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Agni Stuti

क्या आप अपने जीवन से नकारात्मकता और अज्ञानता को दूर करना चाहते हैं? अग्नि स्तुति से पाएं अग्निदेव का आशीर्वाद, जो आपके मन और शरीर को शुद्ध करता है – जानिए इसका पाठ और चमत्कारी लाभ।

अग्नि स्तुति के बारे में

महाभारत के सभापर्व के दिग्विजय पर्व में एक प्रसंग आता है, जहाँ सहदेव महिष्मती के राजा नील से युद्ध करते हैं। राजा नील को अग्निदेव का आशीर्वाद प्राप्त था, जिससे अग्नि सहदेव की सेना को परेशान कर रही थी और सहदेव हार की स्थिति में पहुँच गए थे। तब सहदेव ने अग्नि देव की स्तुति की। इस स्तुति का जाप करने से व्यक्ति का संपूर्ण कल्याण होता है। इसके पाठ मात्र से सारे संकट टल जाते हैं।

अग्नि स्तुति

महाभारत मे राजा नील की कहानी कही गई है, जिनका सहदेव के साथ युद्ध हुआ था। राजा नील को अग्निदेव का साथ मिला हुआ था, और अग्नि की वजह से सहदेव की सेना परेशान हो रही थी। हालत ऐसी हो गई थी कि सहदेव हारने लगे। तब उन्होंने अग्निदेव की पूजा की। ऐसे मान्यता है कि इस स्तुति का पाठ करने से हर दुखी व्यक्ति को बहुत लाभ होता है। उसका जीवन खुशियों से भर जाता है और दुश्मनों का खात्मा होता है।

अग्निस्तुतिः देवैः कृता

(सौरपुराणे ६१-अध्यायान्तर्गता)

देवा ऊचुः -

जलभीरो जलोत्पन्न जलाजलजलेचर ।

जलजामलपत्राक्ष यज्ञदेव हुताशन ॥ १॥

कृष्णकेतो कृष्णवर्त्मन्स्वर्गमार्गप्रदर्शक ।

यज्ञाहुतिहुताहार यज्ञाहार हराकृते ॥ २॥

पूर्णगर्भ गवां गर्भ जय देव महाशन ।

तमोहर महाहार स्वाहाभर्तर्नमोऽस्तु ते ॥ ३॥

हव्यवाहन सप्तार्चे चित्रभानो महायुते ।

अनलाग्ने यज्ञमुख जय पावक सर्वग ॥ ४॥

विभावसो महाभाग वेदभाषार्थभाषण ।

कृशानो ऋतुसम्भारप्रिय विश्वप्रभावन ॥ ५॥

सागराम्बुघृतं देव त्वमश्वमुखसंश्रितः ।

पिबंश्चैवोद्गिरंश्चैव न तृप्तिमधिगच्छसि ॥ ६॥

त्वं वाक्येष्वनुवाक्येषु निषत्सूपनिषत्सु च ।

ब्राह्मणा ब्रह्मयोनिं त्वां स्तुवन्ति त्वत्परायणाः ॥ ७॥

तुभ्यं कृत्वा नमो विप्राः स्वकर्मविहितां गतिम् ।

ब्रह्मेन्द्रविष्णुरुद्राणां लोकान्सम्प्राप्नुवन्ति च ॥ ८॥

त्वमन्तः सर्वभूतानां भुक्तं भोक्ता जगत्पते ।

पचसे पचतां श्रेष्ठ त्रीँल्लोकान्सङ्क्षयिष्यसि ॥ ९॥

साक्षी लोकत्रयस्यास्य त्वया तुल्यो न विद्यते ।

शरणं भव देवानां विश्वत्रयमहेश्वर ॥ १०॥

इत्येवं स्तूयमानोऽसावुत्थाय ज्वलनस्तदा ।

देवान्प्रदक्षिणीकृत्य ययौ शम्भुगृहं द्विजाः ॥ ११॥

तत्रापश्यत्प्रतीहारं महादेवसमं बले ।

पूजितं सेन्द्रकैर्देवैर्महादेवदिदृक्षुभिः ॥ १२॥

इति सौरपुराणे एकषष्ठितमोऽध्यायान्तर्गता देवैः कृता

अग्निस्तुतिः समाप्ता ।

अग्नि स्तुति पाठ विधि

  • समय और स्थान: अग्नि स्तुति के लिए सूर्योदय का समय अच्छा माना जाता है। पूजा के लिए आपको पूर्व या उत्तर की दिशा की ओर बैठना चाहिए।
  • पूजा कैसे करे?: पहले तो अच्छे से नहाकर साफ वस्त्र पहने और फिर पूजा स्थान या घर के मंदिर मे घी या तिल का दिया जलाएं। इसके बाद अग्नि कुंड या हवन कुंड के सामने बैठे।
  • सामग्री: पूजा के लिए आपको सबसे पहले एक लोटा जल, ताजे फूल, धूपबत्ती, अक्षत और घी के दिए की जरूरत होगी।
  • संकल्प ले: अक्सर लोगों को पता नहीं होता कि पूजा की शुरुवात कैसे की जाती है। लेकिन कोई भी पूजा करने से पहले संकल्प लेना जरूरी होता है, जिसमें आपको अपनी मनोकामना कहनी होती है।
  • पाठ करें: सारी पूजा की तैयारी करने के बाद आपको शांत मन से बैठना है और अग्नि स्तुति का मन मे या पढ़कर पाठ करना है।

पाठ के बाद आपको अग्नि देव का आशीर्वाद लेना है और जल की कुछ छींटों को अपने ऊपर डालना है इसके बाद बचे हुए पवित्र जल को तुलसी या किसी अन्य पौधे मे चढ़ा देना है।

अग्नि स्तुति के फायदे

  • ऊर्जा बढ़ती है: ऐसा माना जाता है कि अग्नि स्तुति के पाठ से आपकी शक्ति बढ़ती है क्योंकि अग्नि देव ऊर्जा के प्रतीक हैं। आपका उत्साह और मन को भी काफी शांति मिलती है साथ में आपका जो आलस है वो भी खत्म हो जाता है।

  • नेगटिवटी दूर होती है: अग्नि स्तुति के पाठ से आपके मन के विचार साफ होते है और आपके आस पास का जो माहौल है वो सकारात्मक होता है, साथ ही आपको बुरी शक्तियों से लड़ने की शक्ति भी मिलती है।

  • स्वास्थ्य: यदि आप अग्नि स्तुति का निरंतर पाठ करते है तो आपको कोई बीमारी नहीं लगेगी। आपकी पेट से जुड़ी सारी समस्याएं दूर होगी और इम्यूनिटी भी बढ़ेगी। इस पाठ को करने से आपके शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।

  • बाधा नहीं आएंगी: यदि आप अग्नि स्तुति करते है तो आपके कभी कोई काम नहीं रुकने वाले है, जीवन मे कोई रुकावट नहीं आएगी। जितने भी आपके दुशमन है वो एक-एक करके खत्म होने शुरू हो जाएंगे।

  • फोकस बढ़ेगा: अग्नि देव की पूजा करने से और इस स्तुति के पाठ से आपके मन की शांति बढ़ेगी जिससे आप बहुत आसानी से फोकस कर पाएंगे और हर काम को बिना किसी परेशानी से पूरा कर पाएंगे।

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Published by Sri Mandir·June 17, 2025

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