image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

लोहड़ी कब है

क्या आप जानते हैं लोहड़ी 2026 कब है? जानिए इस फसल उत्सव की तिथि, पूजा विधि, महत्व और इसे मनाने की पारंपरिक विधि से जुड़ी पूरी जानकारी – सब कुछ एक ही जगह!

लोहड़ी के बारे में

नए साल की शुरुआत में मनाया जाने वाला पहला प्रमुख त्योहार होता है लोहड़ी जोकि भारत का एक प्रसिद्ध पर्व है, जिसे खासतौर पर पंजाबी और सिख समुदाय बड़े उत्साह से मनाते हैं। हिन्दू धर्म के लोग भी इसे हर्षोल्लास से मनाते हैं। यह पर्व हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है। लोहड़ी के बारे में और अधिक जानकारी के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें।

2026 में कब है लोहड़ी

लोहड़ी हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाई जाती है। यह नए साल का पहला बड़ा पर्व होता है, जो खासकर उत्तर भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। 2026 में लोहड़ी 13 जनवरी को मनाई जाएगी। यह पर्व ठंडी सर्दियों में अपनी गर्माहट और ऊर्जा से एक नई स्फूर्ति लेकर आता है। पंजाब का यह प्रमुख पर्व अब दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर समेत देश के अन्य हिस्सों में भी लोकप्रिय हो गया है। लोहड़ी के दिन लोग अलाव जलाकर उसके चारों ओर पारंपरिक गीत गाते हैं और गुड़, तिल, मूंगफली आदि अर्पित करते हैं। यह पर्व विशेष रूप से नई फसल के स्वागत और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर भी होता है

महत्व

जानकारी के अनुसार, लोहड़ी शब्द की उत्पत्ति तीन प्रमुख तत्वों से जुड़ी मानी जाती है 'ल' का अर्थ है लकड़ी, 'ओह' से तात्पर्य है उपले (गोबर से बने ईंधन), और 'ड़ी' का संकेत रबड़ी (एक पारंपरिक मिठाई) की ओर होता है। ये तीनों ही चीज़ें लोहड़ी पर्व के मुख्य प्रतीक और अनुष्ठानों का अहम हिस्सा मानी जाती हैं। यह पर्व उत्तर भारत, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है, जो सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पर्व हर साल हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष महीने के अंतिम दिन और माघ महीने की शुरुआत के समय आता है। लोहड़ी मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर मनाई जाती है और यह शरद ऋतु के अंत तथा बसंत ऋतु के आगमन का संकेत देती है। इस समय से रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं।

इसके अलावा लोहड़ी का संबंध कृषि और फसलों से भी है। इसे रबी की फसल की कटाई की खुशी में मनाया जाता है। विशेष रूप से किसान इस दिन को प्रकृति, सूर्य देव और अग्नि देव के प्रति आभार प्रकट करने के रूप में मानते हैं। लोहड़ी की रात को लोग अलाव जलाते हैं और उसके चारों ओर नाचते-गाते हैं। अलाव में गुड़, तिल, मूंगफली, रेवड़ी, गजक आदि अर्पित करते हैं और इन्हें परिवार, दोस्तों तथा पड़ोसियों में बांटते हैं। लोहड़ी के दिन नवविवाहित जोड़ों और नवजात शिशुओं को विशेष रूप से आशीर्वाद दिया जाता है, ताकि उनके जीवन की शुरुआत शुभता और समृद्धि के साथ हो।

कैसे मनाते हैं लोहड़ी?

लोहड़ी पंजाब और हरियाणा का एक प्रमुख और लोकप्रिय त्योहार है, जो अब देश के अन्य हिस्सों में भी बड़े उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने लगा है। यह पर्व किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह फसल की सफलता और आने वाली खुशहाली के लिए ईश्वर को धन्यवाद देने का अवसर होता है। लोहड़ी मनाने के मुख्य तरीकों और रीति-रिवाजों को इस प्रकार समझा जा सकता है:

फसल की खेती के प्रति आभार: लोहड़ी के दिन किसान अपने खेतों की फसल के लिए भगवान का धन्यवाद करते हैं और बेहतर उत्पादन की कामना करते हैं

पतंगबाजी का आनंद: पंजाब के कई इलाकों में इस दिन पतंग उड़ाने का रिवाज भी है, जो त्योहार को और भी रंगीन बनाता है।

बच्चों की भागीदारी: बच्चे घर-घर जाकर लोहड़ी के लोकगीत गाते हैं और लोगों से मिठाइयां, पैसे या गुड़-मूंगफली लेते हैं। माना जाता है कि बच्चों को खाली हाथ लौटाना शुभ नहीं होता, इसलिए उन्हें उपहार देना जरूरी होता है।

अग्नि पूजा और परिक्रमा: शाम को सभी परिवार और रिश्तेदार मिलकर आग जलाते हैं। इस अग्नि में गुड़, तिल, मूंगफली, मक्का, रेवड़ी आदि डालकर उसे पूजते हैं और फिर बांटते हैं।

संगीत और नृत्य: लोहड़ी के अवसर पर पारंपरिक गीत जैसे "सुंदर मुंदरिए हो" गाए जाते हैं, और ढोल-नगाड़े की थाप पर नृत्य किया जाता है, जिससे माहौल अत्यंत जीवंत और आनंदमय हो जाता है। इसके अलावा सरसों का साग, मक्के की रोटी और खीर आदि व्यंजन बनाकर परिवार के साथ लोहड़ी का आनंद लिया जाता है। लोहड़ी का यह उत्सव सामाजिक एकता, खुशी और कृषि समृद्धि का प्रतीक है, जो हर साल नई उमंग और उम्मीद लेकर आता है।

FAQs

13 या 14 जनवरी को लोहड़ी क्यों मनाई जाती है?

लोहड़ी 13 या 14 जनवरी को इसलिए मनाई जाती है क्योंकि यह मकर संक्रांति की पूर्व संध्या होती है, जब सूर्य अपनी उत्तरायण गति प्रारंभ करता है। यह समय शीत ऋतु के अंत और वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक होता है, जो नई फसल की खुशहाली और उर्वरता का उत्सव मनाने का अवसर देता है।

लोहड़ी का दूसरा नाम क्या है?

लोहड़ी का एक अन्य नाम लाल लोई भी है। इसे इस नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि इस त्योहार में लाल रंग की लोई (मक्के के आटे से बनी मिठाई) विशेष रूप से बनाई और बांटी जाती है। लाल लोई लोहड़ी पर्व का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है, जो इस उत्सव की गरिमा और परंपराओं को दर्शाता है।

लोहड़ी पर क्या खाते हैं?

लोहड़ी पर लोग आग में मूंगफली, रेवड़ी और पॉपकॉर्न चढ़ाकर खाते हैं। इसके अलावा, पौष्टिक और गर्माहट देने वाली चावल और चना दाल की खिचड़ी भी इस दिन पारंपरिक भोजन के रूप में खाई जाती है।

लोहड़ी के दिन क्या खाना चाहिए?

लोहड़ी के दिन चावल और चना दाल की खिचड़ी खाना शुभ माना जाता है क्योंकि यह पौष्टिक और गर्माहट देने वाला भोजन है, जो त्योहार की रात भर चलने वाली खुशियों में ऊर्जा प्रदान करता है।

divider
Published by Sri Mandir·November 12, 2025

Did you like this article?

srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 100 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

हमारा पता

फर्स्टप्रिंसिपल ऐप्सफॉरभारत प्रा. लि. 435, 1st फ्लोर 17वीं क्रॉस, 19वीं मेन रोड, एक्सिस बैंक के ऊपर, सेक्टर 4, एचएसआर लेआउट, बेंगलुरु, कर्नाटका 560102
YoutubeInstagramLinkedinWhatsappTwitterFacebook