नारायणास्त्र कवच एक अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र है जो भगवान विष्णु की कृपा से आपकी रक्षा करता है। जानिए इसकी पाठ विधि और लाभ।
नारायणास्त्र कवच एक प्राचीन हिंदू सैन्य शस्त्र और दिव्य कवच है, जिसे विशेष रूप से भगवान विष्णु के द्वारा दिया गया माना जाता है। यह एक अत्यधिक शक्तिशाली अस्त्र है, जिसे किसी भी युद्ध में अपनी रक्षा और विजय के लिए प्रयोग किया जाता था। नारायणास्त्र कवच के माध्यम से व्यक्ति को अप्रतिम साहस, बल, और विजय की प्राप्ति होती थी। इस चमत्कारिक कवच के बारे में अगर आप और जानकारी जानना चाहते हैं तो पढ़िए हमारे इस लेख को और जानें इस कवच के अन्य लाभ, पाठ विधि, श्लोक आदि के बारे में।
नारायणास्त्र, जिसे दिव्यास्त्र भी कहा जाता है। महाभारत में एक अत्यंत शक्तिशाली और अद्भुत अस्त्र के रूप में वर्णित है। यह अस्त्र भगवान विष्णु के प्रकोप का प्रतीक है और इसे किसी भी प्रकार के शस्त्रों या कवच से पराजित नहीं किया जा सकता। नारायणास्त्र के बारे में कहा जाता है कि यह अपने शत्रु को नष्ट करने की अत्यधिक क्षमता रखता है और इसका प्रतिकार करने का कोई उपाय नहीं है। नारायणास्त्र कवच को पहनने वाला व्यक्ति न केवल शारीरिक आघात से सुरक्षित रहता था, बल्कि उसे मानसिक और आत्मिक बल भी मिलता था।
ॐ नमो भगवते श्रीनारायणाय नमो नारायणाय विश्वमूर्तये नमः श्री पुरुषोत्तमाय पुष्पदृष्टिं प्रत्यक्षं वा परोक्षं अजीर्णं पञ्चविषूचिकां हन हन ऐकाहिकं द्वयाहिकं त्र्याहिकं चातुर्थिकं ज्वरं नाशय नाशयचतुरशितिवातानष्टादशकुष्ठान् अष्टादशक्षय रोगान् हन हन सर्वदोषान् भंजय भंजय तत्सर्वं नाशय नाशय आकर्षय आकर्षय शत्रून् शत्रून् मारय मारय उच्चाटयोच्चाटय विद्वेषय विदे्वेषय स्तंभय स्तंभय निवारय निवारय विघ्नैर्हन विघ्नैर्हन दह दह मथ मथ विध्वंसय विध्वंसय चक्रं गृहीत्वा शीघ्रमागच्छागच्छ चक्रेण हत्वा परविद्यां छेदय छेदय भेदय भेदय चतुःशीतानि विस्फोटय विस्फोटय अर्शवातशूलदृष्टि सर्पसिंहव्याघ्र द्विपदचतुष्पद पद बाह्यान्दिवि भुव्यन्तरिक्षे अन्येऽपि केचित् तान्द्वेषकान्सर्वान् हन हन विद्युन्मेघनदी पर्वताटवीसर्वस्थान रात्रिदिनपथचौरान् वशं कुरु कुरु हरिः ॐ नमो भगवते ह्रीं हुं फट् स्वाहा ठः ठं ठं ठः नमः ।।
विधानम्
एषा विद्या महानाम्नी पुरा दत्ता मरुत्वते।
असुराञ्जितवान्सर्वाञ्च्छ क्रस्तु बलदानवान्।।
यः पुमान्पठते भक्त्या वैष्णवो नियतात्मना।
तस्य सर्वाणि सिद्धयन्ति यच्च दृष्टिगतं विषम्।।
अन्यदेहविषं चैव न देहे संक्रमेद्ध्रुवम्।
संग्रामे धारयत्यङ्गे शत्रून्वै जयते क्षणात्।।
अतः सद्यो जयस्तस्य विघ्नस्तस्य न जायते।
किमत्र बहुनोक्तेन सर्वसौभाग्यसंपदः।।
लभते नात्र संदेहो नान्यथा तु भवेदिति।
गृहीतो यदि वा येन बलिना विविधैरपि।।
शतिं समुष्णतां याति चोष्णं शीतलतां व्रजेत्।
अन्यथां न भवेद्विद्यां यः पठेत्कथितां मया।।
भूर्जपत्रे लिखेन्मंत्रं गोरोचनजलेन च।
इमां विद्यां स्वके बद्धा सर्वरक्षां करोतु मे।।
पुरुषस्याथवा स्त्रीणां हस्ते बद्धा विचेक्षणः।
विद्रवंति हि विघ्नाश्च न भवंति कदाचनः।।
न भयं तस्य कुर्वंति गगने भास्करादयः।
भूतप्रेतपिशाचाश्च ग्रामग्राही तु डाकिनी।।
शाकिनीषु महाघोरा वेतालाश्च महाबलाः।
राक्षसाश्च महारौद्रा दानवा बलिनो हि ये।।
असुराश्च सुराश्चैव अष्टयोनिश्च देवता।
सर्वत्र स्तम्भिता तिष्ठेन्मन्त्रोच्चारणमात्रतः।।
सर्वहत्याः प्रणश्यंति सर्व फलानि नित्यशः।
सर्वे रोगा विनश्यंति विघ्नस्तस्य न बाधते।।
उच्चाटनेऽपराह्णे तु संध्यायां मारणे तथा।
शान्तिके चार्धरात्रे तु ततोऽर्थः सर्वकामिकः।।
इदं मन्त्ररहस्यं च नारायणास्त्रमेव च।
त्रिकालं जपते नित्यं जयं प्राप्नोति मानवः।।
आयुरारोग्यमैश्वर्यं ज्ञानं विद्यां पराक्रमः।
चिंतितार्थ सुखप्राप्तिं लभते नात्र संशयः।।
इति नारायणास्त्रम्।
नारायणास्त्र कवच एक अत्यधिक शक्तिशाली कवच है, जिसे शास्त्रों में त्रिलोकी की अंतिम शक्ति कहा गया है।
यह कवच शत्रुओं के सभी प्रयासों को निष्फल करने की क्षमता रखता है और किसी भी प्रकार के शत्रु से बचाव करता है।
यदि कोई व्यक्ति शत्रुओं से परेशान है या उसे नुकसान पहुँचाने की कोशिश की जा रही है, तो उसे नारायणास्त्र कवच का पाठ करना चाहिए।
इस कवच का नित्य पाठ करने से शत्रु पर विजय प्राप्त होती है और वह व्यक्ति के मित्र बन जाता है।
नारायणास्त्र कवच जीवन में सफलता प्राप्त करने का एक शक्तिशाली उपाय है। यह आपके कार्यक्षेत्र में सफलता लाने में मदद करता है।
यदि आप समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त करना चाहते हैं, तो नारायणास्त्र कवच का पाठ आपके लिए अत्यधिक लाभकारी हो सकता है।
यह कवच आपके जीवन में आने वाली बाधाओं और कठिनाइयों को दूर करने में सक्षम है।
नारायणास्त्र कवच का पाठ करने से व्यक्ति अद्वितीय बन जाता है और उसे हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
भगवान नारायण जहां होते हैं, वहां माँ लक्ष्मी का वास होता है। इस कवच का पाठ करने से यह लाभ प्राप्त होता है।
नारायणास्त्र कवच के साथ नारायण यंत्र का भी पूजन करना चाहिए, ताकि व्यापार में वृद्धि हो और आर्थिक समस्याएं दूर हों।
यह कवच व्यक्ति के घर या कार्यस्थल में धन के प्रवाह को बढ़ाता है और आर्थिक समृद्धि लाता है।
नारायणास्त्र कवच का नित्य पाठ करने से व्यक्ति को शत्रु बाधा, ग्रह दोष और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिलती है।
इस कवच के प्रभाव से बुरी नज़र, टोना-टोटका और अन्य नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं।
भगवान नारायण इस कवच का पाठ करने वाले व्यक्ति की स्वयं रक्षा करते हैं, जिससे उसके जीवन में शांति और समृद्धि बनी रहती है।
नारायणास्त्र कवच का नियमित पाठ न केवल शत्रुओं से बचाता है, बल्कि जीवन में सफलता, समृद्धि और सुरक्षा की गारंटी देता है।
नारायणास्त्र कवच का पाठ एक विशेष विधि और श्रद्धा से किया जाता है। इस पाठ में सबसे पहले न्यास का विधान है, जो अत्यंत महत्वपूर्ण है। न्यास में भगवान विष्णु के अष्टाक्षरी मंत्र "ॐ नमो नारायणाय" या द्वादशाक्षरी मंत्र "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का प्रयोग किया जाता है। इन मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति को सुरक्षा और आशीर्वाद प्राप्त होता है। न्यास करने के बाद, नारायणास्त्र कवच का पाठ आरंभ किया जाता है। इस दौरान, व्यक्ति को पूरी श्रद्धा और एकाग्रता से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। कहा जाता है कि सच्ची श्रद्धा से किए गए इस पाठ से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में समृद्धि आती है। नारायणास्त्र मंत्र का नियमित जाप करने से व्यक्ति को सुरक्षा, स्वास्थ्य और लंबी आयु प्राप्त होती है। यह मंत्र तंत्र-मंत्र की सभी बाधाओं से मुक्ति दिलाता है। साथ ही, नारायणास्त्र के प्रभाव से विषैले संक्रमण और अन्य शारीरिक समस्याओं से भी बचाव होता है। इस प्रकार, नारायणास्त्र कवच का पाठ जीवन में शांति, सुरक्षा और समृद्धि लेकर आता है।
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