गणेश चतुर्थी दिल्ली 2025
image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

गणेश चतुर्थी दिल्ली 2025

गणेश चतुर्थी का महत्व दिल्ली 2025 दिल्ली में गणपति बप्पा की स्थापना, पूजा विधि, प्रमुख पंडाल, विसर्जन स्थल और भक्तों की आस्था से जुड़े धार्मिक-सांस्कृतिक महत्व के बारे में जानें।

गणेश चतुर्थी दिल्ली के बारे में

गणपति बप्पा के जयकारों से गूंजने वाला है चारों ओर का माहौल, क्योंकि शुरू होने जा रहा है 10 दिनों का भव्य गणेश महोत्सव। ऐसे में हर कोई चाहता है कि प्रथम पूजनीय गणेश जी को घर लाएं, मगर तैयारी और स्थापना की सही विधि न जानने के कारण असमंजस में पड़ जाता है। तो अब चिंता छोड़ें क्योंकि इस लेख में आपको मिलेंगे सारे सवालों के पूरे जवाब।

गणेश चतुर्थी का महत्व दिल्ली

गणेश चतुर्थी भारत के सबसे लोकप्रिय और उल्लासपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है। भक्तगण गणपति बप्पा को विघ्नहर्ता और बुद्धि, समृद्धि व सौभाग्य के देवता के रूप में पूजते हैं। दस दिनों तक चलने वाला यह उत्सव भक्ति, परंपरा, कला और सामूहिक भागीदारी का जीवंत उदाहरण है। वैसे तो महाराष्ट्र में इसका विशेष महत्त्व है, लेकिन आज दिल्ली जैसे महानगर में भी यह पर्व बड़े श्रद्धा भाव और धूमधाम से मनाया जाता है।

दिल्ली की बात करें तो यहां गणेश चतुर्थी का उत्सव अब एक विशाल सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजन का रूप ले चुका है। राजधानी में कई स्थानों पर बड़े-बड़े भव्य पंडाल लगाए जाते हैं, जिनमें बुराड़ी और अन्य कई स्थानों पर पंडाल को सजाया जाता है जोकि विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। इसे देखने के लिए दिल्ली ही नहीं, बल्कि आस-पास के राज्यों से भी हजारों लोग पहुंचते हैं। इसकी तुलना मुंबई के प्रसिद्ध लालबागचा राजा से की जाती है। यहां भव्य झांकियां, सुंदर मूर्तियां, रंगा-रंग कार्यक्रम, आरती और प्रसाद वितरण जैसी गतिविधियां लोगों को जोड़ती हैं। दिल्ली के मंदिरों, कॉलोनियों और समाजिक संस्थाओं द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में धार्मिकता के साथ-साथ सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी होती हैं, जिससे यह उत्सव एक व्यापक समुदायिक मिलन का अवसर बन जाता है।

गणेश चतुर्थी की तैयारी कैसे करें?

इस अवसर को शुद्धता और विधि-विधान के साथ मनाने के लिए समय से तैयारी करना बेहद जरूरी है। यहां गणेश चतुर्थी की तैयारी के कुछ महत्वपूर्ण चरण दिए गए हैं जो आपके लिए हो सकते हैं बहुत काम वाले तो जानें।

  • घर की साफ-सफाई: गणेश चतुर्थी की तैयारी में सबसे जरूर होती है पूरे घर की साफ-सफाई। विशेष रूप से पूजा स्थल की अच्छे से सफाई करें। यह स्थान पूरी तरह स्वच्छ और पवित्र होना चाहिए।

  • पूजा स्थान की सजावट: फूल, तोरण, रंगोली और लाइट्स से पूजा स्थल को आकर्षक बनाएं ताकि वातावरण भक्तिमय हो जाए औऱ देखने में अच्छा लगे।

  • पूजा सामग्री: मोदक, लड्डू, दूर्वा, फूल, चंदन, रोली, अक्षत, धूप, दीपक, कपूर और आरती की थाली जैसी सामग्री पहले से तैयार रखें। इसके अलावा औऱ जो भी सामग्री हो उनको भी रख लें।

  • गणेश आगमन की रस्में: मूर्ति लाने से पहले जो भी रस्में होती हैं उन बातों का भी ध्यान जरूर रखना चाहिए।

  • भोग और प्रसाद की तैयारी: गणेश चतुर्थी पर सबसे अहम होता है भोग। ऐसे में इसकी तैयारी करें। भोग के लिए खासतौर पर मोदक और लड्डू बनाए जाते हैं। इन्हें पहले से तैयार रखें ताकि स्थापना के दिन भव्य भोग अर्पित किया जा सके।

  • अपनों को भी लें साथ में: परिवार की सहभागिता से गणेश चतुर्थी का उत्सव और भी खास बनता है। सभी सदस्य पूजा, सजावट और तैयारी में मिलकर भाग लें, जिससे घर में खुशी और एकता का माहौल बने। साथ ही, मंगल गीत, सांस्कृतिक कार्यक्रम और नृत्य जैसी गतिविधियों की तैयारी कर उत्सव को और रोचक बनाया जा सकता है।

वहीं, अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग तरीके से तैयारियां रिति-रिवाजों के हिसाब से भी की जाती है, जिनकी जानकारी लेकर भी आप इनकी तैयारी कर सकते हैं।

गणेश स्थापना विधि कैसे करें

ऐसी मान्यता है कि गणपति बाप्पा को विधिविधान से स्थापित करने से जीवन के समस्त कष्ट, विघ्न और दरिद्रता दूर होती है। साथ ही रिद्धि-सिद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है, लेकिन इससे पूर्व इसकी स्थापना कैसे करना चाहिए औऱ क्या है विधि इसको जरूर जानना चाहिए तो यदि आप अपने घर में श्रीगणेश की स्थापना करना चाहते हैं तो जानें विधि।

  • स्नान और वस्त्र: स्थापना से पहले स्नान करके साफ वस्त्र पहनें। पुरुष धोती और महिलाएं साड़ी या सूती वस्त्र पहन सकती हैं।

  • शुभ मुहूर्त का ध्यान: गणेश जी की स्थापना जब भी करें तो शुभ मुहूर्त का ध्यान जरूर रखें। इसके लिए किसी विशेषज्ञ या पंडित से सलाह भी ले सकते हैं।

  • दिशा का ध्यान: गणेश जी की मूर्ति को स्थापित करने के लिए उत्तर-पूर्व दिशा सबसे शुभ मानी जाती है।

  • मूर्ति स्थापना: लकड़ी के पाटे पर लाल वस्त्र बिछाएं और उस पर मूर्ति को गेहूं, चावल या मूंग के ऊपर स्थापित करें। गणेश जी की मूर्ति के दोनों ओर एक-एक सुपारी, कलश आदि को रखेों।

  • विधिवत करें पूजन: गणपति को पुष्प, अक्षत, दूर्वा, दीप और उनके प्रिय भोग जैसे मोदक अर्पित करें। इसके बाीद धूप-दीप आदि प्रज्वल्लित करें। फिर गणेश चालीसा का पाठ करें। इसके अलावा कथा पाठ भी कर सकते हैं।

  • आरती और प्रसाद वितरण: चालीसा या पाठ के बाद आरती और ॐ गं गणपतये नमः जैसे मंत्रों का जाप करें। पूजा के बाद परिवारजनों व पड़ोसियों को प्रसाद बांटें। अंत में भगवान से क्षमा याचना करें और उनसे अपने जीवन में मंगल मय होने की कामना करें।

divider
Published by Sri Mandir·August 20, 2025

Did you like this article?

srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

हमारा पता

फर्स्टप्रिंसिपल ऐप्सफॉरभारत प्रा. लि. 435, 1st फ्लोर 17वीं क्रॉस, 19वीं मेन रोड, एक्सिस बैंक के ऊपर, सेक्टर 4, एचएसआर लेआउट, बेंगलुरु, कर्नाटका 560102
YoutubeInstagramLinkedinWhatsappTwitterFacebook