एकादशी श्राद्ध 2025 कब है? यहां जानें इसकी सही तिथि, पूजा विधि और महत्व। इस दिन श्राद्ध करने से पितरों की कृपा मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
पितृ पक्ष एकादशी श्राद्ध उन पितरों की शांति के लिए किया जाता है जिनका निधन एकादशी तिथि को हुआ हो। इस दिन श्रद्धापूर्वक तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन कराने से पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
पुराणों में कहा गया है कि मनुष्य की मृत्यु के बाद भी उसकी आत्मा अजर-अमर रहती है, यानी कि व्यक्ति के शरीर के नष्ट होने बाद भी आत्मा का अस्तित्व समाप्त नहीं होता। हमारे पूर्वजों की आत्माएं न जाने किस-किस रूप में भटक रही होंगी, हम यह तो नहीं जान सकते, लेकिन हमारा कर्तव्य है कि हम अपने पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए उन्हें जल व भोजन अर्पित करें। पितृ पक्ष एक ऐसी ही अवधि है, जब हमारे पितृ पृथ्वी पर आते हैं और हमारे द्वारा दिया गया जल भोजन आदि ग्रहण कर हमें आशीर्वाद देते हैं। पितृ पक्ष का ‘एकादशी श्राद्ध’ उन पितरों को समर्पित है, जिनकी मृत्यु एकादशी तिथि पर हुई हो। पितृपक्ष में आने वाली एकादशी को ‘इंदिरा एकादशी’ भी कहते हैं।
जिन पितरों का स्वर्गवास एकादशी तिथि पर हुआ है उनके लिए एकादशी श्राद्ध का विशेष महत्व है। पितृपक्ष की यह तिथि इसलिए भी विशेष मानी जाती है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु को समर्पित व्रत रखने का विधान है, जिसे इंदिरा एकादशी व्रत कहा जाता है।
मान्यता है कि जो लोग इस दिन अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं और भगवान विष्णु की उपासना कर उनके मोक्ष की प्रार्थना करते हैं, उनके पितरों की आत्मा जीवन-मरण के चक्र से मुक्त होकर बैकुंठ धाम जाती है। पुराणों में यह भी वर्णन मिलता है, कि जिन पितरों का एकादशी तिथि पर श्राद्ध होता है, उन्हें यमलोक की यातनाएं नहीं सहन करनी पड़ती हैं।
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