क्या आप जानते हैं माता चंद्रघंटा का बीज मंत्र कौन सा है और इसके जाप से भक्तों को कौन से लाभ प्राप्त होते हैं? यहाँ पढ़ें पूरी जानकारी सरल शब्दों में।
माँ चंद्रघंटा का बीज मंत्र है – "ऐं श्रीं शक्तयै नमः।" इस मंत्र के जप से साधक के भीतर साहस, निर्भयता और आत्मविश्वास की शक्ति उत्पन्न होती है। माँ की कृपा से शत्रु बाधाएँ दूर होती हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित है, जिससे इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। इनका शरीर स्वर्ण के समान आभामयी है, जो दिव्यता और तेज का प्रतीक है। मां चंद्रघंटा के दस हाथ हैं, जिनमें वे हथियार और कमल धारण करती हैं। वे सिंह पर सवार होकर हमेशा राक्षसों और दानवों को नष्ट करने के लिए तैयार रहती हैं। माता चंद्रघंटा की घंटाध्वनि इतनी प्रचंड है कि उससे दैत्य और असुर भयभीत होकर कांप उठते हैं, परंतु भक्तों को यह ध्वनि शांति, निर्भयता और कल्याण का वरदान देती है।
इनकी उपासना से साधक के जीवन में साहस, वीरता, आत्मविश्वास, सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है। साथ ही, मां की कृपा से साधक को अलौकिक अनुभव और दिव्य शक्तियों के दर्शन भी प्राप्त हो सकते हैं।
नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि श्रद्धा और विश्वास के साथ माता चंद्रघंटा के बीज मंत्र का जाप करने से जीवन में साहस, विनम्रता और सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है। मां चंद्रघंटा का यह बीज मंत्र देवी की दिव्य ऊर्जा को आमंत्रित करने का माध्यम है। इस मंत्र का नियमित जप करने से साधक का अहंकार नष्ट होता है और उसके जीवन में सौभाग्य, शांति और वैभव का संचार होता है। माता की कृपा से साधक में वीरता और संतुलन का विकास होता है तथा वह जीवन की चुनौतियों का निर्भय होकर सामना कर पाता है।
बीज मंत्र – "ऐं श्रीं शक्तयै नमः।"
रक्षा और नकारात्मक शक्तियों का नाश - माता चंद्रघंटा की पूजा और मंत्र जाप से आसुरी, दैवीय और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है। उनके रूप में घंटा और अर्धचंद्र जैसी शक्तियाँ होती हैं, जिससे मंत्र प्रभावशाली रूप से बाधाएँ दूर करता है।
साहस, निर्भयता और आत्म-बल प्राप्ति - इस देवी का स्वरूप शांत और शक्तिशाली दोनों है। मंत्र के जाप से भक्तों में साहस, डर-भय से मुक्ति, और आत्म-विश्वास की वृद्धि होती है।
शांति और मन की स्तब्धता - चंद्रघंटा ग्रहण की गई सात्विक विधियों (पूजा, मंत्र जाप आदि) से मन शांत और स्थिर होता है, चंचलता कम होती है।
सौभाग्य, वैभव और समृद्धि की वृद्धि - भक्तों का जीवन वैभवपूर्ण, सुख-शांति से भरपूर हो जाता है। आर्थिक एवं पारिवारिक कल्याण में वृद्धि होती है।
माता चंद्रघंटा के बीज मंत्र से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इसे सही विधि और नियमों का पालन करते हुए करना बहुत आवश्यक है। माना जाता है कि यदि बिना नियमों के मंत्र जाप किया जाए तो उसका नकारात्मक असर भी हो सकता है। इसलिए साधक को कुछ मुख्य नियमों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए -
माता चंद्रघंटा को ब्रह्मांड की रक्षक माना जाता है। वे अपने भक्तों को हर प्रकार की नकारात्मक शक्तियों और बुराइयों से बचाती हैं और उन्हें दिव्य आशीर्वाद प्रदान करती हैं। उनके बीज मंत्र का जाप करने से साधक को कई लाभ प्राप्त होते हैं -
मां चंद्रघंटा, दुर्गा जी का तीसरा स्वरूप हैं, जो साहस, शांति और रक्षा का प्रतीक है। वे अपने भक्तों को निर्भयता, ज्ञान और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं तथा उन्हें नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रखती हैं। उनकी पूजा से जीवन में सौहार्द, शक्ति और दिव्य कृपा प्राप्त होती है। मां चंद्रघंटा का आशीर्वाद आपके जीवन में सुख, शांति और सफलता लाए!
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