क्या आप हरियाली तीज पर ये गलतियाँ कर रहे हैं? जानिए इस व्रत में क्या करना शुभ होता है और किन कार्यों से परहेज़ जरूरी है।
हरियाली तीज, जिसे श्रावणी तीज भी कहा जाता है यह पर्व सुहागिनों ही नहीं बल्कि कुंवारी कन्याओं के लिए भी बेहद खास होता है। महिलाएं इस दिन व्रत रखकर पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं, लेकिन व्रत करते समय कुछ जरूरी नियम और सावधानियां भी होती हैं जिन्हें जानना ज़रूरी है। तो आइए, हरियाली तीज पर क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
गौरी शंकर जी के जैसी जोड़ी बन जाए,
हां, ऐसी जोड़ी बन जाए,
तोड़े से ना टूटे... छोड़े से ना छूटे,
ऐसे बंध जाए... ऐसे बंध जाए
इस गीत की इन प्यारी पंक्तियों में ही हरियाली तीज का पूरा सार समाया है। यह सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि उस गहरी भावना का प्रतीक है जो हर स्त्री अपने जीवनसाथी के लिए मन में संजोए रखती है। यह दिन खास तौर पर सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत महत्व रखता है।
हरियाली तीज का पर्व गौरी और शंकर के अटूट प्रेम, तप और समर्पण की स्मृति में मनाया जाता है। यह व्रत हर स्त्री के लिए सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि उसकी आस्था, प्रेम और अपने रिश्ते की लंबी उम्र की कामना का उत्सव है। मान्यता अनुसार, गौरी माता ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए 107 जन्मों तक तप किया था तब जाकर 108वें जन्म में शिव जी ने उन्हें अपनाया।
यही कारण है कि विवाहित महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति की कामना करती हैं। हरियाली तीज का दिन सिर्फ पूजा का नहीं, बल्कि श्रृंगार, झूले, हंसी-ठिठोली, गीत-संगीत और हरियाली से भरपूर एक उत्सव का दिन होता है। यह दिन रिश्तों को संजोने, उन्हें और मजबूत करने और भक्ति में लीन होकर जीवनसाथी के साथ सुखमय जीवन की प्रार्थना करने का दिन होता है।
हरियाली तीज न केवल पूजा का, बल्कि प्रेम, समर्पण और आनंद का भी पर्व है। यह दिन स्त्रियों के लिए खास होता है क्योंकि वे इस दिन अपने वैवाहिक जीवन की सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। वहीं, यह पर्व आस्था, श्रृंगार और श्रद्धा से जुड़ा होता है। आइए जानते हैं हरियाली तीज पर क्या-क्या करना चाहिए।
हरियाली तीज पर सुहागिनों और कुंवारी कन्याओं को भोले-पार्वती का नाम लेकर निर्जला उपवास करना चाहिए। साथ ही पूजा की तैयारी करनी चाहिए, जिसमें भोले-पार्वती को चढ़ाने वाली सामग्री रखनी चाहिए।
इस दिन चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, मेहंदी, कंघी आदि सोलह श्रृंगार करके महलिाओं को तैयार होना चाहिए।
पूजा के समय शिव चालीसा, महामृत्युंजय मंत्र और शिव पंचाक्षरी मंत्र का पाठ करना चाहिए। अपने समय अनुसार दिन-रात को भजन-कीर्तन करना चाहिए।
इस दिन महिलाओं को अपने पति की लंबी उम्र की कामना औऱ रिश्ते में प्रेम बने रहने की कामना भी करनी चाहिए।
हरियाली तीज पर चावल, गेहूं, वस्त्र, फल और सुहाग की चीजें (जैसे चूड़ी, बिंदी, सिंदूर) किसी जरूरतमंद को दान करना चाहिए। इससे पुण्य और सौभाग्य दोनों की प्राप्त होती है।
इस दिन महिलाएं झूले, लोकगीत, नृत्य और तीज के पारंपरिक उत्सवों में हिस्सा भी ले सकती हैं। क्योंकि यह दिन सामाजिक और सांस्कृतिक जुड़ाव का भी प्रतीक होता है।
हरियाली तीज का व्रत बहुत ही पवित्र और फलदायी माना जाता है, लेकिन कई बार जाने-अनजाने में की गई कुछ गलतियां व्रत के पूर्ण फल में बाधा बन जाती हैं। यदि आप इस व्रत का पूरा फल प्राप्त करना चाहती हैं, तो निम्न बातों का खास ख्याल रखें।
यह व्रत निर्जला होता है, यानी इसमें जल और फल का सेवन नहीं किया जाता। इससे व्रत अधूरा माना जाता है।
अगर शरीर साथ न दे रहा हो, तो व्रत को अपनी क्षमता और डॉक्टर की सलाह से करें। ज़िद न करें।
व्रत के दिन मन को शांत रखें। नकारात्मक विचार, झूठ और क्रोध व्रत को अशुद्ध करते हैं।
मांस, मदिरा, लहसुन और प्याज जैसी चीजों से पूरी तरह दूरी बनाए रखें।
पूजन के बाद तीज व्रत की कथा अवश्य सुनें। बिना कथा व्रत अधूरा रह जाता है।
सुहागिन महिलाओं के लिए सोलह श्रृंगार अनिवार्य है। अधूरा श्रृंगार व्रत की मर्यादा को कम करता है।
भगवान शिव की पूजा में तुलसी वर्जित मानी गई है। इसका प्रयोग न करें।
किसी की बुराई, अपशब्द या दिखावा व्रत की शुद्धता को प्रभावित करता है। प्रेम और श्रद्धा बनाए रखें। इन बातों का ध्यान रखकर ही हरियाली तीज व्रत को पूर्ण फल और पुण्य के साथ संपन्न किया जा सकता है। साथ ही ऐसा करने से मां पार्वती औऱ भोलेनाथ का आशीष भी प्राप्त होता है।
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