केदारनाथ के कपाट 2026 में कब खुलेंगे?
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केदारनाथ के कपाट 2026 में कब खुलेंगे?

क्या आप जानना चाहते हैं 2026 में केदारनाथ धाम के कपाट कब खुलेंगे? तैयार हो जाइए भगवान शिव के दर्शन के लिए तिथि और पूरी जानकारी जानें यहाँ!

केदारनाथ धाम के बारे में

चार धामों में से एक केदारनाथ धाम एक महत्वपूर्ण स्थान है। इस धाम की यात्रा न केवल अनोखी है बल्कि उतनी ही सुखदायी और आनंदमय भी है। केदारनाथ की महिमा, विधि-परंपरा और दिव्य वातावरण हर श्रद्धालु को मंत्रमुग्ध कर देता है। आज के लेख में आपको मिलेगी केदारनाथ यात्रा के बारे में सारी जानकारी एक साथ, तो पढ़िए लेख को और जान जाएं सब कुछ।

केदारनाथ धाम का महत्व

देश में देवों के देव महादेव के अनेक प्रसिद्ध मंदिर हैं, लेकिन उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित तीन ओर से बर्फ से ढके विशालकाय पहाड़ों से घिरा केदारनाथ धाम न सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि प्रकृति की अद्भुत छटा का जीवंत उदाहरण भी है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, केदारनाथ धाम के दर्शन करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है। यहां स्थित शिवलिंग को स्वयंभू माना जाता है, यानी यह शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ था। इसलिए इसकी महिमा और भी अधिक बढ़ जाती है। जानकारी अनुसार, पांडवों ने इस मंदिर का निर्माण किया था, लेकिन समय के साथ वह नष्ट हो गया। बाद में 8वीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। ऐसा माना जाता है कि शंकराचार्य जी यहीं से सशरीर स्वर्ग को गए थे। केदारनाथ धाम केवल एक तीर्थ नहीं, बल्कि आस्था, श्रद्धा और मोक्ष का केंद्र है। माना जाता है कि यहां दर्शन करने मात्र से जीवन के समस्त पाप कट जाते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसलिए यह स्थान अत्यंत विशेष और पूजनीय माना गया है।

केदारनाथ के कपाट 2026 में कब खुलेंगे?

केदारनाथ मंदिर के कपाट हर साल सावन महीने की शुरुआत में खोल दिए जाते हैं और शरद ऋतु के अंत तक बंद हो जाते हैं। 2025 में केदारनाथ मंदिर के कपाट 02 मई 2025, सुबह 7:00 बजे भक्तों के लिए खोले जा चुके हैं। वहीं, कपाट बंद होने की तिथि 23 अक्टूबर 2025 है। हालांकि, 2026 में अभी मंदिर खुलने का समय निर्धारित नहीं किया गया है। जैसे ही मंदिर खुलने का डेट घोषित होगी आपको श्री मंदिर वेबसाइट पर सबसे पहले सूचित किया जाएगा।

कपाट खुलने की विधि और परंपरा

केदारनाथ धाम में कपाट खुलने की प्रक्रिया हर साल एक विशेष परंपरा और धार्मिक विधियों के साथ संपन्न होती है। पूरा आयोजन पुरानी परंपराओं और धार्मिक विधियों के अनुसार संपन्न होता है। यह अवसर भक्तों के लिए अत्यंत शुभ और भावनात्मक होता है, क्योंकि छह महीने की बंदी के बाद बाबा केदारनाथ के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है।

डोली यात्रा से होती है शुरुआत

केदारनाथ धाम के कपाट हर साल गर्मियों में खोले जाते हैं। यह पावन अवसर आमतौर पर अप्रैल-मई में आता है और इसकी तिथि अक्षय तृतीया के दिन पंचांग के अनुसार तय होती है। कपाट खुलने से पहले बाबा केदार की भोग मूर्ति, जिसे चल विग्रह कहा जाता है, उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर से डोली यात्रा के रूप में केदारनाथ लाई जाती है। यह यात्रा रुद्रप्रयाग, गुप्तकाशी, फाटा और गौरीकुंड होते हुए मंदिर तक पहुंचती है। डोली यात्रा के दौरान भक्त भजन-कीर्तन करते हैं और पूरे मार्ग में उत्सव जैसा माहौल बना रहता है।

पहले भैरवनाथ पूजा फिर विशेष अर्चना

केदारनाथ मंदिर के कपाट खोलने से पहले भैरवनाथ जी की पूजा की जाती है, जिन्हें मंदिर का रक्षक माना जाता है। यह पूजा मंदिर की सुरक्षा और नए पूजा सत्र की शुभ शुरुआत के लिए जरूरी मानी जाती है। इसके बाद मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना होती है, जिसमें वेद मंत्रों का उच्चारण, आरती, हवन और भगवान को भोग अर्पित किया जाता है। यह सब परंपरागत पंडितों द्वारा विधिपूर्वक संपन्न किया जाता है। वहीं, आमतौर पर पूजा सुबह 5 बजे शुरू होती है और करीब सुबह 7 बजे कपाट खोल दिए जाते हैं। श्रद्धालु निर्धारित समय में बाबा केदारनाथ के दर्शन और पूजा-अर्चना कर सकते हैं।

ढोल-नगाड़ों, शंखों और जयकारों की गूंज

कपाट खुलते ही मंदिर परिसर में ढोल-नगाड़ों, शंखों और जय बाबा केदार के गूंजते जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो जाता है। जानकारी अनुसार, लोगों का मानना है कि यह पल भक्तों के लिए बेहद भावुक और पुण्यदायक होता है। कपाट खुलने के बाद नियमित पूजा, रुद्राभिषेक और अन्य धार्मिक अनुष्ठान होते रहते हैं जब तक कि शीतकाल में कपाट फिर से बंद न हो जाएं। 

केदारनाथ यात्रा की तैयारी कैसे करें

केदारनाथ यात्रा के लिए अच्छी तैयारी बहुत जरूरी होती है। इस यात्रा में सुरक्षित और आरामदायक अनुभव पाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखनी चाहिए। तो आइए जानतें हैं तैयारी के बारे में।

परमिट और फिटनेस का ध्यान जरूरीः केदारनाथ यात्रा शुरू करने से पहले सबसे जरूरी है कि आप परमिट लें। यह परमिट उत्तराखंड पर्यटन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट से ऑनलाइन या ऑफलाइन लिया जा सकता है। बिना परमिट यात्रा करना मना है, इसलिए इसे जरूर पूरा करें। साथ ही, चूंकि यह यात्रा पहाड़ी और ऊंचाई वाली होती है, इसलिए अपनी सेहत और फिटनेस पर खास ध्यान दें। रोजाना हल्की दौड़ या तेज़ चलना करें और सांस लेने की एक्सरसाइज से शरीर को तैयार करें। यह आपके लिए कठिन रास्तों को पार करना आसान बनाएगा।

जरूरी सामान और अपना ध्यान रखेंः केदारनाथ यात्रा के लिए कुछ जरूरी सामान अपने साथ ले जाना बेहद जरूरी है। गर्म कपड़े,बारिश से बचने के लिए रेनकोट और छाता, आरामदायक और मजबूत ट्रेकिंग जूते जरूर लें। ताकि यात्रा में दिक्कत न हो। साथ में प्राथमिक चिकित्सा किट जरूर रखें। इसके अलावा पानी की बोतल, स्नैक्स, पावर बैंक, टॉर्च और पहचान पत्र भी जरूरी हैं। यात्रा के दौरान मौसम की जानकारी लेते रहें और आधिकारिक रास्ते का ही उपयोग करें। साथ ही, बीच-बीच में आराम करते रहें और खूब पानी पीते रहें ताकि हाइड्रेटेड रहें।

सही परिवहन और सुरक्षा उपायः केदारनाथ जाने के लिए सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक आप शेयर टैक्सी या ऑटो से जा सकते हैं। गौरीकुंड से पैदल, टट्टू या खच्चर से केदारनाथ पहुंचा जा सकता है। वहीं, हेलिकॉप्टर सेवा भी उपलब्ध है, जो यात्रा को आसान बनाती है। साथ ही ठहरने की व्यवस्था पहले से कर लें ताकि यात्रा आरामदायक हो। बेहतर फोन नेटवर्क के लिए बीएसएनएल, वोडाफोन या रिलायंस जियो की सिम साथ रखना फायदेमंद रहता है। इन तैयारियों से आपकी केदारनाथ यात्रा सुरक्षित और सुखद होगी।

केदारनाथ यात्रा का धार्मिक महत्व

केदारनाथ यात्रा का धार्मिक महत्व अत्यंत गहरा और पौराणिक है। यह यात्रा आत्मा की शुद्धि और मन की शांति का माध्यम है। हिमालय की गोद में बसा यह स्थल प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिकता का अनोखा मेल प्रस्तुत करता है। यहां पहुंचकर भक्त अपने जीवन के सभी पापों और कष्टों से मुक्ति की कामना करते हैं। इस यात्रा को करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। केदारनाथ के दर्शन करने और यहां के पवित्र जल से व्यक्ति को मोक्ष मिलता है, यानी वह जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है। साथ ही, यह यात्रा पापों की क्षमा और आत्मा की शुद्धि का मार्ग भी है, जिससे भक्तों का मन और जीवन दोनों शुद्ध होते हैं। यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि केदारनाथ के दर्शन से जीवन की कठिनाइयां दूर होती हैं और उन्हें मानसिक शांति मिलती है। हालांकि, केदारनाथ यात्रा कठिन और चुनौतीपूर्ण होती है, लेकिन यही कठिनाई इसे एक आध्यात्मिक अनुभव बनाती है। यात्रा भगवान शिव के प्रति भक्ति और आत्मा की शुद्धि का अनुभव कराती है।

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Published by Sri Mandir·July 16, 2025

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