पौष पूर्णिमा कब है
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पौष पूर्णिमा कब है

क्या आप जानते हैं पौष पूर्णिमा 2026 कब है? जानिए इस शुभ तिथि की पूजा विधि, मुहूर्त, महत्व और स्नान-दान से जुड़ी पूरी जानकारी – सब कुछ एक ही जगह!

पौष पूर्णिमा के बारे में

पौष पूर्णिमा हिंदू पंचांग के पौष मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व होता है। भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और पूर्णिमा का व्रत रखकर पुण्य प्राप्त करते हैं।

पौष पूर्णिमा

पौष पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार पौष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। यह दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन स्नान, दान और पूजा का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह माना जाता है कि पौष पूर्णिमा के दिन किए गए पुण्य कर्म अनेक गुना फल प्रदान करते हैं।

यह पूर्णिमा शरद ऋतु की अंतिम पूर्णिमा मानी जाती है और इसके बाद माघ मास का शुभारंभ होता है। श्रद्धालु इस दिन पवित्र नदियों जैसे गंगा, यमुना या अन्य तीर्थ स्थलों में स्नान कर सूर्य देव और भगवान विष्णु की आराधना करते हैं। माना जाता है कि इस दिन किया गया स्नान, ध्यान और दान पापों का नाश कर मन, शरीर और आत्मा को पवित्र बनाता है।

पौष पूर्णिमा व्रत कब है ?

पौष पूर्णिमा व्रत वर्ष 2026 में शनिवार, 3 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन शुक्ल पूर्णिमा का शुभ योग रहेगा। इस तिथि पर श्रद्धालु पौष पूर्णिमा का व्रत रखकर स्नान, दान और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।

  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 2 जनवरी 2026, शाम 6:53 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 3 जनवरी 2026, दोपहर 3:32 बजे
  • चंद्रोदय का समय: शाम 5:28 बजे

पौष पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

हिन्दू धर्म में पौष पूर्णिमा का अत्यंत पवित्र और धार्मिक महत्व माना गया है। स्कंद पुराण के अनुसार, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उन्हें जाने-अनजाने पापों से मुक्ति मिलती है। यह दिन आत्मिक शुद्धि, पुण्य और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। पौष पूर्णिमा की शाम को चंद्रोदय के बाद चंद्र देव को अर्घ्य देना और उनके दर्शन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसा करने से मन में शांति और विचारों में सकारात्मकता आती है।

इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व बताया गया है। श्रद्धालु जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, जूते-चप्पल, धन या शिक्षा से जुड़ी वस्तुएं दान करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि पौष पूर्णिमा पर किया गया दान सामान्य दिनों की अपेक्षा कई गुना अधिक फलदायी होता है। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त इस दिन व्रत रखकर माँ लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उनके घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती। एक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु का अवतार भी इसी दिन हुआ था, इसलिए इस दिन उनकी विशेष पूजा की जाती है।

पौष पूर्णिमा स्नान और दान विधि

स्नान विधि

  • पौष पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठें।
  • यदि संभव हो तो पवित्र नदी (जैसे गंगा, यमुना) में स्नान करें।
  • घर पर स्नान करते समय सामान्य जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करना शुभ होता है।
  • स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और “ॐ घृणिः सूर्याय नमः” मंत्र का जप करें।

पूजा और भोग अर्पित करना

  • पूजा स्थल पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
  • धूप, दीप, पुष्प, तुलसी पत्र और नैवेद्य अर्पित करें।
  • भगवान विष्णु को केला और पंजीरी का भोग लगाएं।

दान विधि

  • पौष पूर्णिमा का दिन दान और पुण्य का विशेष दिन माना जाता है।
  • जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, जूते-चप्पल, धन या शिक्षा से जुड़ी चीजें दान करें।
  • दान करने से व्यक्ति को पुण्यफल, मानसिक शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

संध्या और कथा आयोजन

  • शाम के समय अपने समक्ष जल से भरा कलश रखें और पुनः पूजा करें।
  • सत्यनारायण कथा का आयोजन करें और परिवार और पड़ोसियों को आमंत्रित करें।
  • कथा के बाद प्रसाद बांटें और दान-दक्षिणा दें।

पौष पूर्णिमा व्रत विधि

  • पौष पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करें।
  • यदि संभव हो तो पवित्र नदियों जैसे गंगा या यमुना में स्नान करें।
  • घर पर स्नान करते समय जल में गंगाजल मिलाना शुभ माना जाता है।
  • स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और “ॐ घृणिः सूर्याय नमः” मंत्र का जप करें।
  • एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और उस पर भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की प्रतिमाएं या चित्र स्थापित करें।
  • पूजा में धूप, दीप, पुष्प, नैवेद्य, तुलसी पत्र और पंचामृत अर्पित करें। भगवान विष्णु को केला और पंजीरी का भोग लगाएं।
  • दिनभर भक्ति और श्रद्धा के साथ व्रत रखें। मन, वचन और कर्म से पवित्रता बनाए रखें।
  • शाम को अपने समक्ष जल से भरा कलश रखें और पुनः भगवान विष्णु की पूजा करें।
  • सत्यनारायण भगवान की कथा सुनना या करवाना अत्यंत शुभ माना जाता है। परिवार और पड़ोसियों को कथा में आमंत्रित करें।
  • पूजा और कथा के बाद प्रसाद बांटें और गरीबों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करें।
  • इस व्रत को श्रद्धा से करने पर व्यक्ति को पुण्य, समृद्धि, शांति और ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • पौष पूर्णिमा के दिन व्रत और पूजा का विशेष महत्व होता है।

FAQs

पौष मास की पूर्णिमा कब है?

पौष पूर्णिमा शनिवार, 3 जनवरी 2026 को है।

पौष पूर्णिमा में क्या करना चाहिए?

सूर्योदय से पहले स्नान करें, सूर्य देव को अर्घ्य दें, विष्णु-लक्ष्मी की पूजा करें, सत्यनारायण कथा सुनें और दान करें।

पौष पूर्णिमा के दिन स्नान का शुभ मुहूर्त क्या है?

ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:00 से 6:00 बजे तक) स्नान सबसे शुभ होता है।

पौष पूर्णिमा का मंत्र क्या है?

सूर्य मंत्र- "ॐ घृणिः सूर्याय नमः" विष्णु मंत्र- "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" चंद्र मंत्र- "ॐ सोमाय नमः"

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Published by Sri Mandir·November 10, 2025

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