घर पर गणेश चतुर्थी की पूजा करने की सही विधि, पूजन सामग्री और नियम जानें। श्री गणेश को प्रसन्न करने के लिए चरणबद्ध पूजन प्रक्रिया अपनाएं।
गणेश चतुर्थी में भगवान गणेश की पूजा बड़े विधि-विधान से की जाती है। सबसे पहले घर या पंडाल में गणपति की प्रतिमा को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर स्थापित करें। पूजा स्थल को स्वच्छ और पवित्र रखने के बाद कलश स्थापना करें। इसके बाद गणेश जी को लाल वस्त्र, दूर्वा घास, मोदक, फूल और चंदन अर्पित करें। गणेश मंत्रों और आरती का पाठ करें तथा 16 उपचारों से विधिवत पूजा करें। अंत में गणपति को भोग लगाकर परिवार सहित आरती करें और आशीर्वाद प्राप्त करें। इस लेख में जानिए गणेश चतुर्थी में पूजा की विधि, जरूरी सामग्री और खास नियम।
गणेश चतुर्थी, हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पावन त्योहार है जो भगवान गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक श्रद्धा से जुड़ा होता है, बल्कि घर-परिवार में प्रेम, सौहार्द और उल्लास का माहौल भी लेकर आता है। साल 2025 में यह त्योहार बुधवार, 27 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। गणेश चतुर्थी पर भक्त भगवान श्रीगणेश को घर आमंत्रित करते हैं और दस दिनों तक उनकी सेवा और आराधना करते हैं। इन दस दिनों में श्रद्धालु अपने घरों में भजन, कीर्तन, आरती, प्रसाद वितरण और विशेष पूजा का आयोजन करते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं पूजा की संपूर्ण तैयारी, स्थापना विधि, मुहूर्त और आवश्यक सामग्री के बारे में।
गणेश चतुर्थी की तैयारी कम से कम दो दिन पहले से शुरू कर देनी चाहिए। सबसे पहले घर की साफ-सफाई करें। विशेषकर जिस स्थान पर गणेश जी की स्थापना करनी है, उस स्थान को पवित्र गंगाजल से शुद्ध करें। इसके बाद पूजा स्थल को सजाएं। रंगोली बनाएं, तोरण बांधें और चौकी पर सुंदर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।
भक्ति भाव से मूर्ति खरीदें और ध्यान रखें कि मूर्ति मिट्टी की हो तो बेहतर है, ताकि विसर्जन के समय पर्यावरण को नुकसान न हो। मूर्ति को घर लाते समय मंगल गान और ‘गणपति बप्पा मोरया’ जयघोष करते हुए लाएं।
मूर्ति स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार, मध्याह्न काल यानी दिन के बीच का समय गणेश पूजा के लिए सबसे शुभ माना गया है।
मूर्ति स्थापना मुहूर्त 27 अगस्त 2025 को सुबह 11:05 AM से दोपहर 01:36 PM तक रहेगा।
इस मुहूर्त की कुल अवधि होगी – 2 घंटे 31 मिनट।
इस दिन चंद्रदर्शन वर्जित रहेगा – 26 अगस्त 2025 को शाम 04:22 से रात 08:12 बजे तक चंद्रमा न देखें।
इस शुभ मुहूर्त में ही गणपति बप्पा की स्थापना करना अत्यंत मंगलकारी माना गया है।
गणेश जी की मूर्ति को पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में रखना सबसे उत्तम होता है। यह दिशा आध्यात्मिक और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर मानी जाती है। मूर्ति को घर के ऐसे स्थान पर रखें जहां प्रतिदिन पूजा की जा सके और जहां साफ-सफाई और शुद्धता बनी रहे।
मूर्ति को कभी भी दक्षिण दिशा में मुख करके न रखें, और न ही बाथरूम या रसोई के सामने रखें। यदि आप घर के मंदिर में स्थापना कर रहे हैं तो मूर्ति के पीछे की दीवार साफ होनी चाहिए।
पूजा सामग्री समय रहते इकट्ठा कर लें ताकि पूजा के समय कोई कमी न रह जाए। गणपति जी की पूजा में नीचे दी गई सामग्रियाँ जरूरी मानी जाती हैं:
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
पूजा स्थल पर पूर्व दिशा की ओर चौकी रखें और उस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं।
अब एक थाली लें और उसमें चंदन या कुमकुम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं।
इस स्वास्तिक के ठीक ऊपर भगवान गणेश जी की मूर्ति को स्थापित करें।
मूर्ति के दाएं ओर जल से भरा तांबे या पीतल का कलश रखें और उस पर आम का पल्लव और नारियल रखें।
मूर्ति के दोनों ओर सुपारी रखें जो गणेश जी की पत्नी ‘रिद्धि-सिद्धि’ का प्रतीक मानी जाती है।
हाथ में अक्षत लेकर संकल्प करें “मैं श्रद्धा और विश्वास से गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना कर रही हूँ/ कर रहा हूं।
अब संकल्प के अक्षत को गणेश जी के चरणों में अर्पित करें।
फिर भगवान को फूल, दूर्वा, चंदन, हल्दी, इत्र, नारियल आदि अर्पित करें।
भोग स्वरूप मोदक या लड्डू अर्पित करें।
दीपक और धूप जलाकर आरती करें और गणेश मंत्रों का जाप करें।
विशेष
वास्तु शास्त्र के अनुसार, बाएं ओर झुकी सूंड वाली गणेश प्रतिमा को अत्यंत शुभ और सौभाग्यवर्धक माना गया है। यह सुख-शांति और समृद्धि का प्रतीक होती है।
दाएं ओर मुड़ी सूंड वाली मूर्ति भी पूजनीय होती है, लेकिन उसकी पूजा में विशेष नियमों और कठिन व्रतों का पालन करना होता है। इसलिए घर में स्थापित करने के लिए बाईं ओर सूंड वाली मूर्ति ही चुनें।
जब मूर्ति घर लाएं, तो उसे ढंककर लाएं और घर में प्रवेश करते समय ‘गणपति बप्पा मोरया’ के जयकारे लगाएं।
गणेश चतुर्थी की पूजा पूरी श्रद्धा और नियम से करनी चाहिए। इसलिए नीचे दी गई पूजा विधि को ध्यान से पढ़ें:
इस गणेश चतुर्थी 2025 पर घर में बप्पा को सादर आमंत्रित करें, विधिपूर्वक पूजा करें और पूरे परिवार के साथ दस दिनों तक भक्ति, प्रेम और उल्लास के साथ गणपति बप्पा का जन्मोउत्सव मनाएं। हम आशा करते हैं कि इस दिन आपकी विधि विधान से की गयी पूजा अर्चना सफल हो।
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