
जानिए कार्तिक शुक्ल एकादशी, प्रदोष व्रत, आज का पंचांग और शुभ-अशुभ मुहूर्त से जुड़ी खास जानकारी।
16 नवंबर 2025 का दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है। इस दिन भक्तजन पूजा-पाठ और व्रत के माध्यम से भगवान की आराधना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि आज के दिन श्रद्धा से किया गया हर शुभ कार्य अनेक गुना फल देता है और जीवन में सौभाग्य तथा शांति का आशीर्वाद लाता है।
क्या आप जानना चाहते हैं कि 16 नवंबर 2025 को कौन-सा व्रत या त्योहार है और यह दिन धार्मिक रूप से क्यों विशेष है? 16 नवंबर 2025, रविवार के दिन कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि है। इस दिन उत्पन्ना एकादशी पारण, कृष्ण योगेश्वर द्वादशी और वृश्चिक संक्रांति का शुभ योग बन रहा है। साथ ही इस दिन द्विपुष्कर योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, और अमृत सिद्धि योग भी बन रहे हैं, जो इसे अत्यंत पवित्र और शुभ बना देते हैं। यह दिन दान, स्नान और पूजा-पाठ के लिए अत्यंत उपयुक्त माना जाता है।
तिथि: कृष्ण पक्ष द्वादशी – 4:48 AM तक
नक्षत्र: हस्त – 2:11 AM तक
योग: विष्कुम्भ – 6:47 AM तक
करण: कौलव – 3:42 PM तक
वार: रविवार (सूर्य देव का दिन)
मास: कार्तिक (अमान्त) / मृगशिरा (पूर्णिमांत)
विक्रम संवत: 2082 (कालियुक्त)
शक संवत: 1947 (विश्वावसु)
सूर्य राशि: तुला - वृश्चिक (संक्रांति दोपहर 1:45 बजे)
चंद्र राशि: कन्या
ऋतु: शरद
आयन: दक्षिणायन
दिशाशूल: पश्चिम दिशा
सूर्योदय: सुबह 6:16 बजे
सूर्यास्त: शाम 5:10 बजे
चंद्रोदय: 2:44 AM
चंद्रास्त: 2:43 PM
शुभ मुहूर्त: 11:22 AM से 12:04 PM
राहुकाल: 3:49 PM से 5:10 PM
गुलिक काल: 2:27 PM से 3:49 PM
यमघंट काल: 11:43 AM से 1:05 PM
1. वृश्चिक संक्रांति
इस दिन सूर्य देव तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करते हैं। यह दिन स्नान, दान और सूर्य उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन सूर्य की उपासना करने से दीर्घायु और सौभाग्य प्राप्त होता है।
2. कृष्ण योगेश्वर द्वादशी
यह तिथि भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। इस दिन श्रीकृष्ण की आराधना करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
3. उत्पन्ना एकादशी पारण
जिन लोगों ने एकादशी व्रत रखा था, वे इस दिन पारण करते हैं। यह दिन व्रत के समापन और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का शुभ समय है।
सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें और “ॐ घृणि सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा करें।
तुलसी दल, पुष्प और दीपदान करें।
ब्राह्मणों को दान दें और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।
इस दिन द्विपुष्कर योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, और अमृत सिद्धि योग जैसे तीन अत्यंत शुभ योग बन रहे हैं। इन योगों में किए गए कार्य स्थायी और सफल माने जाते हैं।
16 नवंबर 2025 का दिन धार्मिक और ज्योतिषीय दोनों दृष्टियों से अत्यंत महत्वपूर्ण है। सूर्य देव के वृश्चिक राशि में प्रवेश के साथ यह दिन परिवर्तन और नव ऊर्जा का प्रतीक है। साथ ही, श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु की उपासना के लिए यह दिन सर्वश्रेष्ठ है। इस दिन स्नान, दान और पूजा करने से जीवन में समृद्धि, सौभाग्य और शांति की प्राप्ति होती है।
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