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लालबागचा राजा

क्या आप जानते हैं लालबागचा राजा को गणेश भक्त क्यों सबसे खास मानते हैं? जानें इसके इतिहास, प्रसिद्धि और गणेशोत्सव की भव्यता के बारे में।

लालबागचा राजा के बारे में

जब बात गणेश उत्सव की हो, तो लालबागचा राजा का ज़िक्र होना स्वाभाविक है। मुंबई के इस विख्यात गणपति के दर्शन के लिए हर साल लाखों भक्त उमड़ते हैं और 5 किलोमीटर से ज्यादा लंबी कतारें लगती हैं। मन्नतों के राजा के नाम से प्रसिद्ध यह गणपति सिर्फ भारत ही नहीं, विदेशों में भी आस्था का केंद्र है। आखिर क्यों हैं ये इतने खास, क्या है इनकी महिमा, दर्शन से लेकर लालबाग राजता से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी चाहते हैं पाना तो पढ़िए हमारा यह खास लेख।

लालबागचा राजा का इतिहास

हर साल गणेश चतुर्थी के अवसर पर जब मुंबई की सड़कों पर भक्तों का जनसागर उमड़ता है, तब सबसे अधिक ध्यान आकर्षित करता है लालबागचा राजा। यह सिर्फ गणेश मूर्ति नहीं, बल्कि यह करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था, विश्वास और मन्नतों का प्रतीक है। यह वही स्थान है, जहाँ भक्त घंटों कतार में खड़े होकर एक झलक पाने को तरसते हैं और मानते हैं कि यह राजा मन्नतें जरूर पूरी करता है।

बात करें इसकी इतिहास की तो लालबागचा राजा की परंपरा वर्ष 1934 में शुरू हुई। इस सार्वजनिक गणेशोत्सव की परंपरा की नींव लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने रखी थी, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ जनजागरण और एकता के उद्देश्य से गणेश उत्सव को सार्वजनिक मंच में बदल दिया। उस समय देश स्वतंत्रता संग्राम के उफान पर था और लोकमान्य तिलक द्वारा शुरू किए गए सार्वजनिक गणेशोत्सव आंदोलन ने लोगों को एकजुट करने का कार्य किया। लालबाग में स्थापित यह मंडल केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह सामाजिक और राष्ट्रीय चेतना का केंद्र बन गया। पास ही स्थित गणेश गल्ली गणपति की भीड़ के कारण लोग लालबागचा राजा तक भी पहुँचने लगे और धीरे-धीरे यहाँ हर वर्ष लाखों श्रद्धालु उमड़ने लगे।

जानकारी के अनुसार, 2001 के बाद जब मीडिया ने इसे प्रमुखता से दिखाना शुरू किया, तो यह गणपति सिर्फ मुंबई का नहीं, बल्कि पूरे देश और विदेश के भक्तों का राजा बन गया। आज बॉलीवुड सितारे, नेता, क्रिकेटर और आम लोग सभी यहां माथा टेकते हैं और अपनी मन्नतो को पूरी करने का आशीष लेते हैं।

लालबागचा राजा क्यों है सबसे खास? जानें इससे जुड़े रोचक तथ्य

नवसाचा गणपति यानी मन्नतें पूरी करने वाले गणेश के रूप में प्रसिद्ध लालबागचा राजा केवल एक गणेश मूर्ति नहीं है, बल्कि यह उन करोड़ों भक्तों की आस्था, विश्वास और भावनाओं का प्रतीक है जो हर साल गणेश चतुर्थी पर यहां एक झलक पाने को उमड़ पड़ते हैं। जब मुंबई की गलियों में गणेश उत्सव की धूम मचती है, तब पूरे शहर का ध्यान लालबाग के इस राजा पर ही केंद्रित होता है। यहां श्रद्धालु घंटों लाइन में खड़े रहते हैं। कोई पैरों में चप्पल नहीं पहनता, कोई उपवास करता है, तो कोई सिर पर कलश लेकर मन्नत मांगने आता है। भक्ति, समर्पण और भावनाओं का यह अद्वितीय संगम इसे बाकी सभी पंडालों से अलग बनाता है।

इसकी सबसे बड़ी खासियत इसकी मन्नतें पूरी करने की परंपरा है, जिसके कारण इसे नवसाचा गणपति कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि हजारों श्रद्धालुओं ने यहां आकर अपनी निजी, पारिवारिक या व्यावसायिक इच्छाओं की पूर्ति होते देखी है। इसका विशाल स्वरूप, अद्भुत सजावट, रात्रिकालीन रोशनी, सांस्कृतिक आयोजन और भजन-कीर्तन का वातावरण एक दिव्य आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है। हर वर्ष लालबागचा राजा का पंडाल किसी विशेष सामाजिक या पौराणिक थीम पर सजाया जाता है, जिससे एक ओर जहाँ उसकी कलात्मक भव्यता दिखती है, वहीं दूसरी ओर समाज को कोई गहरा संदेश भी मिलता है। देश-विदेश से नेता, अभिनेता, खिलाड़ी और सामान्य भक्त यहाँ दर्शन के लिए आते हैं। यही कारण है कि यह मंडल केवल पूजा का स्थान नहीं, बल्कि एक जनआस्था का पर्व बन गया है।

लालबागचा राजा दर्शन के प्रकार

यहां दर्शन के दो प्रमुख प्रकार हैं।

नवसाची लाइन और मुख दर्शनाची लाइन।

नवसाची लाइन में भक्त भगवान के चरणों तक पहुँचकर उनका स्पर्श करते हैं और सीधे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह सबसे लंबी दर्शन लाइन होती है, जिसमें भक्तों को भगवान के दर्शन पाने में लगभग 15 से 16 घंटे तक का समय लग सकता है।

मुख दर्शनाची लाइन में भक्त भगवान गणेश की मूर्ति के दर्शन दूर से करते हैं, बिना चरण स्पर्श किए। यह लाइन अपेक्षाकृत छोटी होती है, लेकिन इसमें भी 6 से 7 घंटे तक लग सकते हैं। दोनों प्रकार की लाइनों में श्रद्धालुओं की भीड़ बनी रहती है और दर्शन लगातार 24 घंटे चलते हैं।

लालबागचा राजा से जुड़ी मान्यता

भक्तों में लालबागचा राजा को लेकर गहरी मान्यता है। मान्यता है जो भी भक्त सच्चे मन से गौरी पुत्र के दर्शन करता है और लालबागचा राजा के दर्शन को लेकर यह गहरी आस्था है कि जो भी भक्त सच्चे मन से मन्नत माँगता है, उसकी इच्छा अवश्य पूरी होती है। हजारों श्रद्धालुओं ने यहाँ अपनी मुरादें पूरी होते देखी हैं, जिससे यह स्थान एक पंडाल से बढ़कर आस्था का तीर्थ बन चुका है, जहाँ हर वर्ष लाखों भक्त उमड़ते हैं। तभी तो यह केवल गणपति नहीं मन्नतों के राजा माने औऱ जाने जाते हैं।

क्या लालबागचा राजा इको-फ्रेंडली है?

लालबागचा राजा इको-फ्रेंडली है या नहीं? इसका उत्तर पूरी तरह हां या नहीं नहीं दिया जा सकता। क्योंकि इसमें संतुलन की आवश्यकता है। हाल के वर्षों में मंडल द्वारा मूर्ति निर्माण में पर्यावरण-अनुकूल उपायों को अपनाने का प्रयास किया गया है। मूर्ति को पारंपरिक मिट्टी, प्राकृतिक रंगों और गोंद से बनाने की कोशिश की जाती है, जो पर्यावरण के प्रति एक सकारात्मक पहल है। यह कदम प्लास्टर ऑफ पेरिस जैसी हानिकारक सामग्री के उपयोग को कम करने की दिशा में सराहनीय प्रयास है। हालांकि, कुछ चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं। विशाल मूर्ति के कारण विसर्जन के दौरान जल प्रदूषण की आशंका रहती है, क्योंकि मिट्टी और रंग पूरी तरह पानी में नहीं घुल पाते। इसके अलावा, हालांकि सजावट में इस्तेमाल होने वाले कुछ रसायन और सामग्री पूरी तरह पर्यावरण के अनुकूल नहीं माने जाते, फिर भी लालबागचा राजा मंडल पर्यावरण संरक्षण को लेकर लगातार प्रयासरत है। हर वर्ष इको-फ्रेंडली विकल्पों को अपनाने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं, जो भविष्य में सकारात्मक परिणाम दे सकते हैं। यदि जागरूकता और तकनीकी सहयोग बढ़ाया जाए।

लालबागचा राजा कैसे जाएं?

अगर आप भी मन्नतों के राजा के दर्शन करना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको मुंबई पहुँचना होगा। यह शहर भारत के सभी प्रमुख शहरों से हवाई मार्ग, रेल और सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, जिससे यहाँ पहुँचना आसान और सुविधाजनक हो जाता है। मुंबई पहुँचने के बाद लालबाग स्थित इस पंडाल तक पहुँचने के लिए कई सरल विकल्प उपलब्ध हैं। कैसे तो आइए जानते हैं।

रेल मार्ग से यात्रा: लालबागचा राजा के सबसे नजदीक स्थित रेलवे स्टेशन चिंचपोकली है, जहां से यह प्रसिद्ध पंडाल लगभग 15 से 17 मिनट की पैदल दूरी पर स्थित है, जिसे भक्त आसानी से पहुँच सकते हैं। यदि आप मध्य रेलवे से यात्रा कर रहे हैं, तो करी रोड स्टेशन पर उतरें। वहीं, पश्चिमी रेलवे से आने वाले यात्री लोअर परेल स्टेशन पर उतर सकते हैं। इन सभी स्टेशनों से ऑटो, टैक्सी या पैदल चलकर आप आसानी से पंडाल तक पहुँच सकते हैं।

सड़क मार्ग से यात्रा: मुंबई में निजी वाहन से यात्रा करने वाले लोग छत्रपति शिवाजी मैदान से टी.बी. कदम मार्ग होते हुए सीधे लालबागचा राजा पहुँच सकते हैं। भीड़भाड़ को ध्यान में रखते हुए सुबह या देर रात यात्रा करना बेहतर होता है।

बस सेवा: मुंबई की BEST बस सेवा भी लालबाग क्षेत्र तक आसान पहुँच देती है। आप BEST की आधिकारिक वेबसाइट या मोबाइल ऐप पर अपने स्थान के अनुसार बस रूट, नंबर और स्टॉप की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि, इस बात का जरूर ध्यान रखें कि यात्रा से पहले मार्ग की योजना और समय का सही चयन जरूर कर लें ताकि आपकी यात्रा सहज और सुखद बन सके।

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Published by Sri Mandir·August 20, 2025

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