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Kali Stuti

क्या आप जीवन की कठिनाइयों, भय या मानसिक तनाव से परेशान हैं? काली स्तुति से पाएं मां काली का सशक्त आशीर्वाद और ऊर्जा – जानिए इसका पाठ और चमत्कारी प्रभाव।

काली स्तुति के बारे में

काली स्तुति माँ काली की आराधना हेतु की जाती है, जो शक्ति, समय और परिवर्तन की देवी मानी जाती हैं। यह स्तुति नकारात्मक शक्तियों का नाश करती है और साधक को भय, बाधा व अशुभ प्रभावों से सुरक्षा प्रदान करती है।

काली स्तुति

काल की रेखाएं जहां थम जाएं, वहीं प्रकट होती हैं महाकाली। शक्ति, भयंकरता और करुणा की त्रिवेणी स्वरूपा मां काली केवल संहार की देवी नहीं, बल्कि चेतना के अंधकार में उजाले की प्रथम किरण हैं। उनका स्मरण हर बाधा, भय और नाशक ऊर्जा को मिटा देता है। काली स्तुति एक ऐसा दिव्य माध्यम है, जो आत्मा को शक्ति, साहस और परम शांति से भर देती है।

जब शब्द, स्वर और श्रद्धा एक होकर मां को पुकारते हैं, तब वो निश्चित ही अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। इस स्तुति से मन, तन और जीवन – तीनों पावन हो उठते हैं। जीवन में जब भय, अज्ञान या आध्यात्मिक अंधकार छा जाता है, तब मां काली की स्तुति से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि नकारात्मकता का विनाश भी होता है। यह स्तुति साधक के अंदर छिपी शक्ति को जागृत करती है और आत्मबल को प्रकट करती है।

मां काली की स्तुति (मूल रचना)

"जय मां काली, कराल वदना,

अज्ञान हरिणी, शुभ ज्ञान प्रदना।

त्रिनेत्रधारिणि, मुण्डमालिनी,

काल सम हरिणि, शक्ति पालिनी।"

"भय से जो काँपे, वह तुझको पुकारे,

संकट से जो घिरे, तेरा नाम उचारे।

तू ही विनाशिनी, तू ही तारिणी,

तुझसे जुड़े तो पाप भी हारें।"

"शिव की अर्धांगिनी, प्रलय की जननी,

तू ही महासंकट की साधक सहचरी।

रक्तवर्णा, दुर्गा की सहोदरा,

तू ही जीवन की अंतिम गति धरा।"

"हे महाकाली, करुणा की देवी,

तेरा स्मरण करें, हृदय हो संजीवनी।

शक्तिरूपिणि, भूतनाथ वंदिता,

काल की सीमा तू ही निर्धारिता।"

यह स्तुति मां काली के उस रूप की आराधना है जो भक्तों के लिए रक्षक, ज्ञानी और मोक्षदायिनी है। यह काव्यात्मक स्तुति न केवल भावात्मक है बल्कि आध्यात्मिक भी।

मां काली स्तुति पाठ विधि

मां काली की स्तुति के पाठ की विधि पूरी निष्ठा, भक्ति और नियम के साथ करनी चाहिए। पाठ की विधि इस प्रकार है:

1. पवित्रता एवं स्थान चयन

  • स्तुति पाठ से पूर्व स्नान कर लें और स्वच्छ लाल या काले वस्त्र पहनें।
  • उत्तर दिशा की ओर मुख करके शांत स्थान पर बैठें।

2. मां काली का ध्यान

  • मां काली की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाकर उन्हें पुष्प, गुग्गुल धूप, काले तिल, नींबू आदि अर्पित करें।
  • ध्यान करें: “ॐ क्रीं काल्यै नमः” मंत्र का 11 बार उच्चारण करें।

3. मंत्र और स्तुति पाठ

  • पहले "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे" मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • फिर उपर्युक्त काली स्तुति का तीन, पांच या ग्यारह बार पाठ करें।

4. आरती और भोग

  • आरती के समय “जय काली माता” आरती गाएं।
  • खीर, मिश्री या गुड़ से बना भोग मां को अर्पित करें।

5. अंत में प्रार्थना

  • हाथ जोड़कर, अपने मन की बात माँ को बताएं। उनसे आशीर्वाद और सुरक्षा की प्रार्थना करें।

मां काली स्तुति पाठ के लाभ

1. भय का नाश

  • यह स्तुति साधक के भीतर छिपे हर प्रकार के मानसिक भय, चिंता और भ्रम को समाप्त करती है।

2. दुश्मनों पर विजय

  • शत्रु, तांत्रिक बाधाएं, और ईर्ष्या-द्वेष से रक्षा होती है। यह रक्षा कवच की भांति कार्य करती है।

3. आध्यात्मिक विकास

  • साधना के मार्ग में आने वाली रुकावटों को हटाकर साधक को सिद्धि प्राप्ति में सहायक बनती है।

4. चेतना जागरण

  • स्तुति पाठ से व्यक्ति की आंतरिक ऊर्जा सक्रिय होती है और उसकी अंतर्ज्ञान शक्ति विकसित होती है।

5. स्वास्थ्य लाभ

  • मानसिक तनाव, अनिद्रा, भय के कारण उत्पन्न रोगों से मुक्ति मिलती है।

6. आर्थिक उन्नति

  • मां काली के पाठ से जीवन में रुके हुए कार्य पूरे होते हैं और आर्थिक समस्याओं में सुधार आता है।

7. परिवार की सुरक्षा

  • परिवार पर आने वाले संकट, अदृश्य बाधाएं और दुष्ट प्रवृत्तियों से रक्षा होती है।

8. मुक्ति की प्राप्ति

  • यह स्तुति आत्मा को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति की ओर ले जाती है और मोक्ष मार्ग प्रशस्त करती है।

निष्कर्ष

मां काली की स्तुति केवल एक धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि यह आत्मा और परमशक्ति के मिलन का सेतु है। यह स्तुति हमें चेतना के उच्च स्तर पर ले जाती है, जहां भय, मोह, लोभ और क्रोध का कोई अस्तित्व नहीं रहता। मां काली का नाम स्मरण कर व्यक्ति अपने भीतर की कालिमा को शुद्ध कर सकता है और दिव्यता की ओर अग्रसर हो सकता है।

भक्तिभाव, श्रद्धा और नित्य नियम से किया गया यह स्तुति पाठ जीवन के समस्त अंधकार को हरता है और सच्चे प्रकाश की ओर ले जाता है।

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Published by Sri Mandir·June 9, 2025

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