
क्या आप जानते हैं मासिक कार्तिगई 2026 कब है? यहां जानिए तिथि, पूजा विधि, व्रत नियम, शुभ मुहूर्त और भगवान कार्तिकेय की आराधना से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण धार्मिक परंपराओं की संपूर्ण जानकारी — एक ही स्थान पर!
हर महीने कार्तिगई मास में भगवान कार्तिकेय की उपासना विशेष फलदायी मानी जाती है। यह दिन विशेष रूप से शक्ति, साहस और बुद्धि बढ़ाने वाला होता है। इस दिन व्रत, दीप प्रज्वलन और पूजा से मानसिक शांति और पारिवारिक समृद्धि मिलती है। श्रद्धालु इस दिन को उत्साह और भक्ति के साथ मनाते हैं।
मासिक कार्तिगाई एक मासिक त्यौहार है जिसे मुख्य रूप से तमिल हिन्दुओं द्वारा काफी हर्षोल्लास से मनाया जाता है। मासिक कार्तिगाई को दीपम कार्तिगाई के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिगाई दीपम का नाम कार्तिगाई या कृत्तिका नक्षत्र से लिया गया हैं। जिस दिन कृत्तिका नक्षत्र प्रबल होता है उस दिन कार्तिगाई दीपम मनाया जाता है। मासिक कार्तिगई का पर्व भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र, युद्ध और साहस के देवता, भगवान मुरुगन (जिन्हें कार्तिकेय, सुब्रह्मण्यम और षण्मुख भी कहा जाता है) को समर्पित है।
मासिक कार्तिगई हर महीने उस दिन मनाई जाती है, जब चंद्रमा कृत्तिका नक्षत्र में प्रवेश करता है। यह नक्षत्र भगवान कार्तिकेय का जन्म नक्षत्र माना जाता है।
मासिक कार्तिगई: प्रत्येक चंद्र मास में कृत्तिका नक्षत्र के दिन। सबसे प्रमुख कार्तिगई: तमिल कैलेंडर के अनुसार जब यह पर्व ‘कार्तिगई’ महीने (जो आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार नवंबर-दिसंबर में आता है) में कृत्तिका नक्षत्र के साथ पूर्णिमा के आसपास मनाया जाता है, तब इसे ‘कार्तिगई दीपम’ कहा जाता है। यह सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण कार्तिगई उत्सव होता है।
माह | तिथि | दिन |
जनवरी 2026 | 27 जनवरी | मंगलवार |
फरवरी 2026 | 23 फरवरी | सोमवार |
मार्च 2026 | 23 मार्च | सोमवार |
अप्रैल 2026 | 19 अप्रैल | रविवार |
मई 2026 | 16 मई | शनिवार |
जून 2026 | 13 जून | शनिवार |
जुलाई 2026 | 10 जुलाई | शुक्रवार |
अगस्त 2026 | 7 अगस्त | शुक्रवार |
सितम्बर 2026 | 3 सितम्बर | गुरूवार |
सितम्बर 2026 (दूसरी तिथि) | 30 सितम्बर | बुधवार |
अक्टूबर 2026 | 27 अक्टूबर | मंगलवार |
नवम्बर 2026 | 24 नवम्बर | मंगलवार |
दिसम्बर 2026 | 21 दिसम्बर | सोमवार |
यह पर्व भगवान मुरुगन और प्रकाश (दीपम) के महत्व को दर्शाता है:
भगवान मुरुगन का जन्म: पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कार्तिकेय (षण्मुख) का जन्म भगवान शिव के तीसरे नेत्र से निकले तेज से हुआ था, जिसकी देखरेख छह कृत्तिका देवियों ने की थी। यह दिन उन्हीं कृत्तिका देवियों के प्रति आभार व्यक्त करने का भी है। प्रकाश का प्रतीक: यह पर्व अग्नि या प्रकाश के रूप में भगवान शिव की पूजा का भी प्रतीक है। मान्यता है कि भगवान शिव इस दिन स्वयं को अग्नि स्तंभ (तेजोमय लिंग) के रूप में प्रकट करते हैं। बुराई पर विजय: भगवान मुरुगन ने इसी नक्षत्र के प्रभाव से असुरों पर विजय प्राप्त की थी। इसलिए यह व्रत आंतरिक और बाहरी शत्रुओं पर विजय दिलाता है।
मासिक कार्तिगई के दिन भगवान मुरुगन की पूजा निम्नलिखित विधि से की जाती है:
स्नान और शुद्धिकरण: सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। संकल्प: पूजा के स्थान को साफ करें और भगवान मुरुगन की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। हाथ में जल लेकर व्रत (उपवास) और पूजा का संकल्प लें। पूजन सामग्री: भगवान को पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, शक्कर), चंदन, कुमकुम, हल्दी, फूल (विशेषकर लाल रंग के) और मोर पंख अर्पित करें। भोग: भगवान मुरुगन को विशेष रूप से गुड़ से बने पोंगल या खीर का भोग लगाया जाता है। मंत्र जाप: इस दिन ‘ॐ शरवणभवाय नमः’ या ‘कंद षष्ठी कवचम्’ का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। उपवास: भक्त अपनी क्षमतानुसार दिन भर उपवास रखते हैं, जिसमें केवल फल या दूध का सेवन किया जा सकता है। शाम को आरती के बाद प्रसाद ग्रहण करके व्रत का पारण किया जाता है।
कार्तिगई दीपम, जो कार्तिगई महीने में मनाया जाता है, प्रकाश का उत्सव है:
दीप प्रज्वलन: इस दिन घरों, मंदिरों और गलियों में मिट्टी के दीयों की कतारें लगाई जाती हैं और उन्हें सूर्यास्त के बाद जलाया जाता है। यह परंपरा अज्ञान के अंधकार को दूर कर ज्ञान के प्रकाश को फैलाने का प्रतीक है। तिरुवन्नामलाई का विशेष महत्व: तमिलनाडु में तिरुवन्नामलाई स्थित अरुणाचलेश्वर मंदिर में इस दिन एक विशाल पर्वत पर महादीपम (बड़ा दीया) जलाया जाता है, जिसे देखने के लिए लाखों भक्त एकत्रित होते हैं। यह महादीपम भगवान शिव के तेजोमय स्वरूप का प्रतिनिधित्व करता है।
मासिक कार्तिगई का व्रत और पूजा करने से भक्तों को ये प्रमुख लाभ प्राप्त होते हैं:
शत्रुओं पर विजय: भगवान मुरुगन साहस और शक्ति प्रदान करते हैं, जिससे भक्त अपने सभी शत्रुओं (विरोधी और नकारात्मकता) पर विजय प्राप्त करते हैं। संतान सुख: यह व्रत विशेष रूप से उन दंपत्तियों के लिए फलदायी है, जो योग्य और तेजस्वी संतान की कामना करते हैं। उत्तम स्वास्थ्य: यह पूजा भक्तों को रोगों से मुक्ति दिलाती है और दीर्घायु का आशीर्वाद देती है। धन और समृद्धि: भगवान मुरुगन की कृपा से जीवन में सुख, शांति और भौतिक समृद्धि आती है। ज्ञान और बुद्धि: कृत्तिका नक्षत्र के देवता की पूजा करने से ज्ञान, विवेक और निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है।
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