क्या आप जानते हैं सिद्धिदात्री माता किस रंग को सबसे प्रिय मानती हैं और इस रंग का उपयोग पूजा में करने से भक्तों को क्या लाभ प्राप्त होते हैं? यहाँ पढ़ें पूरी जानकारी सरल शब्दों में।
मां सिद्धिदात्री नवदुर्गा का नवम स्वरूप हैं, जिन्हें सभी सिद्धियों और शक्तियों की देवी माना जाता है। वे भक्तों को अष्टसिद्धि और नव निधियों का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। मान्यता है कि उनकी पूजा से साधक को ज्ञान, भक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस लेख में जानिए मां सिद्धिदात्री का महत्व, उनसे जुड़ी मान्यताएँ और उनकी आराधना से मिलने वाले विशेष लाभ।
नवरात्रि के नौवें और अंतिम दिन, माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। देवी दुर्गा का यह स्वरूप सभी प्रकार की सिद्धियों (अलौकिक शक्तियाँ) और निधियों (धन और समृद्धि) को प्रदान करने वाला है। ‘सिद्धि’ का अर्थ है अलौकिक शक्ति और ‘दात्री’ का अर्थ है देने वाली। इस प्रकार, माँ सिद्धिदात्री वह देवी हैं जो अपने भक्तों को ज्ञान, मोक्ष और आध्यात्मिक पूर्णता प्रदान करती हैं। उनकी पूजा से न केवल सभी सांसारिक सुख मिलते हैं, बल्कि जीवन का परम लक्ष्य, यानी मोक्ष भी प्राप्त होता है।
यह माना जाता है कि माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्तों को सभी आठों सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। उनकी आराधना से व्यक्ति को संसार के सभी दुखों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
माँ सिद्धिदात्री, देवी दुर्गा का अंतिम और सबसे शक्तिशाली स्वरूप हैं। उनकी महिमा और उत्पत्ति कई पौराणिक कथाओं से जुड़ी हुई है।
पौराणिक कथाएं: पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव ने सृष्टि की रचना के लिए आदि शक्ति की आराधना की, तो माँ आदिशक्ति ने उनसे प्रसन्न होकर सृष्टि की रचना की। माँ आदिशक्ति का वह स्वरूप ही माँ सिद्धिदात्री कहलाया। उन्होंने अपनी शक्ति से ही सभी देवी-देवताओं और पूरे ब्रह्मांड को जीवन दिया। एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान शिव ने भी देवी सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें सभी सिद्धियाँ प्रदान कीं, जिसके बाद उनका आधा शरीर देवी के रूप में बदल गया। इसी कारण उन्हें अर्धनारीश्वर भी कहा जाता है।
स्वरूप: उनका स्वरूप अत्यंत सौम्य और शांत है। वह कमल के आसन पर विराजमान हैं और उनके चार हाथ हैं। उनके हाथों में कमल, शंख, चक्र और गदा हैं। वह सिंह पर सवार हैं, जो उनकी अदम्य शक्ति और निर्भयता का प्रतीक है।
नवरात्रि के नौवें दिन, माँ सिद्धिदात्री की पूजा में गहरा हरा रंग अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह रंग न केवल देवी को प्रिय है, बल्कि यह समृद्धि और सौभाग्य का भी प्रतीक है। गहरा हरा रंग प्रकृति, जीवन और विकास का प्रतिनिधित्व करता है, जो माँ सिद्धिदात्री के स्वरूप से मेल खाता है, क्योंकि वे सृष्टि की निर्माता हैं।
इस रंग का धार्मिक महत्व
माँ सिद्धिदात्री को गहरा हरा रंग अत्यंत प्रिय है और इस रंग का गहरा धार्मिक और प्रतीकात्मक महत्व है:
प्रकृति और जीवन: गहरा हरा रंग प्रकृति, ताजगी और जीवन शक्ति का प्रतीक है। यह रंग माँ के सृष्टि-निर्माता स्वरूप को दर्शाता है। इस रंग का उपयोग करने से भक्तों को देवी की कृपा से जीवन में समृद्धि और वृद्धि मिलती है।
सौभाग्य और समृद्धि: हरा रंग सौभाग्य और खुशहाली लाता है। माँ सिद्धिदात्री को गहरा हरा रंग अर्पित करने से यह मान्यता है कि देवी भक्तों के जीवन में धन, सफलता और समृद्धि लाती हैं।
शांति और स्थिरता: हरा रंग मन को शांत और एकाग्र करता है। यह मन में सकारात्मकता और स्थिरता लाता है, जिससे भक्तों को ध्यान और पूजा में मदद मिलती है।
इस प्रकार, गहरा हरा रंग को माँ सिद्धिदात्री को अर्पित करने से भक्त न केवल देवी को प्रसन्न करते हैं, बल्कि अपने जीवन में भी समृद्धि, ज्ञान और शांति का संचार करते हैं।
नवरात्रि के नवें दिन सिद्धिदात्री माता की आराधना का विशेष महत्व है। यह दिन साधना की पूर्णता और सिद्धियों की प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है। माता भक्तों को अष्टसिद्धि और नव निधियों का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
पूजा-विधि
पूजा स्थल को साफ करके गंगाजल या पवित्र जल छिड़कें।
लकड़ी की चौकी पर गहरे हरे या गुलाबी रंग का कपड़ा बिछाएँ।
माता सिद्धिदात्री की प्रतिमा या चित्र चौकी पर रखें।
जल से भरा हुआ कलश, जिस पर आम्रपत्र और नारियल हो, माता के समीप रखें।
माता का ध्यान करके उनका आवाहन करें और दीप प्रज्वलित करें।
माता को लाल सिंदूर, अक्षत, पुष्प, वस्त्र और आभूषण अर्पित करें।
पूजा में गहरे हरे रंग के वस्त्र पहनना या इस रंग के फूल अर्पित करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है। यह रंग स्थिरता, संतुलन और जीवन की पूर्णता का प्रतीक है।
माता को नारियल, फल, मिष्ठान्न और विशेष रूप से नौ प्रकार के अनाज अर्पित करना शुभ फल देता है।
माता की आरती करें और सिद्धियों व कल्याण की प्रार्थना करें।
पूजा के अंत में प्रसाद सभी भक्तों में बाँटें।
गहरे हरे रंग का धार्मिक महत्व
गहरा हरा रंग प्रकृति, ऊर्जा और स्थिरता का प्रतीक है।
यह साधना करने वाले भक्त को धैर्य और मानसिक शांति प्रदान करता है।
सिद्धिदात्री माता की पूजा में इस रंग का प्रयोग करने से जीवन में समृद्धि, लंबी आयु और संतुलन का आशीर्वाद मिलता है।
माना जाता है कि गहरे हरे वस्त्र या पुष्प अर्पित करने से साधक की अवरोधक शक्तियाँ शांत होती हैं और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।
माँ सिद्धिदात्री की पूजा नवरात्रि के नौ दिनों की साधना को पूर्णता प्रदान करती है। उनका स्वरूप हमें यह सिखाता है कि सच्चे ज्ञान, मोक्ष और आध्यात्मिक शक्ति को प्राप्त करने के लिए शुद्धता और भक्ति अत्यंत आवश्यक है। सफेद रंग के प्रयोग से हम न केवल देवी को प्रसन्न करते हैं, बल्कि अपने जीवन में भी ज्ञान, विवेक और शांति का संचार करते हैं। महा नवमी का यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि देवी की कृपा से हम जीवन के सभी कष्टों को पार कर सकते हैं और एक पूर्ण और सफल जीवन जी सकते हैं।
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