्रृंगार का भी विशेष महत्व है। इसके पीछे कई सांस्कृतिक और धार्मिक भावनाएं जुड़ी होती हैं। सुहागिन स्त्रियां इस दिन सोलह श्रृंगार करती हैं, जिसमें बिंदी, चूड़ियां, काजल, सिंदूर, मेंहदी, अंगूठी, बिछिया, नथ, हार, मांगटीका आदि शामिल होते हैं। ये श्रृंगार पति के दीर्घायु और सौभाग्य की कामना के प्रतीक माने जाते हैं।

कुछ स्थानों पर हरियाली तीज के अवसर पर नवविवाहित स्त्रियों को मायके बुलाया जाता है और उनके स्वागत-सत्कार की विशेष परंपरा होती है। वहीं कहीं-कहीं इस दिन मायके से ‘सिंधारा’ भेजने की भी परंपरा होती है।

सिंधारे में मुख्य रूप से सुहाग से जुड़े सोलह श्रृंगार का सामान, नए वस्त्र, मिठाइयां, मौसमी फल और अन्य उपहार शामिल होते हैं। इसमें हरी चूड़ियां, बिंदी, सिंदूर, काजल, मेंहदी, नथ, गजरा, मांगटीका, कमरबंद, बिछिया, पायल, झुमके, बाजूबंद, अंगूठी, कंघा और सोने या चांदी के आभूषण भी होते हैं। हरियाली तीज के दिन इन वस्तुओं का प्रयोग कर स्त्रियां अपना सोलह श्रृंगार करती हैं।

हरे रंग के वस्त्र क्यों पहनते हैं?

हरियाली तीज के दिन हरे रंग के वस्त्र पहनने की परंपरा है। इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं:

  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हरे रंग के वस्त्र धारण किए थे, इसलिए हरियाली तीज पर आज भी हरे वस्त्र पहनने की परम्परा है।

  • हरा रंग हरियाली, उत्सव और उन्नति का प्रतीक माना जाता है। श्रावण मास में धरती भी हरी-भरी व मनमोहक होती है, उसी भाव में स्त्रियां भी हरे वस्त्र पहनती हैं।

  • मान्यता है कि हरा रंग सौभाग्य, प्रेम और समृद्धि को आकर्षित करता है। इसलिए इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं व कन्याएं हरे रंग के वस्त्र व चूड़ियां पहनती हैं।

  • हरा रंग मन को शांति और ठंडक देने वाला माना जाता है, इसलिए मान्यता है कि हरियाली तीज के दिन हरे वस्त्र पहनने से मानसिक प्रसन्नता मिलती है।

ये थी भगवान शिव व माता पार्वती को समर्पित हरियाली तीज पर्व से जुड़ी विशेष जानकारी। ‘श्री मंदिर’ कामना करता है कि आपका हरियाली तीज व्रत विधि विधान से पूर्ण हो, और शिव पार्वती की कृपा से आपका सुख-सौभाग्य सदा बना रहे।

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Published by Sri Mandir·July 21, 2025

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