गणपति विसर्जन का शुभ मुहूर्त और विधि

गणपति विसर्जन का शुभ मुहूर्त और विधि

28 सितम्बर, 2023 इस शुभ मुहूर्त में करें बप्पा को विदा, जानें सम्पूर्ण विधि


हर वर्ष गणेश उत्सव पूरे देश में भक्ति और उमंग की एक लहर लेकर आता है। लोग पूरी आस्था एवं प्रेम के साथ भगवान गणेश जी का स्वागत अपने घरों में करते हैं और 10 दिनों के पश्चात् अपने प्यारे गणपति बप्पा को जल में विसर्जित कर देते हैं। गणेशोत्सव में गणेश जी को घर पर स्थापित करने के बाद पूरे विधि-विधान से उनकी प्रतिमा को विसर्जित करना अत्यंत आवश्यक है। लेकिन विसर्जन करने का भी एक समय और विधि होती है। 2023 में गणपति वसर्जन कैसे करें और उसकी सही विधि व समय क्या है जानने के लिए पढ़ें पूरी जानकारी।

गणपति विसर्जन का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी के उत्सव की शुरूआत 19 सितंबर 2023, मंगलवार से ही हो गई थी, जिस दौरान घरों में गणपति बप्पा को विराजमान किया था। उसके बाद 28 सितंबर 2023 को बप्पा का विसर्जन किया जाएगा। तो आइए जानते हैं गणपति विसर्जन के शुभ मुहूर्त।

गणपति विसर्जन का समय - 28 सितम्बर 2023, गुरूवार

सुबह के लिए शुभ मुहूर्त – सुबह 06 बजकर 12 मिनट से सुबह 07 बजकर 42 मिनट तक दोपहर के लिए शुभ मुहूर्त – सुबह 10 बजकर 42 मिनट से दोपहर 03 बजकर 11 मिनट तक शाम के लिए शुभ मुहूर्त – शाम को 04 बजकर 41 मिनट से शाम 06 बजकर 11 मिनट तक रात के लिए शुभ मुहूर्त – शाम 06 बजकर 11 मिनट से रात 09 बजकर 11 मिनट तक उषाकाल का शुभ मुहूर्त – रात 12 बजकर 12 मिनट से रात 01 बजकर 42 मिनट तक (29 सितम्बर)

गणपति विसर्जन का महत्व

कथाओं के अलावा भगवान गणेश जी को विसर्जित करना इस बात का प्रतीक है कि हमारा शरीर मिट्टी से बना है और अंत में उसी में विलीन हो जाएगा। वहीं जल का संबंध ज्ञान और बुद्धि से भी माना जाता है जिसके कारक स्वयं भगवान गणेश जी हैं। जो कि जल विसर्जित होकर अपने साकार से निराकार रूप में घुल जाते हैं। जल में मूर्ति विसर्जन से यह माना जाता है कि जल में घुलकर परमात्मा अपने मूल स्वरूप से मिल जाएं। यह परमात्मा के एकाकार होने का प्रतीक भी है।

भगवान गणेश जी को विसर्जित करने के पीछे कई सारे कारण और तर्क हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है इस प्रथा के निहित लोगों की असीम आस्था। यह इस पर्व की खूबसूरती है कि हर प्रकार के लोग इसमें सम्मिलित होते हैं और पूरे उत्साह से भगवान श्रीगणेश को विसर्जित करते हैं। साथ ही लोग अपने आराध्य से अगले साल फिर से आने की गुहार लगाते हैं।

कैसे करते हैं गणेश विसर्जन

गणेशोत्सव में गणेश जी को घर पर स्थापित करने के बाद पूरे विधि-विधान से उनकी प्रतिमा को विसर्जित करना अत्यंत आवश्यक है। आज हम उन सभी भक्तों के लिए भगवान गणेश जी के विसर्जन की विधि लेकर आए हैं, जो पहली बार बप्पा को घर पर लाने वाले हैं। तो चलिए जानते हैं कि किस प्रकार किया जाता है गणेश विसर्जन और इसमें भक्तों को किन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए-

गणेश चतुर्थी पर लोग बड़े ही धूमधाम से बप्पा जी को घर पर स्थापित करते हैं। इसके बाद 1.5, 3, 5, 7, 9 या फिर 10 दिनों तक विधि-विधान से उनकी स्तुति एवं पूजन करने के बाद सम्मान पूर्वक भगवान जी का विसर्जन कर देते हैं।

विसर्जन की विधि

  • विसर्जन के दिन सबसे पहले पूजा का उद्यापन विधिपूर्वक शास्त्रोक्त मंत्रों से करना चाहिए। घर में गणेशोत्सव के दौरान लाई गई मू्र्ति के साथ, घर के मंदिर में पहले से स्थापित गणपति जी की मूर्ति भी रखी जाती है।
  • विसर्जन के समय इस बात का ध्यान रखें कि घर के मंदिर में पहले से स्थापित मूर्ति को यथास्थान रखा जाता है। भगवान जी को मंदिर में पुनः स्थापित करते समय यह प्रार्थना की जाती है कि, हे प्रभु अब आप ऋद्धि-सिद्धि के साथ मंदिर में स्थिर हो जाइए।
  • मूर्ति को विसर्जन के लिए ले जाने से पहले हाथ में अक्षत लेकर प्रार्थना की जाती है कि गणपति बप्पा, आप अगले साल फिर से जल्दी आना। इसके पश्चात् अक्षत को भगवान जी की प्रतिमा पर छिड़क दिया जाता है।
  • घर से निकलते वक्त बप्पा जी को एक पोटली में दही-पोहे बांधकर दिया जाता है। इसके पीछ की मान्यता यह है कि गणपति जी लंबी यात्रा पर जा रहे हैं, इसलिए यह आवश्यक है कि हम उनकी भूख का प्रबंध करें।
  • अब पूरे धूम-धाम से भगवान की प्रतिमा को विसर्जन स्थल तक ले जाया जाता है। विसर्जन स्थल पर उनकी प्रतिमा को रख दिया जाता है और उन्हें नैवेद्य अर्पित किया जाता है। इसके बाद उनकी आरती उतारी जाती है।
  • आरती उतारने के बाद उनकी प्रतिमा को जल में ले जाया जाता है। विसर्जन से पहले भगवान जी की प्रतिमा को 5 बार डुबकी लगवाई जाती है और फिर अंततः जल में विसर्जित कर दिया जाता है। विसर्जन से बाद नदी या जलाशय के किनारे मिट्टी को घर वापिस लाया जाता है।
  • घर वापिस आते वक्त अन्य भक्तों में प्रसाद वितरित किया जाता है।

इस प्रकार गणपति जी का आदर सत्कार करने के बाद उन्हें जल में विसर्जित किया जाता है। भगवान जी के विसर्जन पर कई भक्त भावुक भी हो जाते हैं और साथ में इस बात की कामना करते हैं कि गणपति जी अगले साल फिर से उनके घर पर पधारें।

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