गणेश जी के प्रसिद्ध मंदिर
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गणेश जी के प्रसिद्ध मंदिर

क्या आप जानते हैं गणेश जी के कौन-कौन से मंदिर सबसे प्रसिद्ध हैं और क्यों? जानें उनके इतिहास, महत्व और दर्शनों की खासियत।

गणेश जी के मंदिर के बारे में

देश के विभिन्न हिस्सों में गणेश जी के असंख्य मंदिर हैं, जिनमें से कुछ अपनी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, अद्भुत स्थापत्य कला और धार्मिक महत्व के कारण विशेष पहचान रखते हैं। महाराष्ट्र को गणेश भक्ति का प्रमुख केंद्र माना जाता है, जहाँ अष्टविनायक यात्रा और कई अन्य मंदिर लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। इसके अलावा भारत के अन्य राज्यों में भी गणेश मंदिर अपनी विशेषताओं और मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। चलिए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।

महाराष्ट्र के प्रसिद्ध गणेश मंदिर

1. सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई

मुंबई के प्रभादेवी क्षेत्र में स्थित सिद्धिविनायक मंदिर देश के सबसे लोकप्रिय गणेश मंदिरों में से एक है। इसकी स्थापना 1801 में लखमसी वासजी और देउबाई पाटिल नामक दंपति ने की थी। मंदिर में स्थापित गणेश प्रतिमा काले पत्थर से बनी है और इसकी सूंड दाईं ओर मुड़ी हुई है, जो अत्यंत शुभ मानी जाती है। प्रतिमा के माथे पर तीसरा नेत्र अंकित है, जो इसे और भी विशिष्ट बनाता है। मंदिर सुबह 5:30 बजे खुलता है और रात 10:00 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है, जबकि मंगलवार को यहाँ विशेष भीड़ होती है।

2. दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर, पुणे

पुणे शहर के केंद्र में स्थित यह मंदिर 1893 में दगडूशेठ हलवाई नामक व्यापारी ने अपने पुत्र की मृत्यु के बाद बनवाया था। लगभग 7.5 फीट ऊँची और 4 फीट चौड़ी गणेश प्रतिमा सोने के आभूषणों से सुसज्जित है, जिनका वजन सैकड़ों किलो है। इस मंदिर से ही लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने सार्वजनिक गणेशोत्सव की परंपरा शुरू की थी, जो आज पूरे देश में लोकप्रिय है। मंदिर सुबह 6:00 बजे से रात 11:00 बजे तक खुला रहता है और गणेशोत्सव के समय यहाँ लाखों भक्त आते हैं।

3. अष्टविनायक गणेश मंदिर

अष्टविनायक यात्रा महाराष्ट्र के पुणे और रायगढ़ ज़िले में स्थित आठ पवित्र गणेश मंदिरों की श्रृंखला है। यह यात्रा मोरेगांव के मोरेश्वर मंदिर से शुरू होकर यहीं समाप्त होती है। अन्य सात मंदिरों में सिद्धटेक का सिद्धिविनायक, पाली का बल्लालेश्वर, महाड का वरदविनायक, थेनगाँव का चिंतामणि, लेण्याद्री का गिरिजात्मक, ओझर का विघ्नेश्वर और रांजणगाँव का महागणपति शामिल हैं। इनमें से लेण्याद्री का मंदिर एक पहाड़ी गुफा में स्थित है, जहाँ पहुँचने के लिए 307 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं।

4. बल्लालेश्वर गणपति, पाली (रायगढ़)

पाली का यह मंदिर अष्टविनायक मंदिरों में से एक है और विशेष बात यह है कि यह एकमात्र ऐसा गणेश मंदिर है जो अपने भक्त के नाम से प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि भक्त बल्लाल के कहने पर गणेश जी ने धरती पर रहना स्वीकार किया था, जिसके कारण यह स्थान बल्लालेश्वर गणपति के नाम से विख्यात हुआ। यह मंदिर रायगढ़ जिले के पाली गांव में, अंबा नदी और सुधागढ़ किले के प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा हुआ है। इस मंदिर में भगवान गणेश की 3 फीट ऊंची, पूर्वमुखी, स्वयंभू प्रतिमा पत्थर के सिंहासन पर विराजमान है। प्रतिमा की सूंड बाईं ओर मुड़ी हुई है और इसकी आंखों व नाभि में हीरे जड़े हुए हैं। अष्टविनायकों में यह एकमात्र मंदिर है जहां भगवान गणेश आम आदमी की तरह धोती-कुर्ता में विराजमान हैं। मान्यता है कि यहां भगवान ने अपने महान भक्त बल्लाल को एक ब्राह्मण के रूप में दर्शन दिए थे। भाद्रपद माह की शुक्ल प्रतिपदा से पंचमी तक यहां भव्य गणेश उत्सव मनाया जाता है।

5. लालबाग के राजा, मुंबई

मुंबई का लालबाग के राजा गणपति गणेशोत्सव का सबसे लोकप्रिय और भव्य माना जाता है। इसकी स्थापना 1934 में हुई थी और तब से हर वर्ष गणेश चतुर्थी पर लगभग 20 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाती है। लालबाग के राजा को कोली समुदाय के संरक्षक संत गणपति के नाम से भी जाना जाता है। शुरुआती वर्षों में प्रतिमा को अलग-अलग स्वरूपों में सजाया गया, जैसे सुभाष चंद्र बोस, पंडित नेहरू, महात्मा गांधी आदि, लेकिन 1948 के बाद से इसका स्वरूप स्थिर हो गया।

लालबाग के राजा की विसर्जन यात्रा पूरे महाराष्ट्र में प्रसिद्ध है। विसर्जन के दिन बैंड-बाजों, ढोल-नगाड़ों और हजारों भक्तों के साथ लालबाग से यात्रा निकलती है और गिरगांव चौपाटी तक पहुंचती है। मान्यता है कि यहां मांगी गई मनोकामना अवश्य पूरी होती है, इसी कारण प्रतिमा के दर्शन के लिए लाखों लोग घंटों लंबी कतार में खड़े रहते हैं।

भारत के अन्य राज्यों में स्थित प्रसिद्ध गणेश मंदिर

6. चिंतामन गणपति मंदिर, उज्जैन

चिंतामण गणेश मंदिर उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर से लगभग 6 किलोमीटर दूर, ग्राम जवास्या में स्थित है। मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करते ही भगवान गणेश की तीन अद्भुत मूर्तियां दिखाई देती हैं, चिंतामण, इच्छामण और सिद्धिविनायक। मान्यता है कि चिंतामण रूप चिंता और कष्टों का निवारण करते हैं, इच्छामण रूप भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं और सिद्धिविनायक रूप से सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। यह सभी मूर्तियां स्वयंभू मानी जाती हैं।

इतिहासकार इस मंदिर का निर्माण परमारकाल (9वीं से 13वीं शताब्दी) का मानते हैं। मंदिर के शिखर पर सिंह की आकृति विराजमान है। वर्तमान स्वरूप का जीर्णोद्धार रानी अहिल्याबाई होलकर के समय में हुआ था। पौराणिक मान्यता के अनुसार, यह मंदिर माता सीता द्वारा स्थापित षट्-विनायकों में से एक है। उज्जैन में एक अन्य प्रसिद्ध स्थल बड़ा गणेश मंदिर भी है, जहाँ लाल रंग के विशाल गणपति, अपनी पत्नियों रिद्धि और सिद्धि के साथ विराजमान हैं। इस मंदिर में पंचमुखी हनुमान की भी स्थापना है।

7. खजराना गणेश मंदिर, इंदौर

मध्यप्रदेश में उज्जैन के चिंतामण गणपति की तरह, इंदौर का खजराना गणेश मंदिर भी अत्यंत प्रसिद्ध है। यहाँ वक्रतुंड श्रीगणेश की तीन फीट ऊँची मूर्ति रिद्धि-सिद्धि के साथ विराजमान है, जो चांदी के मुकुट से अलंकृत है। कथा के अनुसार, यह मूर्ति पहले एक बावड़ी में छिपी हुई थी। मंदिर के पुजारी भट्टजी के पूर्वजों को स्वप्न में इस मूर्ति के बावड़ी में होने का संकेत मिला। स्वप्न के अनुसार, मूर्ति को बाहर निकालकर यहाँ स्थापित किया गया। प्रारंभ में मंदिर का आकार छोटा था, लेकिन 1735 में रानी अहिल्याबाई होलकर ने इसका पहला जीर्णोद्धार करवाया। इसके बाद 1971 से मंदिर की सज्जा और विकास का कार्य निरंतर जारी है।

8. उच्ची पिल्लयार मंदिर, तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडु)

तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली (त्रिची) में रॉक फोर्ट नामक पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित यह मंदिर गणेश भक्तों के लिए ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि रावण के भाई विभीषण को भगवान राम ने विष्णु की एक मूर्ति दी थी, जिसे लंका ले जाते समय भूमि पर रखने की मनाही थी। देवताओं की इच्छा थी कि यह मूर्ति लंका न पहुँचे, इसलिए गणेशजी बालक के रूप में विभीषण के पीछे हो लिए।

जब विभीषण स्नान के लिए रुके, तो उन्होंने मूर्ति उस बालक को थमा दी। गणेशजी ने मूर्ति भूमि पर रख दी, जिससे वह यहीं स्थिर हो गई। विभीषण क्रोधित होकर बालक का पीछा करते हुए पहाड़ी पर पहुँचे और उसके सिर पर प्रहार किया। तभी गणेशजी ने अपना वास्तविक स्वरूप प्रकट किया। पश्चाताप करते हुए विभीषण ने क्षमा मांगी और तभी से गणेशजी यहाँ उच्ची पिल्लयार के रूप में विराजमान हैं। यह मंदिर लगभग 7वीं शताब्दी का माना जाता है और 273 फुट ऊँचाई पर स्थित है, जहाँ पहुँचने के लिए लगभग 400 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।

9. कनिपकम विनायक मंदिर, चित्तूर (आंध्रप्रदेश)

ये मंदिर आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में, तिरुपति से लगभग 75 किलोमीटर दूर स्थित है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित पवित्र कुंड में स्नान करते हैं। मान्यता है इससे उनके सभी पाप धुल जाते हैं।

10. मनकुला विनायगर मंदिर, पुडुचेरी

पुडुचेरी का यह मंदिर भारत के सबसे प्राचीन गणेश मंदिरों में गिना जाता है। मान्यता है कि यहाँ गणेशजी की प्रतिमा को कई बार समुद्र में विसर्जित किया गया, लेकिन वह हर बार उसी स्थान पर पुनः प्रकट हो जाती थी। यह चमत्कार भक्तों की आस्था का केंद्र बन गया। लगभग 1600 वर्ष पुराने इस मंदिर का पुनर्निर्माण फ्रांसीसी शासनकाल में कराया गया था।

11. मधुर महागणपति मंदिर, केरल

मधुवाहिनी नदी के किनारे बसा यह मंदिर 10वीं शताब्दी का माना जाता है। यहाँ विराजमान गणेशजी की प्रतिमा न तो पत्थर की है और न ही मिट्टी की, इसका तत्व आज तक रहस्य बना हुआ है। कहा जाता है कि एक समय टीपू सुल्तान इसे नष्ट करने आया था, लेकिन यहाँ की किसी अलौकिक शक्ति से प्रभावित होकर उसने अपना विचार बदल दिया।

किंवदंती है कि यह मंदिर पहले भगवान शिव का था, लेकिन एक दिन मंदिर के पुजारी के छोटे पुत्र ने खेलते-खेलते गर्भगृह की दीवार पर गणेशजी की आकृति उकेरी, जो समय के साथ बढ़ती गई और अंततः यहाँ गणेशजी का स्थायी स्वरूप बन गया। तभी से यह मंदिर विशेष रूप से गणेश भक्तों के लिए पूजनीय है।

12. डोडा गणपति मंदिर, बेंगलुरु

कर्नाटक के बेंगलुरु के डोड्डा बसवन्ना गुड़ी क्षेत्र में स्थित डोडा गणपति मंदिर अपनी विशाल गणेश प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ प्रतिवर्ष गणेश उत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है और दूर-दूर से भक्त दर्शन के लिए आते हैं।

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Published by Sri Mandir·August 20, 2025

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