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अजा एकादशी कब है?

अजा एकादशी व्रत का महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजा की विधि और पौराणिक कथा जानें। यह लेख सरल हिंदी में पूरी जानकारी देता है।

अजा एकादशी के बारे में

अजा एकादशी भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस दिन व्रत रखने से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु की पूजा कर भक्त मानसिक शांति और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।

अजा एकादशी कब है, क्या है शुभ मुहूर्त?

भक्तों नमस्कार, श्री मंदिर पर आपका स्वागत है। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के ऋषिकेष स्वरूप की पूजा की जाती है। मान्यता है कि अजा एकादशी का व्रत रखने से जातक के पाप नष्ट होते हैं, और सभी मनोकमनाएं पूर्ण होती हैं।

चलिए जानते हैं अजा एकादशी कब है?

  • अजा एकादशी, 19 अगस्त 2024, मंगलवार (भाद्रपद, कृष्ण पक्ष, एकादशी)
  • 20वाँ अगस्त को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 05:34 ए एम से 08:09 ए एम
  • पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 01:58 पी एम
  • एकादशी तिथि प्रारम्भ - अगस्त 18, 2025 को 05:22 पी एम बजे से
  • एकादशी तिथि समाप्त - अगस्त 19, 2025 को 03:32 पी एम बजे तक

चलिए अब जानते हैं अजा एकादशी के अन्य शुभ मुहूर्त

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:05 ए एम से 04:49 ए एम तक

प्रातः सन्ध्या

04:27 ए एम से 05:33 ए एम तक

अभिजित मुहूर्त

11:35 ए एम से 12:27 पी एम तक

विजय मुहूर्त

02:11 पी एम से 03:02 पी एम तक

गोधूलि मुहूर्त

06:30 पी एम से 06:52 पी एम तक

सायाह्न सन्ध्या

06:30 पी एम से 07:36 पी एम तक

अमृत काल

03:32 पी एम से 05:04 पी एम तक

निशिता मुहूर्त

11:39 पी एम से 12:24 ए एम, अगस्त 20 तक

भक्तों ये तो थी अजा एकादशी के दिन के शुभ मुहूर्त से जुड़ी जानकारी। इसी के साथ आपको एक और ज़रूरी बात बताते चलें कि इस एकादशी पर जब आप भगवान विष्णु की पूजा करें तो उस समय अजा एकादशी व्रत कथा अवश्य सुनें या पढ़ें। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत कथा को पढ़ने या सुनने मात्र से ही पापों का नाश होता है, और जातक सुखमय जीवन व्यतीत करने के बाद वैकुंठधाम को जाता है।

हमारी कामना है कि आपको अजा एकादशी व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त हो, और आप पर भगवान विष्णु की कृपा सदैव बनी रहे।

अजा एकादशी का अर्थ

एकादशी को हम, 'हरी दिन' और 'हरी वासर' के नाम से भी जानतें है। अजा शब्द का अर्थ है - 'जिसका जन्म न हो’। इस शब्द का उपयोग, आदिशक्ति के लिये किया जाता है। तो आईये अब जानतें है, इसके महत्व के बारे में...

अजा एकादशी क्यों मनाई जाती है?

अजा एकादशी, हिंदू धर्म में अत्यंत पावन मानी गई एकादशी तिथि है, जो भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में आती है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है और व्रत रखा जाता है। यह एकादशी इसलिए मनाई जाती है क्योंकि इसके व्रत से व्यक्ति को अपने पिछले पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को उतने ही पुण्य फल की प्राप्ति होती है जितनी कि अश्वमेध यज्ञ से होती है। "ब्रह्मवैवर्त पुराण" और "पद्म पुराण" में वर्णन मिलता है कि राजा हरिशचंद्र ने अजा एकादशी का व्रत करके अपने जीवन के कष्टों से मुक्ति पाई थी। यही कारण है कि यह व्रत व्यक्ति के जीवन से दुख, दरिद्रता और पापों का नाश करने वाला माना जाता है।

इस दिन व्रत-उपवास करके भक्तजन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, और रात भर जागरण तथा भजन-कीर्तन करते हैं। अजा एकादशी का व्रत विशेषकर उन लोगों के लिए फलदायक माना गया है जो जीवन में कठिन परिस्थितियों से जूझ रहे होते हैं या आत्मिक शुद्धि की इच्छा रखते हैं।

अजा एकादशी क्या है? जानें महत्व

हिंदु धर्म में एकादशी के व्रत को सभी पापों से मुक्ति पाने का सबसे सरल और प्रभावशाली माध्यम माना गया है। शास्त्रों में अन्य एकादशियों के बीच अजा एकादशी को विशेष स्थान प्राप्त है। इसलिए आज हम आपको, अजा एकादशी के महत्व के बारे में बताएंगे। इससे जुड़ी संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए लेख अंत तक ज़रूर पढ़ें।

ऐसा माना जाता है, कि जो भक्त पूरी श्रद्धा और विधि विधान से इस व्रत का पालन करता है, उनपर भगवान श्री हरि, सदेव अपनी दया-दृष्टि बनाये रखते हैं और उन्हें स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। इस एकादशी के दिन व्रत रखने से, समस्त पाप और कष्ट दूर हो जातें हैं। केवल यही नहीं, अजा एकादशी के व्रत को करने से, पूर्वजन्म के सभी पापों से भी मुक्ति मिल जाती है।

अजा एकादशी में, भगवान विष्णु के 'उपेन्द्र' स्वरूप की पूजा अरचना की जाती है और रात्रि में, जागरण किया जाता है। इस पवित्र एकादशी के फल को, लोक और परलोक दोनों में ही, श्रेष्ठ माना गया है। जितना पुण्य मनुष्य को हज़ार गौदान करने से मिलता है, उतना ही पुण्य, इस व्रत को सच्चे मन से करने से प्राप्त होता है। इसके अलावा, मनुष्यों द्वारा जाने-अनजाने में किए गये सभी पापों से मुक्ति पाने और जीवन में सुख-समृद्धि अथवा शांति प्राप्ति के लिये, इस व्रत का पालन किया जाता है।

ध्यान रहे कि इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए और ऐसा माना जाता है, कि इस दिन चावल का सेवन करने से, मनुष्य को आने वाले जीवन में कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।

एकादशी की पूजा सामग्री

सनातन व्रतों में एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस दिन संपूर्ण विधि और उचित सामग्री के साथ पूजा करना अत्यंत फलदायक होता है। एकादशी पर की जाने वाली पूजा की सामग्री कुछ इस प्रकार है -

  • चौकी
  • पीला वस्त्र
  • गंगाजल
  • भगवान विष्णु की प्रतिमा
  • गणेश जी की प्रतिमा
  • अक्षत
  • जल का पात्र
  • पुष्प
  • माला
  • मौली या कलावा
  • जनेऊ
  • धूप
  • दीप
  • हल्दी
  • कुमकुम
  • चन्दन
  • अगरबत्ती
  • तुलसीदल
  • पञ्चामृत का सामान (दूध, घी, दही, शहद और मिश्री)
  • मिष्ठान्न
  • ऋतुफल
  • घर में बनाया गया नैवेद्य

नोट - गणेश जी की प्रतिमा के स्थान पर आप एक सुपारी पर मौली लपेटकर इसे गणेशजी के रूप में पूजा में विराजित कर सकते हैं।

इस सामग्री के द्वारा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है, यह पूजा सेवा आपके लिए श्री मंदिर पर उपलब्ध है। आप इसका लाभ अवश्य उठायें।

अजा एकादशी पर किसकी पूजा करें

  • इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु को पीले वस्त्र पहनाकर पूजा की जाती है।
  • विष्णु जी के साथ-साथ माता लक्ष्मी की पूजा भी शुभ मानी जाती है।
  • कुछ परंपराओं में शंख, चक्र, गदा और पद्म के प्रतीक रूप में विष्णु जी के चार हाथों का ध्यान कर पूजन किया जाता है।
  • व्रत करने वाले व्यक्ति को इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु स्तोत्र और गोपीनाथ द्वादशी व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए।

एकादशी की पूजा विधि

एकादशी पर ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा

हिन्दू पंचांग के अनुसार एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस लेख में आप एकादशी की पूजा की तैयारी एवं विधि जानेंगे।

पूजा की तैयारी

  • एकादशी के दिन व्रत करने वाले जातक दशमी तिथि की शाम में व्रत और पूजन का संकल्प लें।
  • दशमी में रात्रि के भोजन के बाद से कुछ भी अन्न या एकादशी व्रत में निषेध चीजों का सेवन न करें।
  • एकादशी के दिन प्रातःकाल उठें, और किसी पेड़ की टहनी से दातुन करें।
  • इसके बाद नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें। स्नान करते समय पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  • स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। स्वयं को चन्दन का तिलक करें।
  • अब भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य दें और नमस्कार करते हुए, आपके व्रत और पूजा को सफल बनाने की प्रार्थना करें।
  • अब पूजा करने के लिए सभी सामग्री इकट्ठा करें और पूजा शुरू करें।

एकादशी की पूजा विधि

  • सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करके इस स्थान पर एक चौकी स्थापित करें, और इसे गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें।
  • इसके बाद चौकी पर एक पीला वस्त्र बिछाएं। इस चौकी के दायीं ओर एक दीप प्रज्वलित करें।
  • (सबसे पहले दीप प्रज्वलित इसीलिए किया जाता है, ताकि अग्निदेव आपकी पूजा के साक्षी बनें)
  • चौकी के सामने एक साफ आसन बिछाकर बैठ जाएं। जलपात्र से अपने बाएं हाथ से दाएं हाथ में जल लेकर दोनों हाथों को शुद्ध करें। अब स्वयं को तिलक करें।
  • अब चौकी पर अक्षत के कुछ दानें आसन के रूप में डालें और इस पर गणेश जी को विराजित करें।
  • इसके बाद चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें।
  • अब स्नान के रूप में एक जलपात्र से पुष्प की सहायता से जल लेकर भगवान गणेश और विष्णु जी पर छिड़कें।
  • भगवान गणेश को हल्दी-कुमकुम-अक्षत और चन्दन से तिलक करें।
  • इसके बाद वस्त्र के रूप में उन्हें जनेऊ अर्पित करें। इसके बाद पुष्प अर्पित करके गणपति जी को नमस्कार करें।
  • भगवान विष्णु को रोली-चन्दन का तिलक करें। कुमकुम, हल्दी और अक्षत भी चढ़ाएं।
  • अब ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जप करते हुए श्रीहरि को पुष्प, जनेऊ और माला अर्पित करें।
  • भगवान विष्णु को पंचामृत में तुलसीदल डालकर अर्पित करें। चूँकि भगवान विष्णु को तुलसी अतिप्रिय है इसीलिए भगवान के भोग में तुलसी को अवश्य शामिल करें।
  • (ध्यान दें गणेश जी को तुलसी अर्पित न करें)
  • इसके बाद भोग में मिष्ठान्न और ऋतुफल अर्पित करें।
  • विष्णु सहस्त्रनाम या श्री हरि स्त्रोतम का पाठ करें, इसे आप श्री मंदिर के माध्यम से सुन भी सकते हैं।
  • अंत में भगवान विष्णु की आरती करें। अब सभी लोगों में भगवान को चढ़ाया गया भोग प्रसाद के रूप में वितरित करें।

इस तरह आपकी एकादशी की पूजा संपन्न होगी। इस पूजा को करने से आपको भगवान विष्णु की कृपा निश्चित रूप से प्राप्त होगी।

साथ ही यह दिन भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए भी विशेष है। इस दिन भगवान श्री हरि को सच्चे मन से चढ़ावा अर्पित करने से उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए, श्री मंदिर के माध्यम से हम आपके लिए चढ़ावा सेवा लेकर आए हैं, जिससे आप घर बैठे अपने और अपने परिवार के नाम से वृंदावन में श्री बांके बिहारी मंदिर और गोवर्धन के गिरिराज मुखारविंद मंदिर में विष्णु जी के अवतार श्री कृष्ण को चढ़ावा अर्पित कर सकते हैं। साथ ही ऐसी ही अन्य जानकारियों के लिए श्री मंदिर से जुड़े रहें।

एकादशी व्रत से मिलने वाले 5 लाभ

भक्तों, भगवान विष्णु के एकादशी व्रत की महिमा इतनी दिव्य है, कि इसके प्रभाव से मनुष्य जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्त हो जाता है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का भी विशेष महत्व है। हमारी पौराणिक मान्यताएं भी कहती हैं कि एकादशी व्रत से अद्भुत पुण्यफल प्राप्त होता है।

एकादशी का यह पावन व्रत आपके जीवन को और अधिक सार्थक बनाने में सहयोगी सिद्ध होगा। इसी विश्वास के साथ हम आपके लिए इस व्रत और पूजन से मिलने वाले 5 लाभों की जानकारी लेकर आए हैं। आइये, शुरू करते हैं-

पहला लाभ- कठिन लक्ष्य एवं कार्यों की सिद्धि

ये एकादशी व्रत एवं पूजन आपके सभी शुभ कार्यों एवं लक्ष्य की सिद्धि करेगा। इस व्रत के प्रभाव से आपके जीवन में सकारात्मकता का संचार होगा, जो आपके विचारों के साथ आपके कर्म को भी प्रभावित करेगा।

दूसरा लाभ- आर्थिक प्रगति एवं कर्ज से मुक्ति

इस एकादशी का व्रत और पूजन आर्थिक समृद्धि में भी सहायक है। यह आपके आय के साधन को स्थायी बनाने के साथ उसमें बढ़ोत्तरी देगा। अतः इस दिन विष्णु जी के साथ माता लक्ष्मी का पूजन अवश्य करें।

तीसरा लाभ- मानसिक शांति की प्राप्ति

इस एकादशी पर नारायण की भक्ति करने से आपको मानसिक सुख शांति के साथ ही परिवार में होने वाले वाद-विवादों से भी मुक्ति मिलेगी।

चौथा लाभ- पापकर्मों से मुक्ति

एकादशी तिथि के अधिदेवता भगवान विष्णु हैं। एकादशी पर उनकी पूजा अर्चना करने से आपको भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलेगा तथा उनकी कृपा से भूलवश किये गए पापों से भी मुक्ति मिलेगी।

पांचवा लाभ- मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्ति

श्री हरि को समर्पित इस तिथि पर व्रत अनुष्ठान करने से आपको मृत्यु के बाद वैकुण्ठ धाम में स्थान प्राप्त होगा। इस व्रत का प्रभाव बहुत शक्तिशाली होता है, इसीलिए जब आप यह व्रत करेंगे, तो इसके फलस्वरूप आपको आपके कर्मों का पुण्य फल अवश्य प्राप्त होगा, जो आपको मोक्ष की ओर ले जाएगा।

तो यह थे एकादशी के व्रत से होने वाले लाभ, आशा है आपका एकादशी का यह व्रत अवश्य सफल होगा और आपको इस व्रत के सम्पूर्ण फल की प्राप्ति होगी।

इस एकादशी पर की जाने वाली पूजा विधि और अन्य महत्वपूर्ण बातें जानने के लिए जुड़े रहिये श्री मंदिर के साथ।

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Published by Sri Mandir·August 14, 2025

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