क्या आप जानते हैं माँ कात्यायनी का वाहन कौन सा है और इसका धार्मिक व प्रतीकात्मक महत्व क्या है? यहाँ पढ़ें माँ कात्यायनी के वाहन शेर के बारे में पूरी जानकारी।
मां कात्यायनी का वाहन शक्ति, साहस और विजय का प्रतीक माना जाता है। यह वाहन भक्तों को निर्भयता, आत्मविश्वास और हर चुनौती का सामना करने की प्रेरणा देता है। इस लेख में जानिए मां कात्यायनी के वाहन का महत्व और उससे जुड़ी धार्मिक मान्यताएँ।
नवरात्रि के छठे दिन पूजित देवी माँ कात्यायनी, शक्ति और साहस की प्रतीक मानी जाती हैं। इनके स्वरूप को देखकर भक्तों के मन में अटूट विश्वास और निर्भयता का भाव जागृत होता है। माँ कात्यायनी का वाहन है सिंह, जो वीरता, पराक्रम और शक्ति का प्रतीक है। सिंह पर आरूढ़ माँ का दर्शन यह संदेश देता है कि धर्म की रक्षा के लिए माँ सदैव सज्ज हैं और अन्याय पर विजय निश्चित है। भक्तजन विश्वास करते हैं कि माँ कात्यायनी की आराधना से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं।
माँ कात्यायनी का वाहन सिंह है। वह सिंह पर सवार होकर भक्तों को शक्ति, साहस और सुरक्षा प्रदान करती हैं, जो शक्ति और निर्भीकता का प्रतीक है। जो शक्तिशाली दुश्मनों को हराने की उनकी क्षमता का प्रतीक है। माँ कात्यायनी को चार भुजाओं वाली, सिंह पर सवार, तलवार और कमल पुष्प धारण किए हुए दर्शाया जाता है। ब्रज की गोपियों ने भगवान कृष्ण को प्राप्त करने के लिए माँ कात्यायनी की पूजा की थी। प्राचीन मंत्रों और पुराणों में भी उन्हें सिंह पर सवार बताया गया है।
माँ कात्यायनी नवरात्रि के छठे दिन पूजित होती हैं। उनका वाहन सिंह है, जो शक्ति, साहस और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है। सिंह पर आरूढ़ माँ का स्वरूप यह दर्शाता है कि देवी भक्तों के जीवन से भय और नकारात्मकता को दूर कर उन्हें निर्भीक बनाती हैं। माँ कात्यायनी का वाहन सिंह है, जो उनकी शक्ति और साहस का प्रतीक है। सिंह पर सवार माँ कात्यायनी का स्वरूप दिव्य और भव्य है, और वह ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। इनकी पूजा से रोग-शोक से मुक्ति मिलती है, बाधाएं दूर होती हैं, और विवाह संबंधी मामलों में मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
सिंह निर्भयता और वीरता का द्योतक है। माँ कात्यायनी का सिंह पर विराजमान होना इस बात का संकेत है कि वे अन्याय और अधर्म का नाश करने के लिए सदैव तत्पर रहती हैं।
माँ कात्यायनी को महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है। सिंह पर सवार होकर उन्होंने महिषासुर का वध किया था।
सिंह वाहन यह दर्शाता है कि धर्म की रक्षा के लिए माँ शक्ति और साहस का संचार करती हैं।
भक्त मानते हैं कि माँ कात्यायनी की उपासना से आत्मबल, आत्मविश्वास और मानसिक दृढ़ता बढ़ती है।
धार्मिक महत्व
माँ कात्यायनी का सिंह वाहन यह संदेश देता है कि भक्त को अन्याय के विरुद्ध खड़े होने से डरना नहीं चाहिए।
विवाह योग्य कन्याओं को विशेष रूप से माँ कात्यायनी की पूजा करने की परंपरा है। मान्यता है कि उनकी कृपा से विवाह संबंधी बाधाएँ दूर होती हैं।
सिंह वाहन पर आरूढ़ माँ की आराधना से साधक को जीवन में विजय, समृद्धि और धर्म की रक्षा हेतु शक्ति मिलती है।
मान्यता है कि इनकी आराधना से भक्त को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष – चारों फलों की प्राप्ति होती है। रोग, शोक, भय और दुख दूर हो जाते हैं तथा जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। कथा के अनुसार, महर्षि कात्यायन ने कठिन तपस्या कर माँ भगवती की उपासना की थी। उनकी इच्छा थी कि देवी उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर माँ भगवती ने पुत्री रूप में जन्म लिया और कात्यायनी कहलाईं।
माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत दिव्य है। उनका शरीर स्वर्ण के समान चमकता है। इनके चार हाथ हैं – दाहिनी ओर ऊपर का हाथ अभयमुद्रा में और नीचे का हाथ वरमुद्रा में है। बाईं ओर ऊपर वाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। उनका वाहन सिंह है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है। कृष्ण भगवान को पति रूप में पाने की इच्छा से ब्रज की गोपियों ने भी यमुना तट पर माँ कात्यायनी की पूजा की थी। इसलिए इन्हें ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी भी माना जाता है। भक्त विश्वास करते हैं कि माँ कात्यायनी की पूजा से कार्य सिद्ध होते हैं, पाप समाप्त होते हैं और अंततः परम पद की प्राप्ति होती है।
माँ कात्यायनी की उपासना न केवल शक्ति और साहस देती है, बल्कि भक्त को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के चारों फलों की प्राप्ति भी कराती है। उनकी पूजा से रोग, शोक, भय और पाप दूर होते हैं, जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता आती है। श्रद्धा और भक्ति भाव से उनका जाप करने वाला भक्त मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनता है।
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