गणेश चतुर्थी चेन्नई 2025 जानें चेन्नई में गणपति बप्पा की स्थापना, पूजा विधि, प्रसिद्ध पंडाल, विसर्जन स्थल, सांस्कृतिक झलक और पर्यावरण जागरूक उत्सव की विशेषताएँ।
गणेश चतुर्थी चेन्नई में बड़े भक्तिभाव और उत्साह के साथ मनाई जाती है, जहाँ घरों और पंडालों में भगवान गणेश की आकर्षक प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं। त्योहार के दौरान शहर में पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रहती है, जो माहौल को और भी पावन बना देती है। इस लेख में जानिए चेन्नई में गणेश चतुर्थी का महत्व, उत्सव की खास झलकियां और इससे जुड़ी परंपराएं।
गणेश चतुर्थी पर्व हर साल भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है और महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों में विशेष आयोजन किया जाता है। गणपति बप्पा को विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता माना जाता है। इस पर्व का उद्देश्य घर और समाज से सभी बाधाओं को दूर करना और समृद्धि का स्वागत करना होता है। भले ही महाराष्ट्र में इसकी सबसे अधिक लोकप्रियता हो, लेकिन चेन्नई (तमिलनाडु) में भी यह पर्व बहुत ही श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
चेन्नई जैसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और विविध शहर में गणेश चतुर्थी ने सालों से एक खास जगह बना ली है। यह सिर्फ धार्मिक आस्था का पर्व नहीं, बल्कि अलग-अलग समुदायों को जोड़ने वाला बड़ा उत्सव है।
सांस्कृतिक एकता: चेन्नई में मराठी, तेलुगु, कन्नड़, गुजराती और उत्तर भारतीय समुदाय बड़ी संख्या में रहते हैं। इन सभी की सक्रिय भागीदारी से यह त्योहार बेहद भव्य और रंगीन तरीके से मनाया जाता है।
प्रसिद्ध पंडाल: Mylapore, T. Nagar, Besant Nagar और Velachery जैसे इलाकों में हर साल बड़े गणेश पंडाल लगाए जाते हैं। यहां सुंदर और भव्य मूर्तियाँ स्थापित होती हैं, साथ ही संगीत, नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
पर्यावरण को लेकर जागरूकता: हाल के वर्षों में चेन्नई में इको-फ्रेंडली मूर्तियों का चलन तेजी से बढ़ा है। कुम्हार अब मिट्टी और प्राकृतिक रंगों से मूर्तियाँ बनाते हैं, जिससे पर्यावरण सुरक्षित रहता है और पानी प्रदूषित नहीं होता।
सर्वप्रथम गणेश प्रतिमा का चयन किया जाता है। चेन्नई में Villivakkam, Mylapore, T. Nagar जैसे क्षेत्रों में सुंदर, पारंपरिक और इको-फ्रेंडली मूर्तियाँ मिलती हैं। वहीं मूर्ति लाने से पहले घर की सफाई करना विशेष महत्वपूर्ण है।
घर में उत्तर-पूर्व दिशा को प्राथमिकता देते हुए पूजा स्थल तय किया जाता है। पूजा स्थल को केले के पत्तों, फूलों की माला, रंगोली और दीपक से सजाया जाता है।
पूजा के लिए आवश्यक सामग्री में दूर्वा (21 पत्तियां), शुद्ध जल, फल, मोदक, नारियल, सुपारी, लाल फूल, अगरबत्ती, दीपक और पंचामृत आदि शामिल होते हैं।
मोदक को गणेश जी का सबसे प्रिय भोग माना जाता है। चेन्नई के कई घरों में पारंपरिक दक्षिण भारतीय व्यंजन जैसे कोझुकट्टई (जो मोदक जैसा एक व्यंजन है), सुंडल, पायसम और वड़ा भी प्रसाद के रूप में बनाए जाते हैं।
गणपति की स्थापना और पूजा की विधि शास्त्रों के अनुसार अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। नीचे दी गई प्रक्रिया चेन्नई सहित सभी जगहों पर अपनाई जा सकती है:
1. गणेश चतुर्थी की तिथि और मुहूर्त
वर्ष 2025 में गणेश चतुर्थी बुधवार, 27 अगस्त को मनाई जाएगी।
मध्याह्न गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 10:43 बजे से दोपहर 1:16 बजे तक।
इसी समय पूजा और मूर्ति स्थापना करना सबसे शुभ माना जाता है।
2. पूजा स्थल की तैयारी और कलश स्थापना
सबसे पहले पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
शुद्ध स्थान पर कलश स्थापना करें।
कलश के पास लाल कपड़े पर भगवान गणेश जी की मूर्ति विराजमान करें।
3. संकल्प और आवाहन
पूजा करने वाला व्यक्ति हाथ में जल लेकर संकल्प करे।
“ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान गणेश जी का आवाहन करें।
इसके बाद मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करें।
4. पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा
भगवान गणेश जी को स्नान, वस्त्र, आभूषण, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
विशेष रूप से 21 दूर्वा पत्तियाँ, 21 मोदक और 21 लाल फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
5. आरती और भजन
पूजा के अंत में गणपति जी की आरती करें और भजन गाएँ।
पूरे 10 दिनों तक सुबह-शाम आरती, भजन और प्रसाद का आयोजन करें।
ये थी चेन्नई में गणेश चतुर्थी के महत्व व गणेश स्थापना विधि से जुड़ी जानकारी। हमारी कामना है कि आपकी पूजा अर्चना सफल हो, और मंगलमूर्ति भगवान गणेश सदा आपका मंगल करें।
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