गणेश चतुर्थी 2025 की तिथि, पूजा विधि, गणपति स्थापना, व्रत नियम और विसर्जन से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी। जानें इस दिन के धार्मिक महत्व और उत्सव की परंपराएं।
गणेश चतुर्थी के बारे में
गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। इस दिन भक्त गणपति की मूर्ति स्थापित कर श्रद्धा से पूजा करते हैं। दस दिनों तक उत्सव मनाकर अनंत चतुर्दशी को विसर्जन किया जाता है, सुख-समृद्धि की कामना सहित।
भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन सुख-समृद्धि के देवता भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था। ये पर्व पूरे दस दिनों तक चलता है, यानि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होकर अनंत चतुर्दशी तक चलता है।
सबसे पहले जानते हैं कि साल 2025 में गणेश चतुर्थी कब है?
गणेश चतुर्थी 27 अगस्त 2025, बुधवार को पड़ रही है
मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त - 10:43 ए एम से 01:16 पी एम
अवधि - 02 घण्टे 33 मिनट्स
गणेश विसर्जन 06 सितम्बर, 2025, शनिवार को किया जाएगा।
एक दिन पूर्व, वर्जित चन्द्रदर्शन का समय - 01:54 पी एम से 08:07 पी एम, अगस्त 26
अवधि - 06 घण्टे 13 मिनट्स
वर्जित चन्द्रदर्शन का समय - 09:01 ए एम से 08:37 पी एम
अवधि - 11 घण्टे 36 मिनट्स
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - अगस्त 26, 2025 को 01:54 पी एम बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त - अगस्त 27, 2025 को 03:44 पी एम बजे
चलिये अब जानते हैं प्रमुख शहरों में गणेश स्थापना के शुभ मुहूर्त
11:24 ए एम से 01:55 पी एम - मुम्बई
11:21 ए एम से 01:51 पी एम - पुणे
11:05 ए एम से 01:40 पी एम - नई दिल्ली
10:56 ए एम से 01:25 पी एम - चेन्नई
11:11 ए एम से 01:45 पी एम - जयपुर
11:02 ए एम से 01:33 पी एम - हैदराबाद
11:06 ए एम से 01:40 पी एम - गुरुग्राम
11:07 ए एम से 01:42 पी एम - चण्डीगढ़
10:22 ए एम से 12:54 पी एम - कोलकाता
11:07 ए एम से 01:36 पी एम - बेंगलूरु
11:25 ए एम से 01:57 पी एम - अहमदाबाद
11:05 ए एम से 01:39 पी एम - नोएडा
10:49 ए एम से 01:19 पी एम - लखनऊ
10:32 ए एम से 01:02 पी एम - पटना
11:10 ए एम से 01:39 पी एम - इंदौर
11:09 ए एम से 01:40 पी एम - लुधियाना
11:21 ए एम से 01:51 पी एम - जोधपुर
10:57 ए एम से 01:26 पी एम - नागपुर
11:03 ए एम से 01:33 पी एम - भोपाल
11:22 ए एम से 01:51 पी एम - सूरत
11:03 ए एम से 01:35 पी एम - शिमला
11:04 ए एम से 01:35 पी एम - करनाल
10:30 ए एम से 12:59 पी एम - भुवनेश्वर
10:51 ए एम से 01:21 पी एम - कानपुर
11:05 ए एम से 01:36 पी एम - मोहाली
10:06 ए एम से 12:36 पी एम - गुवाहाटी
11:09 ए एम से 01:40 पी एम - हिसार
10:32 ए एम से 01:01 पी एम - रांची
11:06 ए एम से 01:37 पी एम - रोहतक
ध्यान रहे - इस गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन करने की मनाही होती है, यानी की आप चंद्र दर्शन नहीं कर सकते हैं। ख़ासकर कुछ समय के लिए इस बार चन्द्रदर्शन करना वर्जित रहेगा, यानि उस समय चंद्रमा का दर्शन करना आपके लिए अशुभ हो सकता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान गणेश ने चंद्रमा को श्राप दिया था कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को यदि कोई प्राणी चंद्रदेव के दर्शन करेगा, तो उसे किसी न किसी कलंक का भागी बनना पड़ेगा। इसीलिये इस दिन चंद्रदर्शन वर्जित माना जाता है।
इस समय न करें चंद्रदर्शन
27 अगस्त को चन्द्रदर्शन का वर्जित समय है 09:01 ए एम से 08:37 पी एम तक है।
एक दिन पहले, 26 अगस्त को वर्जित चन्द्रदर्शन का समय- 01:54 पी एम से 08:07 पी एम तक
अवधि - 06 घण्टे 13 मिनट्स
चलिए अब जानते हैं गणेश चतुर्थी के दिन के अन्य शुभ मुहूर्त
मुहूर्त
समय
ब्रह्म मुहूर्त
04:28 ए एम से 05:12 ए एम तक
प्रातः सन्ध्या
04:50 ए एम से 05:57 ए एम तक
अभिजित मुहूर्त
कोई नहीं
विजय मुहूर्त
02:31 पी एम से 03:22 पी एम तक
गोधूलि मुहूर्त
06:48 पी एम से 07:10 पी एम तक
सायाह्न सन्ध्या
06:48 पी एम से 07:55 पी एम तक
अमृत काल
01:37 ए एम, अगस्त 28 से 03:24 ए एम, 28 अगस्त तक
निशिता मुहूर्त
12:00 ए एम, अगस्त 28 से 12:45 ए एम, 28 अगस्त तक
विशेष योग
मुहूर्त
समय
सर्वार्थ सिद्धि योग
05:57 ए एम से 06:04 ए एम 28 तक
रवि योग
05:57 ए एम से 06:04 ए एम तक
भक्तों, ज्योतिष शास्त्रों में राहुकाल, यमगण्ड, गुलिक काल, दुर्मुहूर्त, वर्ज्य और भद्राकाल को अशुभ बताया गया है। इस अवधि में कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य करना वर्जित माना जाता है।
क्या है गणेश चतुर्थी?
गणेश चतुर्थी हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है, जो भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इसे विनायक चतुर्थी या चवथ के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तर भारत के कई हिस्सों में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों और पंडालों में भगवान गणेश की मिट्टी की प्रतिमा स्थापित कर भक्ति, व्रत, मंत्र-जप और सांस्कृतिक आयोजनों के माध्यम से उन्हें प्रसन्न करते हैं।
क्यों मनाते हैं गणेश चतुर्थी?
गणेश चतुर्थी मनाने का मुख्य कारण भगवान गणेश का जन्म है, जो देवी पार्वती और भगवान शिव के पुत्र माने जाते हैं। वे बुद्धि, समृद्धि, सौभाग्य और विघ्नों को दूर करने वाले देवता हैं। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान गणेश का अवतरण हुआ था, अतः भक्तगण इस दिन उनकी विशेष पूजा कर जीवन से सभी विघ्नों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं। यह पर्व आस्था के साथ-साथ सामाजिक एकता और संस्कृति के उत्सव का भी प्रतीक है।
गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत व्यापक है। यह पर्व न केवल आध्यात्मिक शुद्धता और भक्तिभाव को जागृत करता है, बल्कि घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि भी लाता है। भगवान गणेश को "विघ्नहर्ता" और "सिद्धिदाता" कहा जाता है, अतः इस दिन उन्हें प्रसन्न करने से जीवन के सभी कार्य सफल होते हैं और कष्टों का निवारण होता है। साथ ही, यह पर्व पर्यावरणीय चेतना का भी संदेश देता है, क्योंकि मिट्टी की मूर्तियों का विसर्जन करने की परंपरा प्रकृति से जुड़ाव को दर्शाती है।
गणेश चतुर्थी: सम्पूर्ण पूजन सामग्री
गणेश चतुर्थी से अगले दस दिनों तक भक्त गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करते हैं, और अनंत चतुर्दशी के दिन उनकी प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। गणेशोत्सव के दौरान पूजा करने के लिए कुछ वस्तुओं की आवश्यकता होती है, जिनके बिना भगवान गणेश की पूजा पूर्ण नहीं हो सकती है।
गणेशजी की पूजा सामग्री
भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा
लकड़ी की चौकी
चौकी पर बिछाने के लिए लाल कपड़ा
भोग के लिए पंचामृत
लाल चंदन
रोली
कलश
गंगा जल
जनेऊ
चाँदी का वर्क माला
पांच प्रकार का फल
मोदक या लड्डू
गुड
नारियल
खड़ा धन
दूब/दूर्वा
इत्र
लौंग
सुपारी
इलायची
हरे मूंग
पंचमेवा
घी का दीपक
धूप अगरबत्ती
कपूर
हम आशा करते हैं कि इस दिन आपकी विधि विधान से की गयी पूजा अर्चना सफल हो, और भगवान गणेश प्रसन्न होकर आपको सुख समृद्धि का आशीर्वाद दें।
गणेश चतुर्थी पूजा की तैयारी कैसे करें?
गणेश चतुर्थी की पूजा भक्ति, स्वच्छता और सादगी के साथ की जाती है। इस पर्व की तैयारी कुछ दिन पहले से ही आरंभ हो जाती है। नीचे चरणबद्ध रूप में बताया गया है कि कैसे आप घर पर गणेश चतुर्थी की पूजा की तैयारी कर सकते हैं:
1. स्थान का चयन करें
सबसे पहले घर में एक शांत, स्वच्छ और पवित्र स्थान चुनें जहाँ भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की जाएगी।
ध्यान रखें कि यह स्थान पूजा के दौरान कम से कम 1 से 10 दिनों तक व्यवधान रहित रहे।
2. गणेश मूर्ति का चयन करें
मिट्टी या प्राकृतिक वस्तुओं से बनी गणेश प्रतिमा को प्राथमिकता दें।
मूर्ति ऐसी होनी चाहिए जो बैठी हुई मुद्रा में हो और मुंह घर के अंदर की ओर रहे।
प्रतिमा को स्थानीय कलाकारों से खरीदें तो यह पर्यावरण के साथ-साथ स्थानीय शिल्पकारों को भी समर्थन देता है।
3. मंडप और सजावट करें
मूर्ति स्थापित करने के लिए एक चौकी या पाटा लें और उस पर लाल या पीले रंग का स्वच्छ कपड़ा बिछाएं।
उसके बाद फूलों, आम के पत्तों, तोरण, रंगोली, दीपों और रोशनी से मंडप सजाएं।
4. पूजा सामग्री एकत्र करें
सुपारी, नारियल, पान के पत्ते, लाल फूल, दूर्वा (21 अंकुर), अक्षत (चावल), सिंदूर, हल्दी, चंदन, घी का दीपक, धूपबत्ती, नैवेद्य (मोदक/लड्डू), पंचामृत, जल कलश आदि।
एक पूजा थाली में सामग्री को सुसज्जित करें।
5. व्रत या नियम का संकल्प लें
पूजा से पूर्व एकनिष्ठ भाव से भगवान गणेश को मन में स्मरण कर व्रत या नियम लेने की परंपरा होती है।
यह व्रत कोई भी ग्रहस्थ, स्त्री या पुरुष रख सकता है।
6. प्रतिमा स्थापना (प्रतिष्ठा)
शुभ मुहूर्त में, गणपति जी को मंडप में स्थापित करें।
एक जल कलश रखें और उसमें आम के पत्ते डालें, इस कलश को गणेश जी के पास रखें।
कलश पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं।
7. पूजा आरंभ करें
गणेश जी की पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा करें।
मंत्रोच्चारण के साथ गंध, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें।
अंत में आरती करें और प्रसाद बांटें।
8. सामाजिक व पर्यावरणीय ध्यान
प्लास्टिक की सजावट से बचें।
विसर्जन के समय घर या स्थानीय कृत्रिम टैंक में ही मूर्ति का विसर्जन करें।
गणेश चतुर्थी की पूजा विधि
गणेश चतुर्थी पर घर में गणपति बप्पा की स्थापना कैसे करें – सम्पूर्ण पूजन विधि
अगर आप भी इस गणेशोत्सव भगवान गणेश जी को अपने घर आमंत्रित करने की तैयारी कर रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए अत्यंत उपयोगी है। कैसे लाएं गणपति बप्पा को घर और कैसे करें उनकी स्थापना—इसकी सम्पूर्ण विधि हम आपके लिए लेकर आए हैं...
भगवान गणेश को घर लाने की तैयारी
भगवान गणेश की प्रतिमा को लाते समय उनके मुख को ढक कर घर लाएं।
प्रतिमा को घर के पूर्व या उत्तर दिशा में स्थापित करें। दक्षिण या पश्चिम दिशा में स्थापना नहीं करनी चाहिए।
स्थापना स्थान की शुद्धि और सजावट
स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
रंगोली बनाएं और उस पर अक्षत बिछाएं।
रंगोली के ऊपर एक चौकी रखें और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं।
उस पर गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करें।
कलश स्थापना विधि
चौकी पर एक मुट्ठी अक्षत रखें और अष्टदल बनाएं।
अष्टदल के ऊपर कलश रखें।
कलश में भरें
स्वच्छ जल और गंगाजल
हल्दी की गांठ
सुपारी
सिक्का
कलश के मुख पर मौली बांधें और स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं।
कलश के ऊपर आम के पत्ते रखें और नारियल रखें, जिस पर मौली बांधी गई हो।
भगवान गणेश का आवाहन (स्थापन मंत्र सहित)
सबसे पहले आचमन करें: तीन बार हाथ में जल लेकर पीएं और फिर हाथ धो लें।
इस दौरान मंत्र जपें
ॐ गं गणपतये नमः
अब घी का अखंड दीपक जलाएं।
संकल्प लें: हाथ में अक्षत और फूल लेकर यह निश्चय करें कि आप पूर्ण श्रद्धा से गणेश जी की पूजा करेंगे।
गणपति जी का ध्यान और मुख्य मंत्र
गणेश ध्यान मंत्र का जाप करें:
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
इसके बाद गणेश प्रतिमा के मुख से चुनरी हटा दें।
गणेश जी की पूजा-विधि
पुष्प या आम के पत्ते से जल अर्पित करें।
पंचामृत से स्नान कराएं (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)।
शुद्ध जल से स्नान कराकर तिलक करें और अक्षत चढ़ाएं।
जनैऊ, लाल वस्त्र, फूलों की माला, दूर्वा, इत्र आदि अर्पित करें।
भगवान को भोग अर्पण करें
प्रसाद में शामिल करें
पंचमेवा
मौसमी फल
केला
मोदक (गणेश जी का प्रिय)
अपनी श्रद्धा से दक्षिणा अर्पित करें।
आरती और प्रार्थना
पूरे भक्तिभाव से आरती करें।
भगवान जी से अपनी भूलों की क्षमा माँगें।
जितने दिन के लिए आप गणपति को घर लाए हैं, उतने दिन पूरी श्रद्धा से नित्य पूजन करें।
पूजन के बाद का भाव
तो इस प्रकार गणेश जी की स्थापना की प्रक्रिया पूरी होती है। गणपति बप्पा को घर में स्थापित करना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि अपने घर में शुभता, समृद्धि और शांति को आमंत्रित करना है।
अब एक साथ मिलकर कहें...गणपति बप्पा मोरया...
गणेश चतुर्थी मनाने के लाभ
गणेश चतुर्थी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह बुद्धि, समृद्धि और शुभता का उत्सव है। इस दिन विधिपूर्वक भगवान गणेश की आराधना करने से भक्तों को अनेक प्रकार के आध्यात्मिक, मानसिक और सांसारिक लाभ प्राप्त होते हैं। आइए जानते हैं इस पर्व को मनाने के मुख्य लाभ:
गणेश चतुर्थी के धार्मिक लाभ
विघ्नों का नाश होता है:
गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है। इनकी पूजा से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं शांत होती हैं।
हर शुभ कार्य में सफलता:
किसी भी कार्य के आरंभ में गणपति का स्मरण करने से वह कार्य निर्विघ्न रूप से पूर्ण होता है।
व्रत से पुण्य की प्राप्ति:
इस दिन व्रत एवं पूजा करने से कई जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
मानसिक व आध्यात्मिक लाभ
आत्मबल और आत्मविश्वास की वृद्धि होती है।
नियमित पूजा और ध्यान से मानसिक शांति मिलती है।
एकाग्रता और विवेक बढ़ता है।
छात्र, साधक, लेखक आदि के लिए यह दिन अत्यंत फलदायी होता है।
सांसारिक और पारिवारिक लाभ
घर में सुख-शांति व समृद्धि आती है।
गणेश जी की कृपा से दरिद्रता दूर होती है और आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है।
पारिवारिक जीवन में प्रेम व समरसता बनी रहती है।
विशेष रूप से यदि पूरे परिवार के साथ गणेश पूजन किया जाए।
व्यवसाय में वृद्धि और नौकरी में तरक्की मिलती है।
जो लोग व्यवसाय आरंभ कर रहे हैं या नौकरी में नई दिशा चाहते हैं, उनके लिए यह दिन अत्यंत शुभ होता है।
प्राकृतिक और सामाजिक लाभ (समूहिक गणेशोत्सव के माध्यम से)
सामूहिक एकता और भाईचारा बढ़ता है।
संस्कृति और परंपरा से जुड़ाव होता है।
पर्यावरण-अनुकूल गणेश मूर्तियों के उपयोग से प्रकृति संरक्षण भी संभव है।
गणेश चतुर्थी न केवल आध्यात्मिक बल प्रदान करती है, बल्कि मानसिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी यह दिन अत्यंत लाभकारी होता है। यदि विधिपूर्वक श्रद्धा से गणेश जी की पूजा की जाए तो व्यक्ति के जीवन में शुभता, समृद्धि और सफलता का वास होता है।
गणेश चतुर्थी के धार्मिक उपाय क्या हैं?
गणेश चतुर्थी पर कुछ विशेष उपाय किए जाएं तो जीवन में बाधाएं दूर होती हैं और सौभाग्य प्राप्त होता है:
ॐ गण गणपतये नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।
गणेश जी को दूर्वा, शमी के पत्ते, मोदक, और सिंदूर अर्पित करें।
घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक और ॐ का चिन्ह बनाएं।
इस दिन गरीब या ज़रूरतमंद व्यक्ति को लाल वस्त्र, भोजन या मिठाई का दान करें।
गणेश जी के चित्र या मूर्ति के समक्ष लाल फूलों की माला चढ़ाएं और रोज़ आरती करें।
गणेश जी को प्रसन्न कैसे करें?
गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए ये बातें सबसे अधिक प्रभावी मानी गई हैं:
गणेश जी को दूर्वा (21 तिनके) चढ़ाना अत्यंत प्रिय होता है।
उन्हें मोदक या तिल-गुड़ के लड्डू का भोग अवश्य लगाएं।
प्रतिदिन प्रातः स्नान कर “गणपति अथर्वशीर्ष” का पाठ करें।
भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र के सामने दीया और अगरबत्ती अवश्य जलाएं।
गणेश जी को लाल रंग अत्यंत प्रिय है, पूजा में लाल वस्त्र, लाल फूल का प्रयोग करें।
गणेश चतुर्थी व्रत में क्या खाना चाहिए?
व्रत के दौरान सात्विक और पूजा योग्य खाद्य पदार्थ ही ग्रहण करें:
फल (सेब, केला, अनार आदि)
दूध और दूध से बनी चीज़ें
साबूदाना खिचड़ी, साबूदाना वड़ा
समा के चावल
मूंगफली, मेवा, मखाना
पके हुए आलू का हल्का व्यंजन
मोदक (गणपति का प्रिय भोग)
गणेश चतुर्थी व्रत में क्या न खाएं?
गणेश चतुर्थी के व्रत में कुछ चीज़ें वर्जित मानी जाती हैं, इन्हें न खाएं:
लहसुन और प्याज़
मांसाहार और शराब
अनाज जैसे चावल, गेहूं, दालें
नमक की जगह सेंधा नमक का प्रयोग करें
पैकेज्ड या प्रिज़र्व्ड फूड
गणेश चतुर्थी पर इन बातों का रखें विशेष ध्यान
गणेश जी की स्थापना से पहले मुख को न देखें, स्थापना के बाद ही दर्शन करें।
मूर्ति स्थापना पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके ही करें।
पूजा के दौरान किसी भी प्रकार की नकारात्मक बात, क्रोध या अशुद्धता से बचें।
मूर्ति को अकेला न छोड़ें, हर दिन आरती और भोग अवश्य करें।
विसर्जन से पूर्व मूर्ति को न हिलाएं या स्थान न बदलें।
विसर्जन के समय पर्यावरण के प्रति सजग रहते हुए इको-फ्रेंडली मूर्ति का उपयोग करें।
तो यह थी गणेश चतुर्थी से जुड़ी जानकारी, हम आशा करते हैं कि इस दिन आपकी पूजा अर्चना सफल हो, और गणपति बप्पा सदा आपका मंगल करें।