3 अक्टूबर 2025 को क्या है? जानिए इस दिन का पंचांग, महानवमी और सिद्धिदात्री पूजन का महत्व, शुभ-अशुभ समय और आराधना से जुड़ी खास जानकारी।
3 अक्टूबर 2025 का दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन किए गए पूजन और धार्मिक कार्य जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सौभाग्य और शांति का संचार करते हैं। भक्तों के लिए यह दिन आस्था और भक्ति को गहराई से अनुभव करने का अवसर प्रदान करता है। इस लेख में जानिए 3 अक्टूबर 2025 का धार्मिक महत्व और इससे जुड़ी खास बातें।
क्या आप जानना चाहते हैं कि 3 अक्टूबर 2025 को कौन-सा व्रत और त्योहार है और यह दिन धार्मिक दृष्टि से क्यों खास है?
3 अक्टूबर 2025, शुक्रवार को शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि है। यह दिन पापांकुशा एकादशी के नाम से प्रसिद्ध है। शास्त्रों के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने से पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से सौभाग्य, आयु और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
पंचांग विवरण
तिथि: एकादशी – रात 7:24 बजे तक
नक्षत्र: श्रवण – सुबह 10:28 बजे तक
योग: धृति – रात 10:29 बजे तक
करण: बव – सुबह 7:18 बजे तक
वार: शुक्रवार (माँ लक्ष्मी का दिन)
महत्त्व और पूजा
पापांकुशा एकादशी
इस एकादशी का व्रत भगवान पद्मनाभ (विष्णु) को समर्पित है।
इस व्रत से जीवन के पाप नष्ट होकर पुण्य की वृद्धि होती है।
व्रत करने वाले को मोक्ष की प्राप्ति और लक्ष्मी कृपा का आशीर्वाद मिलता है।
विशेष पर्व
इस दिन विशेष रूप से विष्णु सहस्रनाम और भगवद्गीता का पाठ करना अत्यंत शुभ माना गया है।
दान-पुण्य और गरीबों को अन्न, वस्त्र दान करने से पुण्य मिलता है।
पूजा विधि
प्रातः स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें।
भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र पर पुष्प, तुलसीदल और पीले फल अर्पित करें।
विष्णु मंत्र या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
व्रत रखें और रात्रि में भजन-कीर्तन कर जागरण करें।
अगले दिन द्वादशी को दान देकर व्रत का पारण करें।
शुभ-अशुभ समय
शुभ मुहूर्त: 10:50 AM से 12:20 PM
राहुकाल: 10:19 AM से 11:48 AM
गुलिक काल: 7:21 AM से 8:51 AM
यमघंट काल: 3:47 PM से 5:17 PM
सूर्य और चंद्र
सूर्योदय: 5:51 AM
सूर्यास्त: 5:44 PM
चंद्र उदय: 3:28 PM
चंद्रास्त: 1:36 AM
ग्रह और राशि
सूर्य राशि: कन्या
चंद्र राशि: मकर (दिनभर)
दिशाशूल: पश्चिम दिशा
ऋतु: शरद
आयन: दक्षिणायन
निष्कर्ष
3 अक्टूबर 2025 का दिन पापांकुशा एकादशी के कारण विशेष महत्व रखता है। इस दिन उपवास और भगवान विष्णु की भक्ति करने से सभी पाप नष्ट होकर पुण्य, मोक्ष और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, दान-पुण्य और भजन-कीर्तन करने से जीवन में शांति, समृद्धि और सुख का आशीर्वाद मिलता है।
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