क्या आप जानते हैं माँ कूष्माण्डा को कौन सा फल अर्पित करना सबसे शुभ माना जाता है? यहाँ पढ़ें माँ का प्रिय फल और उससे मिलने वाले आशीर्वाद की पूरी जानकारी।
माँ कूष्मांडा नवदुर्गा का चौथा स्वरूप हैं, जिनकी पूजा शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। मान्यता है कि माँ ने अपनी अद्भुत शक्ति और तेज से पूरे ब्रह्मांड की रचना की। उनकी कृपा से भक्तों को आरोग्य, सुख-समृद्धि और उन्नति की प्राप्ति होती है। इस लेख में जानिए माँ कूष्मांडा कथा, उनका महत्व और पूजन से मिलने वाले विशेष लाभ।
माँ कूष्मांडा देवी दुर्गा का चौथा स्वरूप हैं, जिन्होंने अपनी दिव्य मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी। उन्हें अष्टभुजा भी कहते हैं क्योंकि उनके आठ हाथ हैं, जिनमें कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत कलश, चक्र, गदा और जपमाला होती है। उनका वाहन सिंह है और उन्हें कुम्हड़े की बलि प्रिय है, जिससे उनका नाम कुष्मांडा पड़ा। उनकी पूजा से रोग, शोक दूर होते हैं और आयु, बल, यश व आरोग्य की प्राप्ति होती है।
माँ कूष्माण्डा को कुम्हेड़ा (कद्दू) बहुत पसंद है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता ने सृष्टि की रचना की थी और उनके हास्य से ब्रह्मांड उत्पन्न हुआ था। इसी कारण उन्हें कूष्माण्डा कहा जाता है। इसके अलावा, उन्हें लाल रंग के फल, जैसे अनार और सेब भी अर्पित किए जाते हैं, क्योंकि ये उनकी शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक माने जाते हैं। भोग लगाने से भक्तों को स्वास्थ्य, ऊर्जा और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।
नवरात्रि के चौथे दिन जब माँ कूष्माण्डा की पूजा की जाती है, तो उन्हें फल और विशेषकर कूष्माण्ड (कद्दू) अर्पित करना बेहद शुभ माना जाता है। यहाँ उनकी पूजा और फल अर्पित करने की सही विधि बताई गई है-
पूजा स्थल की तैयारी
सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर माँ कूष्माण्डा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
कलश स्थापना करें और गंगाजल, आम्रपल्लव, नारियल आदि रखें।
सामान्य पूजन
दीपक जलाएं और धूप-दीप से आरती करें।
रोली, चावल, पुष्प और सिंदूर से माता का श्रृंगार करें।
फल अर्पण
माँ को कूष्माण्ड (कद्दू) अवश्य अर्पित करें
इसके साथ सेब, केला, अनार, संतरा, बेल फल, मौसमी आदि ताजे फल चढ़ाएं।
फल को पहले जल से शुद्ध करें, फिर स्वच्छ पात्र में रखकर माँ को भोग लगाएं।
मंत्र उच्चारण
फल अर्पित करते समय यह मंत्र बोलें – ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः
मंत्र जप के साथ माँ से सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करें।
भोग का महत्व
कद्दू और फल का भोग लगाने से घर में धन, ऐश्वर्य और ऊर्जा आती है।
माना जाता है कि इससे रोग और कष्ट दूर होकर आयु में वृद्धि होती है।
पूजा के बाद फल परिवारजनों और भक्तों में प्रसाद रूप में बांटें।
ऊर्जा और स्वास्थ्य
माँ कूष्माण्डा को ‘आद्य शक्ति’ कहा जाता है। उनकी उपासना से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और रोग-शोक दूर होते हैं।
दीर्घायु और बल
धार्मिक मान्यता है कि माँ को कद्दू (कूष्माण्ड) और फल अर्पित करने से आयु लंबी होती है और शरीर में बल बढ़ता है।
समृद्धि और ऐश्वर्य
माँ की पूजा करने से घर में धन, धान्य और ऐश्वर्य की वृद्धि होती है। आर्थिक संकट दूर होकर परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
भय और बाधाओं का नाश
माँ कूष्माण्डा की कृपा से शत्रु और नकारात्मक शक्तियाँ दूर रहती हैं। जीवन की कठिनाइयाँ और बाधाएँ समाप्त होती हैं।
आध्यात्मिक उन्नति
नियमित पूजा और जप से साधक को आत्मबल और मानसिक शांति प्राप्त होती है। ध्यान और साधना करने वालों के लिए यह पूजा विशेष फलदायी होती है।
शंतान सुख
माँ की आराधना से दांपत्य जीवन में सौभाग्य बना रहता है। संतान सुख और परिवार की उन्नति का आशीर्वाद मिलता है।
सकारात्मकता की शक्ति
माँ ने मुस्कुराकर सृष्टि का निर्माण किया। संदेश- हमें कठिन परिस्थितियों में भी सकारात्मक और शांत रहना चाहिए। मुस्कान और सकारात्मक सोच से जीवन की मुश्किलें आसान हो जाती हैं।
ऊर्जा का सही उपयोग
माँ ऊर्जा की देवी हैं। संदेश- आज के समय में हमें अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाना चाहिए—काम, रिश्ते और समाज में संतुलन बनाकर।
सृजन और नवाचार
माँ ने ब्रह्माण्ड का सृजन किया। संदेश- आधुनिक जीवन में हमें भी रचनात्मक और नवाचारी बनना चाहिए। नए विचारों और कार्यों से हम समाज में प्रगति ला सकते हैं।
संतुलन और सामंजस्य
माँ सृष्टि के संतुलन की अधिष्ठात्री हैं। संदेश- हमें काम और निजी जीवन, भौतिक और आध्यात्मिक पक्ष के बीच सामंजस्य बनाकर चलना चाहिए।
भय का नाश, आत्मविश्वास का विकास
माँ की पूजा से भय और बाधाएँ दूर होती हैं। संदेश- आज की भागदौड़ और चुनौतियों भरी दुनिया में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ना ही सफलता की कुंजी है।
माँ कूष्माण्डा हमें सिखाती हैं कि मुस्कान और सकारात्मक ऊर्जा से हर कठिनाई आसान हो सकती है। सरलता, संतोष और संतुलन ही जीवन की असली शक्ति हैं। आधुनिक जीवन में उनका संदेश है कि हम अपनी ऊर्जा का सही उपयोग करें, आत्मविश्वास से आगे बढ़ें और सृजनशीलता को अपनाएं। उनकी आराधना से भय और बाधाएं दूर होकर सुख, समृद्धि और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।
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